भारत में धर्मगुरुओं के प्रति कैसे-कैसे विषवमन होता है ये किसी से कहने की जरूरत नहीं है। और सबसे ज्यादा कौन उछलता है वो भी ज्यादा कहने की जरूरत नहीं है।
दुनिया भर की बुराई बस बाबाओं में ही भरी होती है और उसी को आधार बनाकर ‘कनवर्जन’ का खेल खेला जाता हैं। और जो बाबा होते हैं ऐसा नहीं है कि उसे केवल वही लताड़ते है, कोई भी आम हिन्दू भी लताड़ देता है।
लेकिन फिर भी वे हिंदुओं को नीचा दिखाने के लिए उन्हीं को पकड़ते हैं। लेकिन वे जिस रिलीजन का हाथ थाम कर इधर से भागते हैं वे खुद एक ‘भेड़’ की झुंड में शामिल हो जाते हैं, जिनको कि तनिक भी भनक नहीं लगता। जहाँ एक ‘गड़ेरिया’ इन सबको हाँकता है और हंकाते हैं।
उधर जाने के बाद इनकी मति मारी जाती है, बुद्धि विवेक सब बेच खाते हैं, ऊपर से जो ऑर्डर आता है बस उसे गॉड का हुक्म मान बस पालन में लग जाते हैं। इतने धार्मिक भेड़ हो जाते कि कोई एक डूबा तो सब बिना कुछ सोचे समझे उसी में डूब जाने है। और ये भेड़ें हमें ‘धार्मिकता’ का पाठ पढ़ाते हैं। इन्हीं भेड़ों के एक झुंड का जिक्र आज हम करना चाहेंगे।
स्थान : जोन्सटाउन, अमेरिका।
एगो बड़के किरान्तिकारी हलेलुइया गुरु हुए, नाम ‘जिम जोन्स’ .. इन्होंने ‘पीपल्स टेम्पल’ नामक चर्च की स्थापना की। इनके अपने अच्छे खासे फ़ॉलोवर्स हुए मने कि भगत हुए। और रिलीजन का भगत होना मतलब ‘अंधे भेड़’ होना।… अमेरिका के इतिहास में 9/11 के पहले एक साथ भारी मात्रा में मने मास ‘सिविलियन लॉस’ 18 नवम्बर 1978 को हुआ था। और ये सिविलियन लॉस इसी हलेलुइया गुरु जिम जोन्स के नेतृत्व में हुआ था।
और ये 9/11 जैसा कोई आतंकी हमले के शिकार नहीं थे या कोई दंगे के शिकार नहीं थे बल्कि ये ‘Mass Suicide’ याने ‘सामुहिक आत्महत्या’ थी। और इस मास सुसाइड का प्रेरक जिम जोन्स था। इस मास सुसाइड में 900 से ज्यादा लोग मारे गए थे जिसमें 200 से ऊपर बच्चे थे। इन बच्चों को पहले ‘साइनाइड’ चटाकर मारा गया फिर सभी ने साइनाइड से संबंधित कुछ फूड खा कर मरे और कइयों ने खुद को गोली मार ली।
जिम जोन्स खुद को शूट करके मरा। मास सुसाइड इन अमेरिका करके गूगल में सर्च करियेगा तो आपको सभी डिटेल मिल जायेगा। कारण कई बताये जाएंगे इसके पीछे। जिसमें से मुख्य कारण यह था कि सरकार इनके खिलाफ प्रताड़ना कर रही थी, बच्चों को गुलाम बनाकर उसे ‘फासिज्म’ में कन्वर्ट कराने वाली थी इसलिए उन्होंने ‘सामुहिक आत्महत्या’ कर ली।
यहाँ मनोविज्ञान की बात समझिये तो ये रिलिजियस लीडर्स अपने फ़ॉलोवर्स को किस कदर वश में रखते हैं? एक मौलाना/मौलवी के कहने पे खुद को उड़ा लेते हैं और अपने साथ कइयों को भी। एक फादर/प्रिचर के कहने पे खुद मार लेते हैं और अपने साथ अपने बच्चों को भी।
अफ्रीका में मास मर्डर के कई वर्षों बाद इन्हें ख्याल आता है और माफी माँगते हैं ताकि इसके पीछे भेड़ बनाने का कार्यक्रम निरंतर चलता रहे। कितनी ही उन्नत, विकसित और खिलखिलाती सभ्यताओं को जमींदोज करने वाले ये रिलिजियस पुतर लोग हमें ‘धर्म’ का पाठ पढ़ाते हैं। हाऊ रिडिकुलस। धर्मगुरुओं और देवी देवताओं को कोस-कोस के अपने धार्मिक भेड़ के झुंड में शामिल करवाते हैं। लेकिन अपने गिरेबान में कभी झांक कर नहीं देखते और न सामने को इसकी जानकारी होती है और न होने देते हैं।
इन भेड़ों और गड़ेरियों को अब खदेड़ने का वक़्त आ गया है, अगर अब न खदेड़ने शुरू किये तो ये सबको ‘भेड़’ बना कर ही दम लेंगे। जहाँ कोई जिम जोन्स आएगा और उनके एक कहने पे सब साइनाइड खा कर प्रभु की शरण में चले जाने को तत्पर रहेंगे।