2017 का पंजाब का विधानसभा चुनाव याद है?
अकाली दल-भाजपा सरकार 10 साल की सत्ताविरोधी लहर (Anti Incumbency) झेल रही थी और उसका जाना तय था।
कांग्रेस अंतर्कलह से जूझ रही थी। आम आदमी पार्टी के रूप में एक तीसरी राजनीतिक शक्ति का उदय हो चुका था जिसे खालिस्तानियों का और मूर्ख हिन्दू अपोलों का जबरदस्त जनसमर्थन हासिल था।
ऐसे में कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने दिल्ली में बैठी नकारा हाइकमान से विद्रोह कर दिया… ‘हमको कमान दो पंजाब कांग्रेस की, वरना हम तो चले… अलग पार्टी बना के अमित शाह से प्रेमालाप करेंगे…’
यहां कमान देने का मतलब होता है कि ‘मुख्यमंत्री का चेहरा मैं रहूँगा, टिकट वितरण भी मैं करूंगा… यानी पार्टी मेरी।’
कप्तान साब का कद पार्टी में इतना बड़ा था कि दिल्ली हाई कमान को घुटने टेकने पड़े। एक बार जब उसने घुटने टेक दिए तो अमरेंद्र सिंह ने राहुल G से स्पष्ट कह दिया… ‘पंजाब में घुसने की ज़रूरत नहीं है… हम सब सम्हाल लूँगा…’, और उन्होंने सम्हाल भी लिया।
राजस्थान में भी वसुंधरा राजे सरकार का जाना तय था। जनता में उनके खिलाफ व्यापक नाराज़गी थी। हालांकि इस नाराज़गी का कोई आधार नहीं, सिर्फ वसुंधरा राजे की Arrogance और public perception ही इस नाराज़गी का कारण हो सकती है… बहरहाल।
कांग्रेस के कुछ समझदार लोगों का विचार था कि राजस्थान में विजय आसानी से मिल जाएगी… इसलिए इसमे राहुल गांधी को झोंकने की ज़रूरत नहीं है… लड़ाई सिर्फ वसुंधरा राजे vs सचिन पायलट रहने दो।
एक दूसरी लॉबी का मत था कि पिछले 4 साल में राहुल G के खाते में एक भी जीत दर्ज नहीं है। 2014 का लोकसभा और फिर उसके बाद एक के बाद एक बीसियों राज्यों में शर्मनाक हार उनके नाम दर्ज हैं। एक पंजाब जीते पर वो जीत अमरेंद्र सिंह की है न कि राहुल G की… ऐसे में यदि कांग्रेस राजस्थान जीतती है तो उसका सेहरा राहुल G के सिर बंधना चाहिए न कि सचिन पायलट के।
इस मजबूरी के चलते राहुल G को राजस्थान में उतार दिया गया। अब बड़ा पहलवान दंगल में आ तो गया… पर उसकी कुश्ती किससे हो?
राजनीतिक समझदारी तो ये कहती है कि लोगों में नाराज़गी वसुंधरा राजे से है तो निशाने पर भी उन्हीं को रखा जाए… पर अब बड़ा पहलवान, भला दो नंबर के पहलवान से लड़े?
सो पिद्दी पीलवान ने वहां मोदी जी को ललकार दिया… ये एक भीषण गलती थी… तब, जबकि जनता को मोदी जी से न कोई शिकवा न शिकायत न गिला है…
दूसरी बात ये कि सिर्फ भारत नहीं, बल्कि सारी दुनिया ये जानती मानती है कि मोदी में और कोई दुर्गुण बेशक हो पर वो चोर नहीं हैं… उसकी देशभक्ति पर कभी कोई सवाल उठ ही नहीं सकता…
कांग्रेस ने राजस्थान में सबसे बड़ी गलती तो ये की कि वहां –
1. राहुल G को भेज दिया,
2. राहुल G ने वहां लड़ाई का फोकस वसुंधरा से हटा कर मोदी पर कर दिया,
3. राहुल G ने मोदी की निष्ठा ईमानदारी पर सवाल उठा दिया… उन्हें चोर तक कह दिया…
हालांकि इस ‘चोर’ वाले बयान के पीछे भी कहानी कुछ और ही है… original script में ये चोर वाली लाइन नहीं थी… सिर्फ राफेल सौदे पर सवाल खड़े करने थे…
उधर मोदी जी और टीम भाजपा गांधी परिवार की तरफ से एक ढीली गेंद (गलती) का इंतज़ार कर रही थी… जैसे पूर्व में ‘मौत के सौदागर’ और ‘नीच’ इत्यादि गलती रूपी गेंदों पर मोदी जी सिक्स मार के इनको छक्का बना चुके थे, वैसे ही एक loose delivery का इंतज़ार था…
बताया जाता है कि राहुल G इतने बड़े ‘बुद्धिमान’ हैं कि उनके मुंह से कुछ भी बुलवाया जा सकता है… कहा तो यहां तक भी जाता है कि राहुल बाबा के खास सलाहकारों में भी मोदी ने अपने आदमी घुसा रखे हैं!
4. बहरहाल, राजस्थान में अब लड़ाई वसुंधरा राजे vs सचिन पायलट न हो कर, मोदी vs राहुल G हो गयी है।
आम कांग्रेसी एक बात कहता है वहां… लड़ाई में वसुंधरा तो शायद पायलट से हार भी जातीं… पर सीधी आमने सामने की लड़ाई में मोदी को हराने वाला अभी तक तो नही जन्मा है…
ऐसा मेरा अनुमान है कि जब चुनाव अभियान तेज़ होगा तो राहुल G की हर सभा में भाजपा द्वारा planted लोग ‘मोदी चोर है चोर है’ का शोर मचाएंगे… राहुल चाह के भी उन्हें चुप नही करा पाएंगे।
मोदी जी में इतना राजनीतिक कौशल और चातुर्य तो है कि वो जहां जाते हैं, अकेले 6 से 8% swing भाजपा के फेवर में ले आते हैं। और इसी 6% की तो सारी लड़ाई है…
राजस्थान में लड़ाई चूंकि अब मोदी vs राहुल हो गयी है, इसलिए बाज़ी पलट गयी है। कांग्रेस ने एक जीता हुआ राज्य फंसा दिया है। Advantage BJP.