वर्ष 1947 में भारत को मिली स्वतंत्रता की आयु अब 71 वर्ष हो चुकी है। इन 71 वर्षों के पहले 31 वर्षों (1978 तक) के दौरान कुल 13 व्यक्ति काँग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।
इन 31 में से 5 वर्ष तक अध्यक्ष पद बाप-बेटी (नेहरू-इंदिरा) की जोड़ी के पास रहा शेष 26 वर्षों के दौरान 11 व्यक्ति काँग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।
इसके बाद 1978 से 2018 तक की 40 वर्ष की समयावधि के दौरान काँग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी पर 33 वर्षों से गांधी परिवार की चौकड़ी (मां-बेटा-बहू-पोता) काबिज़ है।
शेष 7 वर्षों के दौरान पीवी नरसिंह राव 5 वर्ष तक इसलिए राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रह सके, क्योंकि राजीव गांधी की असामयिक मृत्यु के कारण उस दौरान गांधी परिवार का कोई सदस्य राजनीति के मैदान में ही नहीं था।
राव के बाद 5 वर्ष के लिए अध्यक्ष बने सीताराम केसरी को केवल डेढ़ वर्ष बाद ही परिवार के पार्टी चाटुकारों ने शौचालय में बन्द कर के अध्यक्ष पद से इसलिए खदेड़ दिया था क्योंकि राजनीति के अखाड़े में गांधी परिवार की सदस्या बनकर सोनिया गांधी उस समय कूद गयी थी। सोनिया 20 साल अध्यक्ष रही। अब सोनिया का बेटा अध्यक्ष है।
[List of Presidents of the Indian National Congress]
आज यह संक्षिप्त विवरण इसलिए क्योंकि केवल झूठ, फ़रेब, मक्कारी में डूबी राजनीतिक बयानबाज़ी का सर्वश्रेष्ठ काँग्रेसी खिलाड़ी पवन खेड़ा एक न्यूज़ चैनल पर जब इस विषय पर सरासर सफेद झूठ की उल्टी करते हुए गरजता बमकता दिखा तो यह लिखने के लिए मजबूर हो गया।
दरअसल काँग्रेसी फौज यह समझने को तैयार ही नहीं कि सोशल मीडिया के वर्तमान दौर में उसके झूठ फ़रेब के दिन लद चुके हैं।
काँग्रेसी नेता/ प्रवक्ता पता नहीं क्यों यह समझ ही नहीं पा रहे हैं कि जब वो न्यूज़ चैनल सरीखे समाचार माध्यम पर तथ्यों से सम्बन्धित सफेद झूठ बोलते हैं तो मेरे जैसे असंख्य व्यक्तियों को यह लगता है कि यह नेता/ प्रवक्ता मुझे अनपढ़ गंवार मूर्ख समझ रहा है।
यही कारण है कि जब कोई पवन खेड़ा काँग्रेस में अध्यक्ष पद पर गांधी परिवार के कब्जे से सम्बन्धित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी का तार्किक तथ्यात्मक विरोध करने के बजाय अपने झूठ, फ़रेब, मक्कारी का कीचड़ उछालने में जुट जाता है तो मेरे जैसे लोग उसे जवाब देने, उसे आईना दिखाने से स्वयं को रोक नहीं पाते।
सबकुछ हार चुके किसी जुआरी से भी बदतर हो गयी है कांग्रेस की हालत