तस्वीर मुम्बई के कुर्ला इलाके के रहने वाले एक चित्रकार नितिन महादेव यादव की है। नितिन को प्यार से “आधा पुलिसवाला” भी कहा जाता है।
नितिन मात्र 5’वीं कक्षा के छात्र थे जब उनके पिता ने उनमें चित्रकारी की अद्भुत प्रतिभा देखी। नितिन ने कागज़ को बीस रुपये के नोट के आकार में काटा और अपने पेंट ब्रश की मदद से उसे हूबहू असली नोट जैसा पेंट कर दिया।
उस नोट को लेकर नितिन एक होटल में गये और काउंटर पर वह नोट पकड़ा दिया। नोट इतना हूबहू पेंट हुआ था के सामने खड़े व्यक्ति ने उसे असली नोट समझ कर रख लिया। जब नितिन ने बताया के वह नोट नकली है तो सभी लोग पांचवीं कक्षा के इस छात्र की प्रतिभा का लोहा मान गये।
नितिन ने इसी कला में जीवन यापन का माध्यम ढूंढ लिया। कभी साइनबोर्ड तो कभी बैनर पेंट करने का काम मिलता रहा और नितिन का खर्चा पानी निकलता रहा।
एक रोज़ नितिन मुम्बई के ही एक पुलिस स्टेशन में नेमप्लेट पेंट कर रहे थे। थाने में एक मर्डर केस आया । मर्डर का गवाह होटल में काम करने वाला एक वेटर था। पुलिस उससे मर्डर करने वाले व्यक्ति का हुलिया पूछ रही थी और वेटर समझा नहीं पा रहा था। नितिन थानेदार के पास गये और उनसे कहा के अगर वह वेटर को केवल आधा घंटा उसके साथ बैठने दें तो वह मर्डर करने वाले व्यक्ति का हूबहू स्केच तैयार कर सकता है।
पहले थानेदार ने नितिन की बात को मज़ाक में लिया पर नितिन के बार बार आग्रह पर थानेदार मान गया।
उसके बाद जो हुआ वह चमत्कार था। वेटर से मर्डर करने वाले का हुलिया पूछने के बाद नितिन ने थानेदार के हाथ मे एक स्केच पकड़ाया।
थानेदार ने वेटर को स्केच दिखाया तो सबके होश उड़ गये। वह चेहरा हूबहू मर्डर करने वाले व्यक्ति से मिलता था।स्केच की मदद से 48 घंटे के अंतराल में आरोपी पकड़ा गया। सारा पोलिस महकमा अब नितिन का मुरीद बन चुका था।
नितिन अब मुम्बई पोलिस के लिये संजीवनी बूटी बन चुके थे। हर एक केस में नितिन के स्केच ऐसी जान फूंक देते के पुलिस उसे आसानी से सुलझा लेती।
बीते 30 वर्ष के अंतराल में यादव पुलिस के लिये करीबन 4000 से अधिक स्केच बना चुके हैं।
उल्लेखनीय है के केवल यादव के बनाये हुई तस्वीर की बदौलत मुम्बई पुलिस 450 से अधिक खूंखार से खूंखार अपराधी को गिरफ्तार कर चुकी है।
अब उस विषय पर आता हूँ जिसके लिये यह पूरा लेख लिखा गया है।
30 साल में एक भी स्केच या तस्वीर बनाने के लिये नितिन ने पुलिस या किसी भी अन्य व्यक्ति से “एक नया पैसा ” भी नहीं लिया है।
बारबार पुलिस महकमे के बड़े से बड़े अफसर ने नितिन को ईनामस्वरूप धनराशि देने का प्रयास किया पर नितिन ने एक रुपया भी लेने से इनकार कर दिया।
नितिन मनोहर यादव चेम्बूर एडुकेशन सोसाइटी के एक स्कूल में शिक्षक रहे । जो तनख्वाह आती उसी से गुज़र बसर करते रहे।
पुलिस वाले नोटों की गड्डियां लेकर पीछे पीछे घूमते रहे और नितिन हर बार हाथ जोड़ कर पैसे लेने से मना करते रहे।
वह कहते हैं के स्केच बना कर वह एक तरह से राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं। असामाजिक तत्वों की पहचान होती है तो वह सलाखों के पीछे जाते हैं।
नितिन 30 साल तक अपना काम राष्ट्र सेवा के भाव से करते रहे और आज भी एक बुलावे पर सब कामकाज छोड़ कर हाज़िर हो जाते हैं। 30 साल की इस सेवा में नितिन को करीबन 164 प्रतिष्ठित संस्थाओं ने सम्मानित किया है।
नितिन बड़े फक्र से सम्मानपत्र और ट्रॉफी दिखाते हुये कहते हैं ….
“यही मेरी कमाई है। यही मेरी जमापूंजी है ”
कभी कभी लगता है के यह राष्ट्र कैसे चल रहा है। चहुंओर बेईमानी का दबदबा है। चहुंओर भृष्ट आचरण का बोलबाला है।
फिर किसी दिन नितिन माहादेव यादव जैसे किसी समर्पित व्यक्ति के विषय मे पढ़ कर ऐसा लगता है के राष्ट्र के प्रति समर्पित यादव जैसा एक व्यक्ति भी हज़ारों बेईमानों पर भारी है।
नितिन यादव का ईमेल आईडी साझा कर रहा हूँ। संभव हो सके तो इस निष्ठावान व्यक्ति तक अपनी शुभकामनाएं अवश्य पहुंचायें।
nitinmahadevyadav@gmail.com