आखिर कौन था आधुनिक भारतीय राजनीति के ‘अजातशत्रु’ शास्त्रीजी का शत्रु?

किताब के लोकार्पण के अवसर पर बायीं तरफ से डॉ. गायत्री शर्मा, आर.के.सिन्हा, लेखक अनुज धर, डॉ. रणबीर नंदन और संजय पासवान

डॉ. आर.एन. चुग उस दिन अपनी पत्नी और बच्चों के साथ कार से निकले थे जब एक ट्रक ने पीछे से उनकी कार को टक्कर मार दी।

डॉ. चुग गाड़ी से उतर कर पीछे देख रहे थे कि कितना नुकसान हुआ है जब ट्रक ने दोबारा टक्कर मारी।

इस टक्कर में उनकी, उनकी पत्नी और बेटे की मौत हो गयी और बेटी हमेशा के लिए अपाहिज हो गयी।

ये वो दौर था जब चुनाव होने वाले थे। इन चुनावों में इंदिरा के हारने और जनता पार्टी के जीतने की संभावना थी। ऐसा ही हुआ भी था। अफवाह थी कि चुनाव जीतने पर जनता पार्टी शास्त्री जी की मौत पर जांच कमीशन बिठाएगी।

चुनाव जीतने के बाद जनता पार्टी ने भी शास्त्री जी की रहस्यमय मौत की जांच करना जरूरी नहीं समझा था। ‘जय जवान, जय किसान’ के शास्त्री जी के नारे को बाद में अटल बिहारी वाजपेयी ने बढ़ाकर ‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान’ कर दिया था।

शास्त्री जी से अटल बिहारी वाजपेयी का जुड़ाव इतना ही नहीं है। शास्त्री जी की रहस्यमय मौत पर संसद में 14 फ़रवरी को सबसे पहले सवाल उठाने वाले सांसद भी अटल बिहारी वाजपेयी ही थे। उस वक्त की कांग्रेस सरकार ने साफ़ झूठ बोलते हुए कह दिया था कि मौत में शक की कोई वजह नहीं है इसलिए जांच की कोई जरूरत नहीं।

कई साल बाद जब ‘धर्मयुग’ पत्रिका में शास्त्री जी की पत्नी का इंटरव्यू छपा तब लोग इस सवाल को लेकर और मुखर होने लगे। ताशकंद से जब शास्त्री जी का शव आया था तो उसपर कटे के निशान थे। उनकी गर्दन पर पीछे की तरफ लगे घाव से उस समय तक रक्त बह रहा था जिससे तकिया, चादर वगैरह सब भीग गए थे।

भारतीय और रुसी कानूनों के आधार पर शव की ऑटोप्सी होनी चाहिए थी, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आनी चाहिए थी। शुरू में कांग्रेसियों ने ये भी कहा था कि किसी ने पोस्टमार्टम की बात की ही नहीं। बाद में ये भेद खुलने लगा कि रूसियों ने शव के परीक्षण का प्रस्ताव भी दिया था और ज़हर देने के शक में एक भारतीय खानसामे को गिरफ्तार करके उससे पूछताछ भी की थी।

लाल बहादुर शास्त्री को आधुनिक भारतीय राजनीति का अजातशत्रु भी कहा जाता है। उन्हें प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बिठाते समय शायद कामराज ने सोचा होगा कि भविष्य की इंदिरा के लिए वो एक कमजोर सा प्रतिद्वंदी चुन रहे हैं। जो स्कूल जाने के लिए तैरकर गंगा पार करता रहा हो, वो कमजोर क्यों समझा गया पता नहीं!

पाकिस्तान से हुए युद्ध में उन्होंने अपना दम-ख़म साबित भी कर दिया था। उनके जीवन से जुड़ी कई घटनाओं के बारे में सब जानते हैं। यदा कदा उनकी ईमानदारी, मितव्ययी स्वभाव आदि की चर्चा होती है। जो हम नहीं जानते वो ये है कि क्या इस ‘अजातशत्रु’ की मृत्यु स्वाभाविक थी या हत्या थी।

दस नवम्बर (2018) की शाम लेखक अनुज धर के साथ इन्हीं चर्चाओं में बीती। ये मौका था गुरु प्रकाश जी की अगुवाई में Indic Collective के पटना चैप्टर (Indic Academy) की शुरुआत के साथ-साथ अनुज धर की शास्त्री जी की मृत्यु के राज पर लिखी गई किताब ‘योर प्राइम मिनिस्टर इज़ डेड‘ के पटना में लोकार्पण का।

ये किताब जवाब कम देती है, सवाल ज्यादा उठाती है। एक पत्रकार की लिखी किताब से तीखे सवालों की उम्मीद की भी जानी चाहिए। सवाल ये है कि क्या सरकार इन सवालों के जवाब देने की कोशिश करेगी। कहीं चुनावों से पहले नेताजी (सुभाष चन्द्र बोस) का जिक्र और जीतते ही गांधी नाम की माला तो नहीं जपेगी न?

बाकी लेख जिन डॉ. चुग की रहस्यमय हत्या से शुरू कोया था वो पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री जी के निजी चिकित्सक थे और उनकी मौत के समय ताशकंद में उनके साथ ही थे। जांच कमीशन की बात शुरू होते ही उनकी हत्या को क्या कहना चाहिए, ये हम पाठकों पर छोड़ते हैं।

मोदी जी, अब तो आपको पता होगा किसने की शास्त्री जी की हत्या!

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