सार संक्षेप
माओ ने 1958 में ग्रेट लीप फारवर्ड लॉन्च किया जिसमें ऊलजलूल आर्थिक और औद्योगिक नीतियों और कम्युनिस्ट प्रयोगों के कारण चीन में मानवता के इतिहास का सबसे भीषण अकाल पड़ा और 3 करोड़ से अधिक लोग मारे गए।
जब उसके रक्षामंत्री और निकटतम सहयोगी पेंग दे-व्हाई ने इसकी आलोचना की तो माओ ने उसे पद और पार्टी से हटा दिया और चीन के इतिहास का यह हीरो बाद में प्रताड़ित और अपमानित होकर मरा…
माओ ने उसके बाद पीपल्स लिबरेशन आर्मी के मार्शलों में से एक, लिन बियाओ को रक्षा मंत्री बनाया। लिन ने माओ के मूड और इच्छाओं को समझने में कोई गलती नहीं की और उसने पीएलए यानी चीनी सेना को एक प्रोफेशनल आर्मी के बजाय माओ के प्रति वफादार पार्टी और कंम्यूनिज्म के प्रति समर्पित संगठन बनाने का फैसला किया।
लिन बियाओ ने बड़ी संख्या में फौज में पार्टी वर्कर्स को भरने का काम शुरू किया और उनमें सच्ची क्रांतिकारी भावना भरने के लिए उनकी मिलिट्री ट्रेनिंग के बजाय उनकी सैद्धांतिक शिक्षा का काम शुरू किया।
लिन बियाओ ने ही माओ की प्रसिद्ध रेड-बुक छपवाई और इसकी करोड़ों प्रतियाँ बंटवाई। यह माओ के कथनों और विचारों का संकलन था। पहले तो यह सेना के कम्युनिस्ट प्रशिक्षण के लिए था, बाद में यह चीन के हर एक युवा और किशोर के जीवन का भाग बन गया।
कल्चरल रेवोल्यूशन की तैयारी में पहले माओ ने सेना पर कब्जा किया। सेना का कम्युनिस्ट सिद्धांतों के प्रति समर्पण बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम चले। इसमें एक कैंपेन था ‘लर्न फ्रॉम ली फांग’… ली फांग से सीखें।
ली फांग कौन था? वह सचमुच कोई था भी या एक फिक्शनल कैरेक्टर मात्र था?
खैर, इस कहानी के हिसाब से वह चीन के ह्यूनान प्रांत से आया हुआ एक सैनिक था। एक दिन एक फौजी ट्रक दुर्घटना में उसकी मृत्यु हो गई और उसके पास से एक डायरी मिली। उस डायरी से यह मालूम हुआ कि वह कम्युनिस्ट पार्टी और माओ के प्रति कितना समर्पित था।
देखते देखते उसकी पूरी जीवनी, उसके फोटोग्राफ्स… उसके बारे में ढेर सारी इन्फॉर्मेशन आने लगी। वह एक बेहद गरीब परिवार से था, उसके परिवार पर जापानियों ने, राइट विंग च्यांग काई शेक के लोगों ने, जमींदारों ने बहुत अत्याचार किये थे। वह एक आदर्श सैनिक और एक समर्पित कम्युनिस्ट था।
उसका उदाहरण सभी सैनिकों के सामने रखा जाने लगा, उसके पोस्टर, बैनर, फोटोग्राफ्स… खूब प्रचार सामग्री जुटाई गई। ली फांग का लीजेंड खड़ा किया गया। उसके जीवन पर प्रदर्शनी आयोजित की गई। उसकी डायरी इस प्रचार कैंपेन का बहुत बड़ा प्रॉप था। इसे पब्लिश करके स्कूल के बच्चों में बांटा गया। इसके पहले पृष्ठ पर माओ की अपनी लिखावट थी।
ली फांग का यह प्रकरण कम्युनिस्ट प्रोपेगंडा मशीन का बहुत अच्छा उदाहरण है। आज यह सामान्य प्रश्न है कि ली फांग नाम का कोई व्यक्ति सचमुच में था भी, या नहीं? या कोई था जिसकी डायरी की यह कहानी तैयार की गई और फिर उसे मरवा दिया दिया गया। पता नहीं। यह कल्चरल रेवोल्यूशन की भूमिका थी।
सेना में अपना समर्थन सुनिश्चित करके माओ ने स्कूली बच्चों के माध्यम से अपना कल्चरल रेवोल्यूशन लॉन्च किया। दस वर्षों के भीतर यह दूसरी कम्युनिस्ट विभीषिका थी…
क्रमशः
विषैला वामपंथ : ‘ग्रेट लीप’ से चीनी इतिहास के सबसे भयानक काल कल्चरल रेवोल्यूशन तक