उपरोक्त चित्र जिसे मैंने पंचतंत्र (A) का नाम दिया है, के बारे में लोगों की राय मांगी थी कि इसे देखकर उन्हें क्या समझ आता है या उनके मन में क्या विचार आता है। कई उत्तर मिले, अब मैं ही इस चित्र की पहेली सुलझा देता हूँ, यद्यपि मन बहुत दुखी है इस निष्कर्ष से।
निष्कर्ष यही है कि वामपंथियों ने हम से पंचतंत्र को लगभग छीन लिया है। या उससे भी बुरा निष्कर्ष यह है कि उन्होंने उसे हमारे पास कुछ ऐसे तरीके से रहने दिया कि हमने ही उसे छोड़ दिया है।
आज हम पंचतंत्र को बच्चों की कहानियां समझ रहे हैं जबकि यह स्टेटक्राफ्ट (शासन कला) है। यदि कर सकें तो याद कीजिएगा कि पंचतंत्र के द्वारा पंडित विष्णु शर्मा ने राजकुमारों को ‘राज कैसे किया जाता है’ यह सीख दी थी।
इसकी प्रस्तावना में ही उन्होंने सगर्व कहा है कि जो इसे समझ जाए उसे इन्द्र से भी भय नहीं है। क्या ऐसा उपदेश महज़ बच्चों के लिए नीतिप्रद बोध कथाएँ हो सकती हैं?
उस (A) का मतलब है एडल्ट्स के लिए, लेकिन वह कोई पीले कवर की किताब नहीं बल्कि वयस्कों के लिए भी सीख ग्रहण करने की कहानियां हैं। हर संबंध में पंचतंत्र आप का मार्गदर्शन कर सकता है। इसीलिए उसपर ऐसे क्लिपआर्ट थे जहां दोस्ती का बहाना है लेकिन पीठ पीछे खंजर छुपाया है, प्रेम याचना है, संतति के साथ माँ बाप के संबंध है, बॉस और जूनियर के संबद्ध है।
जो क्लिपार्ट मिले उनसे उपरोक्त चित्र में यही सब चिह्नित करने का प्रयास रहा। हो सकता है कहीं प्रयास कम पड़ गया हो।
लेकिन आप को पंचतंत्र की कहानियों में क्या दिखता है? हर चीज़ वहाँ खुलकर संकेत लिए है। जिन पशु-पक्षियों के बीच संवाद हो रहा है यह अगर हम देखें तो उस जीव के स्वरूप से ही हमें एक व्यक्तिचित्र सामने आता है। कहीं सियार है तो अपने आप एक होशियार व्यक्ति सामने आता है। अब वह चतुर है या धूर्त यह protagonist के नज़रिये से हमें देखना है।
कथा का अगर कोई खल पात्र है तो उसकी नज़र से भी हम वह प्रसंग समझ सकते हैं और कोई पात्र वहाँ केवल दर्शक है तो उसकी भूमिका से भी उस प्रसंग को हम देख सकते हैं। सिंह है तो उसके चरित्र की उस कथा में क्या व्याख्या है यह भी स्पष्ट होता है, खरगोश है तो उसकी भी।
प्राणियों के नाम भी अपने आप में बहुत कुछ कहते हैं, बस उन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
कथा में से कथा निकलती है और मूल कथा आगे बढ़ती है। कथाकथन की भी यह एक टेक्निक है, नेरेटिव कैसे सेट किया जाता है, काउंटर किया जाता है या डायवर्ट किया जाता है… यह सभी सिखा देता है पंचतंत्र, बस देखने की आवश्यकता है।
कथा ही तो समाज को बांधे रखती प्रेरणा है, कथा कहने का ढंग ही तो समाज को बनाता बिगाड़ता है। जिसे हम नेरेटिव कहते हैं उसका शब्द कोश में अर्थ भी यही है, कथा। कहानी।
कुछ कंटेन्ट वाकई ‘A’ भी है, तो ज़ाहिर है कि बच्चों के लिए लिखते समय उसे साफ किया जाएगा। लेकिन मेरा मूल दु:ख है इसे बच्चों की कहानियाँ बनाए रखना।
कार्टून्स के साथ कथाएँ स्मरणीय तो होती हैं लेकिन बड़े होकर वे उन चित्रों के साथ ही याद आती हैं। इस समय यह लग सकता है कि क्या हम बचपन की कहानियों के आधार पर प्रौढ़ जीवन के प्रसंगों को तौल रहे हैं? और हो सकता है कि अगर आप ने यह उल्लेख किया भी कि आप की सोच पंचतंत्र की किसी कथा पर आधारित है, तो पूरी संभावना है कि आपका परिहास होगा – ‘हे हे हे इसे देख, अभी तक पाँचवी कक्षा से ये बाहर नहीं निकला है’।
हमारे सद्भाग्य से कॉमिक बनाए जाने के बाद भी महाभारत और रामायण, महान ग्रंथ बने रहे। शायद इसलिए कि बड़े भी उससे उद्धरण देते रहे हैं। और सब से बड़ी बात है कि विदेशियों ने उसे रामायना और महाभारटा बनाया। तब हमें भी लगा कि अगर उनको इसमें कुछ दिखता है तो इसमें कुछ होगा। अन्यथा वे भी विस्मृत पोथियां बन जाते तो कोई आश्चर्य नहीं होता।
कल कोई जर्मन – संस्कृत की बात आते ही यह मानी सी बात है कि जर्मन का संस्कृत ज्ञान आज के भारतीय शर्मन से बढ़कर होगा – पांछाटंत्रा के aspects समझाये तो फिर उसे यहाँ के मैनेजमेंट स्कूल्स में पढ़ाया जाये, फिर कान्वेंट स्कूल्स में पढ़ाया जाये और फिर यहाँ कोई उस मूल जर्मन से या अनुवादित इंग्लिश से हिन्दी अनुवाद कर के लिखे।
संस्कृत संहिता तब जर्मनी के किसी संग्रहालय में ही उपलब्ध होगी शायद और जर्मनी जानेवाले भारतीय टूरिस्ट उसे अपने बच्चों को काँच की खिड़की में से दिखाएंगे।
हंसिया हथौड़े वाले कामरेड लोगों ने हमारा क्या क्या नुकसान किया, अभी भी शक है आप को?
वैसे पंचतंत्र चौखम्भा या MBD के पास मिल जाएगा, या फिर नेट पर scanned pdf भी उपलब्ध है, नीचे दिए गए लिंक्स से डाउनलोड कर सकते हैं। हिन्दी अनुवाद भी है लेकिन जो दृष्टिकोण मैंने समझाने का प्रयास किया है उसके लिए आप को ही दिमाग लगाना पड़ेगा।
हिन्दी संस्करण का लिंक https://archive.org/details/PanchatantraSanskritHindi-JpMishra1910
अंग्रेज़ी संस्करण का लिंक https://archive.org/details/Panchatantra_Arthur_W_Ryder
हिंदी में क्यों नहीं मिलती वामपंथ को उघाड़ने वाली अच्छी पुस्तकें