देश की CBI में घमासान मचा है। ऊपर से देखने में लगता है कि सबसे बड़े दो अफसर लड़ रहे हैं। अंदर झांकने पर कहानी कुछ और है।
क्या है असली लड़ाई… सरल आसान शब्दों में सुनिए, समझिए, शेयर कीजिये।
देश की बड़ी शीर्ष संस्थाओं में शीर्ष पदों की नियुक्तियां प्रधानमंत्री के हाथ में नहीं होतीं… एक panel जिसे आप कोलेजियम भी कह सकते हैं, वो मिल के चुनता है।
उस panel में खुद प्रधानमंत्री, CJI बोले तो सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश… मुख्य सतर्कता आयुक्त यानी CVC बोले तो चीफ विजिलेंस कमिश्नर, लीडर ऑफ Opposition मने नेता प्रतिपक्ष, और गृहमंत्री जैसे लोग होते हैं, जो 3 या 5 लोगों में से किसी एक को चुनते हैं…
CBI director के पद पर इस पैनल ने आलोक वर्मा को चुन लिया। अब ये आलोक वर्मा निकले धुर मोदी एवं सरकार विरोधी, और कांग्रेस गांधी परिवार के पिट्ठू।
इस समस्या से निबटने के लिए मोदी सरकार अपने एक विश्वासपात्र अफसर को ले आई… इनका नाम राकेश अस्थाना… ये गुजरात काडर के IPS हैं, पहले अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत जैसे नगरों के कमिश्नर रह चुके हैं।
2002 में इन्होंने कुख्यात गोधरा कांड की सफलतापूर्वक जांच की, हिंदुओं को जला के मारने की सोची समझी सुनियोजित साज़िश का पर्दाफाश किया, दोषियों को पकड़ा और सज़ा दिलाई… मोदी ने इनको CBI में स्पेशल डायरेक्टर मने नंबर 2 बना के बैठा दिया।
अब आलोक वर्मा चूंकि कांग्रेसी है तो वो लगा एक-एक कर कांग्रेसियों की मदद करने। पी चिदंबरम, विजय माल्या, रॉबर्ट वाड्रा, लालू यादव परिवार सबको बचाने में लग गया… इन सबके खिलाफ जांच धीमी कर दी गयी या रोक दी गयी…
विजय माल्या का लुकआउट नोटिस इसी आलोक वर्मा की शह पर हल्का (Dilute) कर दिया गया और वो भाग गया, Aircell Maxis में दोषियों (चिदंबरम & family) के खिलाफ चार्जशीट दाखिल न हुई। IRCTC घोटाले में लालू के खिलाफ जांच रोक दी गयी।
ऐसे में राकेश अस्थाना ने इन तमाम मामलों की जांच अपने हाथ में ले ली और तेज़ी से काम करने लगे।
इस बीच आलोक वर्मा, प्रशांत भूषण, अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा से मिल के राफेल सौदे के दातावेज़ गैरकानूनी तरीके से जुटाने की साज़िश रचने लगे।
जैसे CBI ने दिल्ली में सीएम केजरीवाल के दफ्तर में छापा मार के उनके निजी सचिव को धर लिया, उसी प्रकार CBI Director, प्रधानमंत्री कार्यालय में तैनात एक अधिकारी के दफ्तर में छापा मार नरेंद्र मोदी को बदनाम करने का षड्यंत्र रचने लगा।
राकेश अस्थाना ने इस सारी साज़िश का भंडाफोड़ कर सरकार को आगाह कर दिया।
आलोक वर्मा ने खुद राकेश अस्थाना पर ही रिश्वत का आरोप लगवा के उनके खिलाफ FIR करा दी और उनके एक डिप्टी को बाकायदे गिरफ्तार कर 7 दिन के रिमांड पर ले लिया।
राकेश अस्थाना ने एक कदम आगे बढ़ते हुए अपने Director आलोक वर्मा के खिलाफ ही रिश्वत और भ्रष्टाचार की शिकायत CVC को कर दी…
जब दोनों शीर्ष अधिकारी ही एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगाने लगे तो सरकार हरकत में आयी और दोनों को जबरदस्ती छुट्टी पर भेज दिया, एक नए व्यक्ति नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक बना दिया और रात में डेढ़ बजे चार्ज भी दिलवा दिया…
आलोक वर्मा गुट/ गिरोह के कुल 18 CBI अफसरों का तबादला हुआ है जिसमें से कुछ को तो अंदमान और port blair ले जा के पटक दिया गया है…
राजनैतिक हलकों में इसे मोदी की एक और सर्जिकल स्ट्राइक माना जा रहा है। विपक्ष (कांग्रेस समेत पूरी सेक्युलर लॉबी) बुरी तरह बौखलाई हुई है…
आलोक वर्मा ने सभी विपक्षी नेताओं, गांधी परिवार, चिदंबरम और उसके बेटे, लालू और उसके बेटे, विजय माल्या… इन सबको बचाने का कुचक्र रचा हुआ था, विपक्ष भौचक है… उसे मोदी सरकार से ऐसी कड़ी कार्यवाही की उम्मीद न थी।
आलोक वर्मा अपनी खिलाफ हुई कार्यवाही के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं। उधर सरकार ने स्पष्ट किया है कि आलोक वर्मा और अस्थाना, दोनों को हटाया नहीं गया है बल्कि इनके खिलाफ लगे गंभीर आरोपों की जांच पूरी होने तक छुट्टी पर भेजा गया है…
CVC ने पूरे मामले की जांच के लिए एक SIT (विशेष जांच टीम) बना दी है।
क्या भारत के सर्वोच्च न्यायालय के गर्भ में गृह युद्ध व राष्ट्र का विनाश पल रहा है?