आज के मिलेनियल किड्स और डालडा जनरेशन शायद ही इस दीवानगी को समझ पाएं, जो ‘अमीता’ बच्चन ने हमारी पीढ़ी के लिए पैदा किया था. एक हिस्टीरिया, एक दीवानगी, एक जुनून.. एक मुसल्सल पागलपन और इसीलिए जब स्लमडॉग मिलेनियर में वह दृश्य आता है, जहां ‘अमीता’ बच्चन से ऑटोग्राफ लेने के लिए बच्चा शौच के कुंड में कूद जाता है, तो थोड़ा घृणास्पद तो लगता है, लेकिन “आउट ऑफ द वर्ल्ड” नहीं।
‘अमीता’ बच्चन के लिए लोग वैसा कर सकते हैं, मैं इसलिए दावे से कह सकता हूं कि मैं सेलेब्रिटी-पूजक तो छोड़िए, प्रशंसक भी नहीं हूं। मैंने आजतक किसी तथाकथित के साथ फोटू नहीं खिंचाई, ऑटोग्राफ की तो सोची भी नहीं… लेकिन, ‘अमीता’ बच्चन के साथ.. वह किस्सा और कभी।
पहले फिल्मी अभिनेता होते थे, फिर सितारा बने, फिर आया एक महानायक– ‘अमीता’ बच्चन और उसने सारा गणित उलट दिया। वन मैन इंडस्ट्री तो आजतक कोई नहीं हुआ। आज ये साले खान-वान जो मुंह उठाकर गाने पहुंच जाते हैं, कॉमेडी करने लगते हैं, ये सब अमितजी की ही तो कारस्तानी है। तीन घंटे की फिल्म में साढ़े तीन घंटे तक परदे पर कैसे रहना है, ये उन्होंने ही सिखाया।
आज जो ये बंदर जैसी नाक वाला शाहरुख रोमांस का बादशाह है, उसे दस-बीस बार सिलसिला देखनी चाहिए, रोमांस क्या होता है, पता चल जाएगा। कॉमेडी के जो कर्णधार अक्षय और अजय देवगण आदि हैं, उनको अमर-अकबर-एंथनी का वह आईने वाला दृश्य देखना चाहिए, कॉमेडी क्या होती है… पता चल जाएगा। स्टाइल क्या होता है, यह सीखना हो तो अमितजी को देखिए, ग्रेस क्या होता है, जानना हो तो बच्चन साब को देखिए!!!
इनसे जुड़ी याद इसलिए भी बेहद अहम है कि 1994 में मैट्रिक परीक्षा के ठीक पहले जो बाबूजी द्वारा दुर्धर्ष पिटाई का कार्यक्रम हुआ था, वह स्कूल से भागकर इन्हीं महाशय जी की फिल्म ‘राम-बलराम’ देखने के बाद हुआ था।
मां जब रोकर हल्दी मिला दूध दे रही थी, तो मैं उनको बता रहा था– ‘माय, की काम कैलकइ हन अमिताभ बच्चन… गजब’ और फिर, वो बदले में अभगला, बेहूदा टाइप आशीर्वचनों से मुझे नहला रही थीं….।
खैर, इन महाशय को पता भी नहीं चलेगा कि घर के लिए सब्जी लाते वक्त बेईमानी, हॉल की टूटी कुरसी पर आधे में लटके हुए बैठना और न जाने कितने बलिदान हमने इनके लिए किए होंगे।
बहरहाल, महानायक एक ही था, है और रहेगा।
न भूतो, न भविष्यति….
आपको जन्मदिन की शुभकामनाएं… आगे भी आप ‘खान’दानों की छाती पर यूं ही मूंग दलते रहें….।
जन्मोत्सव : रेखा जहां पर ख़त्म होती है, वहां से शुरू होते हैं अमिताभ