आप कभी अमृतसर गए हैं?
देश के किसी कोने से कोई पर्यटक अगर अमृतसर घूमने जाए तो उसकी लिस्ट में क्या क्या स्थान होंगे?
स्वर्ण मंदिर
जलियांवाला बाग
दुर्गियाना मंदिर
चलो जी हो गया Tourism…
पर पिछले कुछ सालों में अमृतसर में एक नया पर्यटक आकर्षण पैदा हो गया है। उसका नाम है वाघा बॉर्डर…
ये दरअसल भारत पाक सीमा पर बसा एक गांव है जहां एक सड़क भारत पाकिस्तान को जोड़ती है। बॉर्डर पर यहां एक चेकपोस्ट है जहां दो गेट बने हैं। एक भारत की सीमा में, दूसरा पाकिस्तान की सीमा में…
दिन के समय यहां सामान्य काम काज कारोबार होता है। लोगबाग इस पार से उस पार आते जाते हैं। एक Immigration Counter है जहां यात्री अपने passport / visa पर मुहर लगा के एक देश से दूसरे में प्रवेश करते हैं।
शाम लगभग 6 बजे दोनों देश ये गेट बंद कर देते हैं। इसकी एक ceremony होती है। पहले दोनों देश अपना अपना ध्वज उतारते हैं। फिर गेट बंद होता है। एक परेड होती है। दोनों देशों के सैनिक पैर पटकते हैं, एक दूसरे को आंखें दिखाते हैं, भुजाएं फड़फड़ाती हैं, परेड करते सैनिक पैर सिर से ऊपर ले जाते हैं।
अब इतना ऊपर पैर जाएगा तो संतुलन बिगड़ेगा ही। रोज़ाना दो चार incident होते हैं जब सैनिक सिर से ऊपर पैर उठाने के चक्कर में धड़ाम से नीचे गिरते हैं। सिर्फ पाकिस्तानी नहीं, भारतीय भी गिरते हैं।
यानी पूरा नाटकीय फिल्मी सीन होता है। देश प्रेम और राष्ट्रवाद का ज्वार उमड़ता है।
अब वहां दोनों देशों ने बाकायदा दर्शक दीर्घा बना रखी है। भारतीय सीमा में औसतन 15000 दर्शक/ पर्यटक होते हैं, पाकिस्तानी साइड बमुश्किल 1000-1500…
अमृतसर से वाघा बॉर्डर की दूरी है लगभग 32 किलोमीटर।
इनोवा गाड़ी 1500 रूपए लेती है। 15000 पर्यटकों को वाघा का ट्रिप मारने में कितने टैक्सी वालों को रोज़गार मिलता है?
2000 टैक्सी।
वैसे कोई पर्यटक चाहे तो दो घंटे में स्वर्ण मंदिर देख के निकल जाए। पर वाघा का ट्रिप मारने के लिए आधा दिन चाहिए। इससे टूरिस्ट का stay अमृतसर शहर में न्यूनतम 8 घंटा वरना एक रात बढ़ जाता है।
बॉर्डर पर जो ceremony होती है उसे देखने में 2 से 3 घंटे लग जाते हैं। इस दौरान खूब देश भक्ति गीत बजते हैं, डांस होता है, मौके पर सैकड़ों लोग पानी की बोतलें और जूस बेचते हैं।
दर्शक जब ceremony देख के निकलता है तो एक किलोमीटर दूर खड़ी गाड़ी तक पैदल आता है। रास्ते में सैकड़ों आइसक्रीम वाले, जूस स्टाल्स और फास्ट फ़ूड वाले खड़े होते हैं। इसके अलावा वहां BSF और Army और Customs की Souvenir shops हैं। वहां से भी ठीक ठाक खरीदारी होती है।
इसके अलावा 32 किलोमीटर के रास्ते में भी जब 2000 इनोवा गाड़ियां दौड़ेंगी तो कुछ बिज़नेस पैदा होगा ही… कहने का मतलब ये कि अमृतसर के नज़दीक वाघा बॉर्डर के पर्यटन ने स्थानीय जनता को कमाने का एक अतिरिक्त साधन मुहैया करा दिया।
इसकी सालाना कीमत शायद सैकड़ों हज़ारों करोड़ रूपए की होगी। अकेले वाघा बॉर्डर की इस ceremony ने अमृतसर के पर्यटन के कुल राजस्व को दो गुना कर दिया है।
एक उदाहरण और लीजिये।
आज से दस साल पहले बनारस में ये गंगा आरती जैसा फिल्मी choreographed आयोजन नहीं होता था। फिर कुछ लोगों के दिमाग में ये विचार आया।
आज बनारस – काशी घूमने जाने वाले हर व्यक्ति का पर्यटन शाम की गंगा आरती देखे बिना पूरा नहीं होता… मने आज गंगा आरती बनारस का सबसे महत्वपूर्ण पर्यटक आकर्षण बन गयी है। इस आरती को देखने के लिए आपको शाम तक बनारस में रुकना ज़रूरी हो गया है। मने अब आप आरती देख रात को 8 बजे खाली होंगे।
ऐसे में क्या होगा कि जो टूरिस्ट कल तक दोपहर में गंगा नहा के, विश्वनाथ जी दर्शन करके वापस हो लेता था वो अब देर शाम तक रुकने को बाध्य है। इनमें कुछ ऐसे भी होंगे जो एक रात बनारस में extra रुक जाते होंगे। अब मोदी जी ने इसी में गंगा जी में एक क्रूज़ जहाज़ दौड़ा दिया।
उसके बाद इसमें Luxury Boats चलेंगी जो आपको बनारस से प्रयाग तक ले जाएंगी… जैसे जैसे events जुड़ते जाएंगे, बनारस को मिलने वाला राजस्व बढ़ता जाएगा।
अब इसी में कल्पना कीजिये कि बनारस से कोई 50 किलोमीटर दूर एक नया Tourist Attraction बना दिया जाए (स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी जैसा), तो क्या होगा… बनारस आने वाला हर व्यक्ति वहां भी जाएगा… उस पर भी तो 1000 – 2000 खर्च करेगा?
बिज़नेस इसी तरह बढ़ता है। ध्यान से देखिए, स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी राजनीति के अलावा बहुत बड़ा बिज़नेस भी है।
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