माँ की रसोई से : किचन गार्डन में उगी सब्ज़ियों का जादू

यदि आपको स्वस्थ रहना है तो सफ़ेद चीज़ों से थोड़ी सी दूरी बनाकर रखिये.. नमक, शक्कर, चावल, मैदा, आलू… हालांकि आलू पूरी तरफ सफ़ेद नहीं होता फिर भी उसे भी जोड़ लीजिये…

और हाँ गेहूं का आटा लगातार खाने के बजाय मौसम के अनुसार मक्का, बाजरा, ज्वार के आटे का भी उपयोग करें…

हफ्ते दो हफ्ते में एक बार बिना आग का भोजन खाइए… मतलब बिना पका… कच्चा… यानी फल और सलाद…

और पकाने से पहले थोड़ा सा खाना उगाइये भी, किचन गार्डन बनाने की जगह नहीं है तो गमले में उगाइये… मेथी, सरसों, धनिया, करेले की बेल, अरबी के पत्ते तो गमले में भी उग आते हैं..

तो ऐसे ही हमने अपनी गृह वाटिका में थोड़ा खाना उगाया है. आप यह अनुभव करेंगे कि जब आप अपने ही उगाये भोजन को पकाते हैं तो उसका स्वाद दैवीय हो जाता है… यकीन मानिए यह मेरा अपना अनुभव है… चित्र में आप जो गुइयाँ के पत्ते, हरी प्याज़ और सहजन के फूल देख रहे हैं यह सब मेरे आँगन में उगा हुआ है…

हमारे यहाँ अतिथि देवो भव: की धारणा है, तो जब भी घर में अचानक कोई मेहमान आ जाए तो यह आँगन में उगी सब्जियां भी सेवा में जुट जाती हैं… इससे सम्बन्ध और मजबूत होते हैं…

तो आइये बनाते हैं गुइयाँ के पत्तों के गुजराती पातरा और सहजन के फूल के भजिये… सहजन के अनगिनत लाभ के बारे में पहले भी आपको विस्तृत रूप से बता चुकी हूँ जिसे आप इस लिंक पर पढ़ सकते हैं- सहजन: एक जादुई वृक्ष

तो आइये पहले हम सहजन के फूल के पकौड़े बनाते हैं

दो कटोरी बेसन में दो चुटकी हींग, दो हरी मिर्च बारीक कटी हुए, दो प्याज़ बारीक कटे हुए, आधा चम्मच हल्दी, आधा चम्मच लाल मिर्च, आधा चम्मच सौंफ, आधा चम्मच खड़ा धना, एक कप बारीक कटा हरा धनिया, एक कप सहजन के फूल, चाहें तो सहजन की पत्तियाँ भी डाल सकते हैं, मैंने घर में उगाई हरी प्याज़ डाली हैं.

इस घोल में एक बड़ा चम्मच तेल और आवश्यकता अनुसार पानी डालकर गाढ़ा घोल बना लीजिये.

आजकल मैं सिर्फ खड़ा नमक उपयोग में लाती हूँ क्योंकि आयोडीन युक्त बाज़ारू नमक थाइरोइड को गड़बड़ कर रहा है. तो खड़े नमक को थोड़ा बारीक तोड़कर आवश्यकता अनुसार डाल दें.

इस घोल को चम्मच से अच्छे से फेंट लें.

कड़ाही में तेल गरम करके उसके गर्मागर्म पकौड़े बनाएं और हरी चटनी के साथ परोसें.

गुइयाँ के पत्तों के पातरा बनाने की विधि मैं पहले भी प्रकाशित कर चुकी हूँ जिसकी लिंक नीचे दे रही हूँ…

तो स्वस्थ रहें मस्त रहें…

– माँ की रसोई से

बारिश के मौसम में लीजिये पतौड़ का आनंद

 

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