भूल जाइए कि मोदी ऐसी सुदृढ़ अर्थव्यवस्था चोरों के लिए छोड़ने जा रहे हैं

सबरीमाला प्रकरण, प्रभु श्रीराम जी का मंदिर, शहरी नक्सलों को ज़मानत मिलना, सीबीआई विवाद, न्यायलय के पक्षपातपूर्ण व्यवहार के बारे में कई मित्रों ने रोष व्यक्त किया।

कुछ ने मुझे टैग किया या प्राइवेट मैसेज भेजा। लिखा कि प्रधानमंत्री मोदी में ऐसे लोगों के विरूद्ध कार्रवाई करने का दम नहीं है तथा उन्हें सरकार विरोधी भावना बनानी पड़ रही है या फिर, वे वोट नहीं देंगे।

मित्रों की नाराज़गी समझ सकता हूँ, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के विरूद्ध कुछ भी लिखने के पहले मेरा निवेदन है कि कुछ तथ्यों – दोहरा रहा हूँ, तथ्यों ना कि ओपिनियन – पर विचार किया जाए।

24 अक्टूबर को प्रातः 2 बजे जब सीबीआई में छापा पड़ रहा था और टॉप के दोनों उच्चाधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया, उस समय प्रधानमंत्री मोदी जनता के समक्ष क्या कर रहे थे? क्या वे चिंतित थे; बेचैन थे? नहीं।

23 अक्टूबर को उन्होंने महर्षि वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं दी, नरेंद्र मोदी एप से भाजपा को योगदान देने का आह्वाहन किया, वैष्णव जन धुन के बारे में ट्वीट किया और अगले दिन ‘मैं नहीं, हम’ कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी। क्या कहीं से आपको लगा कि वे सीबीआई पर कितनी बड़ी कार्रवाई करने जा रहे हैं?

और अगले दिन प्रधानमंत्री मोदी ने 24 अक्टूबर को ‘मैं नहीं, हम’ कार्यक्रम में दो घंटे भाग लिया, प्रतिभागियों के साथ ठहाके लगाए, उन्हें समाज सेवा के लिए प्रेरित किया। उनकी बॉडी लैंग्वेज पर ध्यान दीजियेगा। वह आत्मविश्वास से भरपूर व्यक्ति की थी, ना कि किसी बेबस, विवश और लाचार नेता की।

वैष्णव जन धुन के बारे में कई ट्वीट की। ऐसे कि जैसे सीबीआई में कोई कार्रवाई ही ना की हो। जबकि बाहर कांग्रेसी, भूषण और मीडिया के मुंहसे गुस्से के मारे झाग निकला जा रहा था।

कुछ वर्ष पीछे चलिए। वर्ष 2013 में काँग्रेसियों ने देश का खज़ाना खोल दिया था; वित्तीय घाटा 4.5 प्रतिशत हो गया था, यानि कि काँग्रेसी आमदनी से कही अधिक खर्च कर रहे थे।

मंहगाई 10 प्रतिशत से अधिक थी, अर्थात काँग्रेसी नोट छाप रहे थे, जिससे बाज़ार में मांग से अधिक रूपया आ गया था। क्योकि उन्हें पता था कि वे चुनाव हारने जा रहे है और वे पैसों के द्वारा जनता का वोट खरीदना चाहते थे, भले ही अर्थव्यवस्था गर्त में चली जाए।

वर्ष 2018 में क्या स्थिति है? चुनाव 6-7 महीने में होने वाले हैं। मंहगाई 4 प्रतिशत और वित्तीय घाटा 3.3 प्रतिशत के आस-पास है।

क्या आपको लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी ऐसी सुदृढ़ अर्थव्यवस्था चोरों के लिए छोड़ने जा रहे हैं?

अगर आप ऐसा सोचते है, तो आप गलत हैं।

मेरा मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी अगर कार्यवाई नहीं कर रहे हैं तो वह इसलिए कि वह राष्ट्र की प्रगति को नकारात्मक रूप से प्रभावित नहीं करना चाहते।

अगर किसी को लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी के पास देश-तोड़क शक्तियों का कच्चा चिट्ठा नहीं है, तो वह स्वप्निल दुनिया में रह रहा है। अगर किसी को लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी के पास कार्रवाई करने की दृढ़ इच्छाशक्ति नहीं है तो ऐसे लोग JNU के पैम्फलेट पढ़ रहे हैं।

यह मत भूलिए कि कांग्रेस के द्वारा पोषित यही विपक्ष, मीडिया और अदालत मुख्यमंत्री रहते उनका कुछ नहीं बिगाड़ पायी।

अगर मैं लगातार यह लिखता रहा हूँ कि प्रधानमंत्री मोदी काँग्रेसियों द्वारा पोषित भ्रष्ट आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था का रचनात्मक विनाश कर रहे हैं, तो वह गलत नहीं है।

आपको क्या लगता है कि पिछले कुछ दिनों से कौन लोग सनातन मूल्यों पर चोट पहुंचा रहे हैं? क्या ऐसी भ्रष्ट व्यवस्था का विनाश लिए बिना हम सनातन मूल्यों की स्थापना कर सकेंगे?

मेरा मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी कार्रवाई चुनाव के पूर्व करेंगे. लेकिन उसका समय और स्थान वह स्वयं तय करेंगे। क्योकि ऐसी कोई भी कार्रवाई कुछ समय के लिए व्यवस्था को उलट-पलट देगी।

लेकिन फिर एक नयी सरकार के मुखिया के नाते वह व्यवस्था को सही पटरी पर ला देंगे।

आप प्रधानमंत्री पर भरोसा बनाये रखें।

“अभूतपूर्व, अप्रत्याशित, अकल्पनीय”

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