भारत की मुख्य भूमि से 1,200 किलोमीटर दूर अंडमान द्वीपसमूह के 502 टापुओं में से एक द्वीप।
जहां पर जाना प्रतिबंधित है, जहां पर सारे आधिकारिक सर्वे के मुताबिक हद से हद 60 से 100 लोग होंगे।
वहां पहुँचने के लिए, उन 60 से 100 लोगों को ईसाई धर्म में लाने के लिए एक अमेरिकी मिशनरी, हज़ारों किलोमीटर दूर अमेरिका से ऐसे द्वीप पर जाता है।
उसे पता होता है कि इस द्वीप पर जाने की कई कोशिशें नाकाम हुई हैं, और अंत में थक हारकर उन 100 लोगों की अलग रहने की इच्छा का सम्मान करते हुए सरकार ने वहां किसी भी तरह जाना प्रतिबंधित कर रखा है।
जाना तो दूर, उनकी फोटो तक लेना वर्जित है, और ऐसा करते पकड़े जाने पर 3 साल की कैद है। फिर भी वो व्यक्ति जाता है, 7 मछुआरों को 25,000 रुपये देकर वो वहां जाता है, पर नियति को जो मंज़ूर, वो होता है और वो व्यक्ति कालकवलित हो जाता है।
मुझे उस व्यक्ति से दो फूटी कौड़ी की भी सहानुभूति नहीं। ये सब इसलिए लिखा है कि हज़ारों सालों से अलग थलग रहने वाले एक कबीले के गिनती के 60 लोगों को ‘कन्वर्ट’ करने के लिए इतनी ताकत लगा दी जाती है, सोचिए कि भारत की मुख्य धरती पर रहने वाले करोड़ों लोगों के लिए क्या प्लानिंग होती होगी।
राम रहीम को जेल होती है, उसके डेरे के भक्तों तक ये पहुंच जाते हैं। राजस्थान के डूंगरपुर के आदिवासी भीलों को, छत्तीसगढ़ झारखंड ओडिशा के जंगलों में भीषण गरीबी में रहने वाले आदिवासियों को अपनी तरफ लाने के लिए तो करोड़ों अरबों रुपयों की ताकत इस्तेमाल की जाती होगी।
कई रेड्डी नाम लगाने वाले इस दिशा में पहले से ही जा चुके हैं। रोममाता का एक कृपापात्र रेड्डी (YSR) तो मुख्यमंत्री तक बन चुका है, और आंध्र की 2% ईसाई आबादी को 10% से ऊपर करने में उसी का पूरा हाथ था।
मानवता की आड़ में कुछ बोरियों चावल के लिए लोगों की पहचान खत्म कर देने वाले कई NGO का पंजीकरण इस सरकार ने रद्द कर दिया है।
ये असुरक्षा, असहिष्णुता, 8 – 8 साल के बच्चों का रेप करते और उनसे अपना अंग चुसवाते पादरियों का ये ‘शांति के लिए अपील’ का नाटक, इन सब ढकोसले के पीछे धर्म के लिए ‘कुछ ना कर पाने की – वो सब जो ये सालों से राजमाता के संरक्षण में बड़ी आसानी से कर पा रहे थे’ – की मजबूरी ही है।
आपके लिए प्याज, पेट्रोल, ‘इतनी मूर्ति में इतने लोग खाना खा लेते’ जैसी बातें ज़रूरी होंगी, मैं जानता हूँ कि मेरे और मेरे धर्म के लिए मोदी जरूरी है। Survival of the fittest का कॉन्सेप्ट यूँ ही नहीं बना है।
बाकी हज़ारों सालों से अलग थलग रहने वाले 60 लोगों के लिए अगर कोई प्लान है उनके पास, तो यह सब लिखने वाले मेरे लिए और ये पढ़ पाने वाले आप सब के लिए भी उनके पास प्लान है। याद रखियेगा।
गोपाल राम के नामों पर कब मैंने अत्याचार किया, दुनिया को हिन्दू करने कब मैंने नरसंहार किया!