कहते हैं जब मनुष्य की कुंठा उसकी बुद्धि पर काबिज़ हो जाती है तो वह फिर किसी घाट का नहीं रह जाता… किसी पशु विशेष की संज्ञा उस पशु का नाम लिए बगैर भी आप किसी को दे सकते हैं, इसलिए उस पशु का नाम भी मैं इस व्यक्ति साथ लेना गवारा नहीं करती क्योंकि वह पशु अपनी वफादारी के लिए जाना जाता है. और ऐसे व्यक्ति के साथ तुलना करना उस पशु की वफादारी के साथ नाइंसाफी है…
अश्लील कोमेडी कार्यक्रम में ताली ठोक कर पैसा कमाने वालों की निम्नस्तरीय बातों पर तो किन्नर भी ताली नहीं बजाते, वे भी तब ताली बजाते हैं जब किसी घर में कोई शुभ कार्य होता है… जिस व्यक्ति के कदम देश के बाहर शत्रु देश की ओर बढ़ गए हो, उसका दोबारा देश में कदम रखना कितना अशुभ है यह उस दल के लोगों को समझ न आएगा जिसकी नींव ही विदेशी भूमि पर पड़ी है, लेकिन भारत के लोगों को यह बात बहुत अच्छे से समझ आ गयी है कि राजनीति को कीचड़ बनाकर जो लोग उसमें लोट लगा रहे हैं… उन्हें सत्ता में दुबारा लाना इस देश के लिए कितना अशुभ है…
सम्मान पाना सम्मान देने की प्रतिक्रिया मात्र है… और यह पारस्परिक व्यवस्था हर जगह लागू होती है, चाहे परिवार हो समाज हो या देश… शत्रु देश के साथ भी सम्मानीय व्यवहार कर वैश्विक पटल पर अपना वर्चस्व कायम करनेवाले हमारे प्रधानमंत्री और उनकी कुशल टीम के प्रति कुंठा के सार्वजनिक प्रदर्शन के बाद लोगों से बोल बोलकर अपनी बात के लिए ताली ठुकवाने वालों का सम्मान उनके सर पर रखी उस प्रतिष्ठित समाज की पगढ़ी भी न करेगी…
जिन शिष्यों (सिक्खों) की परम्परा ने हमें गुरु नानक और गुरु ग्रन्थ साहेब के स्तर की आध्यात्मिक ऊंचाइयां दी, वह किसी एक व्यक्ति के चारित्रिक पतन के कारण तनिक भी विचलित नहीं होगी, इस पर मेरा पूरा भरोसा है…
परन्तु इस बात पर भी मेरा पूरा भरोसा है कि इस तरह के प्रदर्शन से चाहे विरोधी उनके कहने पर एक बार ताली ठोक दे लेकिन परस्पर व्यवस्था के अंतर्गत जब इस ताली की गूँज लौटकर आएगी तब तक राजस्थान अपने सिंह नाद के साथ भाजपा के कमल को खिला चुका होगा… बल्कि पंजाब वालों को भी एक बार विचार करना होगा कि कमर पर कटार बांधकर घूमने वाले करतारों के बीच एक कमज़र्फ कमज़ोर कुंठित व्यक्ति का अस्तित्व रहना चाहिए?
अपनी भाषा, वक्तव्य शैली, वाक् पटुता, हर बात पर शेर कहने के लिए प्रसिद्ध व्यक्ति आज राजनीतिक मतभेद को उस स्तर पर ले आया कि उसकी बात पर बिना कहे ताली ठोकने वाले जब उसे अपने पैरों की ठोकर से बेइज्ज़त करेंगे तब भी वह यही कहेगा… ठोको ताली!
सीधे सीधे हिंदुत्व के प्रतिष्ठित प्रतीक पर प्रहार हैं सिद्धू के घृणित अपशब्द