काश हिंदुओं ने ‘हिन्दू ब्रदरहुड’ के बारे में सोचा होता!
हिंदुओं ने उस आरएसएस के लिए प्राण न्योछावर किए… जो अंततः महात्मा बुद्ध, गांधी और सेकुलरिज़्म के आदर्शात्मक उद्देश्यों को समर्पित हो गया।
आज भाजपा और आरएसएस… मोमिन/ दलित वोटों की चाह में… हिंदुत्व के नव पल्लवित पुष्प की कलियां बिखेरने पर आमादा हो चुके हैं।
भाजपा और आरएसएस द्वारा स्खलन की वर्जनाओं को तोड़ने के बाद भी मोमिन और दलित… जहां मौका लगता है… सरे आम हिन्दू देवी देवताओं की प्रतिमाओं/ चित्रों पर थूकते हैं…
दसियों वीडियो मिलेंगे, जहाँ ये तत्व शिवलिंग और शिव प्रतिमाओं को अपमानित करते, हिंदुओं को चिढ़ाते हैं… कोई अरेस्ट नहीं होता… किसी के खिलाफ कार्यवाही नहीं होती… मगर जंतर-मंतर पर संविधान की विसंगतियां बताने वाले जेल में बंद हैं।
बहरहाल… जर्मनी और अब इंग्लैंड में राहुल गांधी ने खुलेआम आरएसएस की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से कर… एक बार फिर आरएसएस और भाजपा को आत्मावलोकन का अवसर दे दिया है कि अपने मूल से हटने और तुष्टिकरण की सारी सीमाओं को तोड़ने के बावजूद कांग्रेस, सेकुलर, दलितों और मोमिनों से अच्छाई/ प्रशंसा की चाहत रखना व्यर्थ होगा… इस प्रत्याशा में आरएसएस और भाजपा ने हिंदुत्व की जमकर मानहानि/ उपेक्षा की है।
हम हिंदुओं ने अपने लिए क्या मांगा था?
हिंदुओं ने अपने लिए आरक्षण और समृद्धि नहीं मांगी थी। यदि हिन्दू कश्मीर से 35 A/ 370 हटाने की इच्छा रखता है तो क्या गलत करता है? इससे देश ही तो मज़बूत होगा… सैनिकों के प्राण बचेंगे।
हिन्दू अगर यह कहता है कि सबके लिए संविधान और कानून एक होना चाहिए, क्या गलत मांगता है? भगवान श्रीराम का जन्मस्थल अयोध्या… इस देश का सबसे बड़ा तीर्थस्थल है यदि वहां हज़ारों वर्ष से स्थापित श्रीराम मंदिर स्थापित हो तो यह पाप तो नहीं है।
दरअसल हम हिंदुओं का डीएनए ही विवादास्पद है… सनातन हिंदुत्व से विश्वासघात का है।
खुद ही देखिए कि हिंदुत्व को सबसे ज़्यादा अपशब्द कहने वाले हिन्दू ही तो हैं… ममता बनर्जी से लेकर मनीष तिवारी तक… मायावती से लेकर नरेंद्र मोदी तक… हां, गालियों के नाम बदल जाते हैं… कोई दुर्गापूजकों को गाली देता है तो कोई गौरक्षकों को!
कांग्रेसी नेता मनीष तिवारी के पिता डाक्टर वी एन तिवारी एक प्रख्यात शिक्षाविद थे… खालिस्तानी आतंकियों ने 1984 में उनकी हत्या कर दी थी…
मग़र एक हिन्दू के गिरने और पतन की सीमा देखिए… कि यही मनीष तिवारी, राजनीतिक लाभ की चाहत में पिछले 20 वर्ष से आरएसएस को गालियां देते चले आ रहे हैं…
आजतक आपने खालिस्तानी आतंकवाद के विरुद्ध मनीष के श्रीमुख से एक भी शब्द नहीं सुना होगा… यही मनीष तिवारी आरएसएस को आतंकवादी और ISIS के समकक्ष रखने वाले राहुल गांधी के भाषणों के प्रेरक हैं… हार्ड कॉपी हैं…
हज़ारों वर्षों के कालखंड में 70 वर्ष क्या महत्व रखते हैं?… कुछ नहीं…
मनीष तिवारी जैसे हिंदुओं और सत्ता के शीर्ष पर बैठे नवोदित सेकुलरों की कारगुज़ारियों से हम फिर रौंदे जाएंगे… वह दिन खास दूर नहीं है… कश्मीर को देखिए… जनाब!
साथ देना चाहिए अस्तित्व का युद्ध हारती लुप्तप्राय-हिन्दू प्रजाति का