दिल्ली के चोर

दिल्ली सल्तनत पर खिलजी वंश के अलाउद्दीन खिलजी का शासन था (ख़िलजी वंश 1230-1320 ईस्वी) की बात है दिल्ली में चोरों और ठगों ने आंतक मचाया हुआ था, इतने बेरहम थे वो ठग की सफर कर रहे राहगीरों से छदम व्यपारी या राहगीर बन दोस्ती गाँठ लेते और फिर रात होते ही उनको मार कर लूट लिया करते थे!

जनता त्राहि त्राहि कर उठी तब दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने अपने एक सेनापति को इन चोरों या ठगों से दिल्ली की जनता को राहत दिलाने को कहा उस सेनापति ने उसी बेहरमी से उन चोरों या ठगों का दमन किया और उनके कटे हुए सिरों से दक्षिण दिल्ली के अति पॉश इलाके हौजखास एनक्लेव में चुनवा कर एक मीनार का निर्माण करवाया जिसे ” चोर मीनार ” के नाम से जाना जाता है इस मीनार में 225 छेद है जो उन 225 ठगों के कटे हुए सिरों की समय के साथ गल जाने से खाली हुई जगह है.

सैकड़ो सालों बाद उसी दिल्ली में फिर से एक जन आंदोलन की आड़ में एक बहुत बड़े ठग गिरोह का उदय हुआ जिसने लोगों को मूर्ख बना कर रातों रात ना सिर्फ एक राजनीतिक दल खड़ा कर लिया बल्कि पूरे देश मे चुनाव भी लड़ डाले और उस दल का सरगना दिल्ली का सुल्तान भी बन बैठा.

जितने भी इमानदार (पार्टी के प्रति) और कर्मठ लोगों ने इस दल को खड़ा करने में अपना सर्वत्र दिया विनोद कुमार बिन्नी से लेकर योगिंदर यादव, प्रशांत भूषण, कैप्टन गोपीचंद, साजिया इल्मी, अंजली दमानिया, मंयक गांधी, प्रो. आनंद कुमार तक और कपिल मिश्रा से लेकर आशुतोष, खेतान और कुमार विश्वास तक लिस्ट बहुत लंबी है सब इसकी करतूतों और बेनकाब होते चेहरे को देख एक एक कर इसको छोड़ कर चलते बने.

इसके कई मंत्रियों और विधायकों रिश्तेदारों पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर कई सौ करोड़ की अघोषित संपत्ति के गंभीर मामले चल रहे हैं इस पर खुद राज्यसभा की टिकट करोड़ों में बेचने के संगीन आरोप है

वो तो इस देश का भगवान सीधा था जो ये थोड़ा जल्दबाजी कर गया और दिल्ली का CM बनते ही सीधा बनारस जा पहुंचा मोदी जी के खिलाफ चुनाव लड़ने और वहीं से इसकी पोल पट्टी खुलनी शुरू हुई कि कैसे ये सत्तारूढ़ दल जो चोरी के रिकॉर्ड बना चुका था, को छोड़ मोदी जी के खिलाफ ताल ठोक खड़ा हो गया था, वरना आज ये प्रधानमंत्री का दावेदार होता और जनता भी इसके बहकावे में आ चुकी होती.

आज इस ठग शिरोमणि को राफेल पर बोलता देख वो कहावत याद आ गयी “सूप बोले तो बोले, छलनी भी बोले जिसमें 72 छेद”.

– इकबाल सिंह पटवारी

नौकरशाही के साथ बदसुलूकी ने लगा दिया केजरीवाल की राजनीति पर पूर्ण विराम

Comments

comments

LEAVE A REPLY