शशि थरूर के वक्तव्य का बुरा न मानिए! समृद्ध भाषा का धनी है बन्दा!
कह रहा है, मोदी शिवलिंग पर चढे बिच्छू के मानिंद है, न हाथ से हटा सकते हैं, न चप्पल से मार सकते हैं!
यानि एक वाक्य में कांग्रेस की व्यथा पूरी की पूरी बयान कर गया और मोदी के प्रति कांग्रेस की सोच भी झटके में उजागर कर गया।
मोदीजी कांग्रेस को फूटी आँख भी नहीं सुहाते है। उनका सम्मानपूर्वक उल्लेख वे कर ही नहीं सकते! और उनकी मानें, तो दुनिया भर की अच्छाई का ठेका कांग्रेस को ही मिला है।
तो कटु और ओछे, अपमानजनक शब्दों में उल्लेख वह भी शशि थरूर जैसे भाषाप्रभु द्वारा किया जाना क्या दर्शाता है? कांग्रेस मोदीजी का अपमान जान बूझकर करती है। इति सिद्धम्।
दूसरे, मोदीजी के बारे में कांग्रेस की असहायता का यह इकबालिया बयान है!
मोदीजी को यह संगठन सत्ता में देख नहीं सकता है। उनकी छाती पर साँप लोटते हैं! सत्ता में हम नहीं, यह कौन अंतःपुर के बाहर का कोई अनधिकृत सामान्य व्यक्ति सत्ता हथिया कर बैठा है? हटाओ इसे! यह आम से लेकर खास कांग्रेसी की धारणा है।
पर हटा तो वे नहीं सकते! कांग्रेस से छह गुना सांसद भाजपा के हैं। इक्का दुक्का राज्य छोड़ सारों में भाजपा शासन चल रहा है, और वह भी जनता के आशीर्वाद से।
भ्रष्टाचार के जिस अमृत से पार्टी की बेला पर हरी कोंपले लहलहाती थी वह कबका सूख चुका। इस कठिन परिस्थिति में जिस ने धकेला उस पर अंग्रेजी में cold rage कहा जाता है, उस तरह का नपुंसक क्रोध आना स्वाभाविक है।
जिसकी जान आप ले रहे हो, वह जीव स्वस्ति मंत्र थोड़े ही पढेगा? वह तो श्राप ही देगा, बुरा ही सोचेगा!
शशि थरूर जैसे राजनयिक संकेत और सभ्यता के ज्ञानी से इस तरह का बयान आना बहुत कुछ कह जाता है!
इसलिए ठंड रखो! संदेशवाहक को गोली न मारो! और कांग्रेस की छटपटाहट का आनंद लो!