राहू जिसे तारे उसे कौन मारे, राहू जिसे मारे उसे कौन तारे
राहू ससुराल है।
राहू वह धमकी है जिससे आपको डर लगता है।
जेल में बंद निर्दोष कैदी भी राहू है।
राहू सफाई कर्मचारी है।
स्टील के बर्तन राहू के अधिकार में आते हैं।
हाथी दन्त की बनी सभी वस्तुएं राहू के रूप हैं।
रास्ते का पत्थर राहू है।
राहू वह मित्र है जो पीठ पीछे आपकी निंदा करता है।
दत्तक पुत्र भी राहू की देन होता है।
नशे की वस्तुएं राहू हैं।
दर्द का टीका राहू है।
अस्पताल का पोस्ट मार्टम विभाग राहू है।
राहू मन का वह क्रोध है जो सालों के बाद भी शांत नहीं हुआ है।
न लिया हुआ बदला भी राहू है।
शेयर मार्केट की गिरावट राहू है उछाल केतु है।
ताला लगा मकान राहू है।
बदनाम वकील भी राहू है।
मिलावटी और सस्ती शराब राहू है।
राहू वह धन है जिस पर आपका कोई हक़ नहीं है या जिसे अभी तक लौटाया नहीं गया है।
यदि आपकी कुंडली में राहू अच्छा नहीं है तो किसी से कोई चीज़ मुफ्त में न लें क्योंकि हर मुफ्त
की चीज़ पर राहू का अधिकार होता है।
लेने वाले का राहू और खराब हो जाता है और देने वाले के सर से राहू उतर जाता है।
बेटी को भी स्टील के बर्तन अपने मायके से नहीं लेने चाहिये।
राहू के बारे में कहावत है – “राहू जिसे तारे उसे कौन मारे, राहू जिसे मारे उसे कौन तारे” !!!
– साभार
किस नगर में निवास करें?
नारदपुराण ( पूर्व० 56/542) में आया है कि पूर्व, उत्तर और ईशान दिशा में नीची भूमि सब मनुष्यों के लिए अत्यंत वृद्धिकारक होती है। अन्य दिशाओं में नीची भूमि सबके लिये हानिकारक होती है।
सुग्रीव के राज्याभिषेक के बाद भगवान् श्री राम ने प्रस्रवणगिरी के शिखर पर अपने रहने के लिए एक गुफा चुनी। उस गुफा के विषय में वे लक्ष्मण से कहते है–
प्रागुदक्प्रवणे देशे गुहा साधु भविष्यति।
पश्चाच्चैवोन्नता सौम्य निवातेयं भविष्यति॥
( वाल्मीकि०, किष्किंधा० 27/12 )
‘सौम्य! यहाँ का स्थान ईशानकोण की ओर से नीचा है, अतः यह गुफा हमारे निवास के लिए बहुत अच्छी रहेगी। नैऋत्यकोण की ओर से ऊँची यह गुफा हवा और वर्षा से बचाने के लिए अच्छी होगी।’
कहाँ निवास करना चाहिए, इसका समाधान निम्न प्रकार किया जाता है–
1. अपने नाम की राशि से दूसरी, पाँचवी, नवीं, दसवीं तथा ग्यारहवीं राशि वाले मकान में निवास करना, घर बनाना शुभ होता है, शेष राशि वाले ग्राम-शहर में निवास नहीं करना चाहिए।
उदाहरण– रामप्रकाश मेरठ में निवास करने चाहते है। रामप्रकाश की राशि तुला तथा मेरठ की राशि सिंह है। तुला राशि से गिनती करने पर सिंह राशि ग्यारहवीं राशि बैठती है इसलिए निवास शुभ होगा घर बना लेना चाहिए।
2. इस विधि में सर्वप्रथम अपने वर्ग एवं उनके अंकों की आवश्यकता पड़ती है।
* वर्ग, संख्या, दिशा, अंक ( चित्र संख्या – 1 ) में देखें –
1. प्रथम विधि
वर्ग शत्रु–मित्र से शुभा–शुभ– प्रत्येक वर्ग–स्वामी अपने से पाँचवें वर्ग–स्वामी से शत्रुता रखता है।
जैसे रामप्रकाश का वर्ग मृग है तथा मेरठ का वर्ग मूषक है जो मृग से आठवाँ पड़ता है अतः शुभ है। परंतु यदि रामप्रकाश जगाधरी में निवास करना चाहेगा तो अशुभ होगा क्योंकि जगाधरी का वर्ग सिंह है जो मृग से पाँचवाँ है एवं उसका शत्रु है। इसलिए वर्ग का विचार करके ही निवास करना चाहिए।
2. द्वितीय विधि
काकिणी विचार–अपनी काकिणी– अपने वर्ग की संख्या द्विगुणित ( दुगना ) करके वांछित वर्ग ( नगर ) की संख्या को जोड़कर उसमें आठ भाग देने से शेष अपनी काकिणी होती है।
ग्राम काकिणी–ग्राम की वर्ग संख्या को द्विगुणित कर उसमें अपने नाम की वर्ग संख्या को जोड़कर आठ का भाग देने से शेष ग्राम की काकिणी होती है।
अधिक काकिणी वाला ऋणी तथा कम काकिणी वाला धनी होता है। इस प्रकार ऋणी काकिणी वाला हानि की स्थिति में होता है। जबकि धन काकिणी वाला लाभ की स्थिति में होता है।
अतः जिस ग्राम-शहर में बसना हो उसकी काकिणी ऋणी होनी चाहिए, तभी वह लाभप्रद होगा।
उदाहरण–दुर्गेश कुमार मेरठ में बसना चाहता है। दुर्गेश का वर्ग सर्प तथा वर्ग संख्या 5 है।
मेरठ के वर्ग मूषक तथा वर्ग संख्या 6 है।
उपरोक्त के अनुसार दुर्गेश की धनी काकिणी होगी।
5×2 = 10+1 = 11 ÷ 8 = 1 लब्धि 3 शेष काकिणी होगी।
मेरठ की काकिणी होगी–
6×2 = 12+5 = 17 ÷ 8 = 2 लब्धि 1 शेष काकिणी
चूंकि मेरठ की काकिणी कम है दुर्गेश की काकिणी अधिक है इसलिए मेरठ दुर्गेश के द्वारा लाभ प्राप्त करेगा तथा दुर्गेश को मेरठ से हानि होगी। इसलिए दुर्गेश को मेरठ में घर नहीं बनाना चाहिए।
3. नगर के किस कोण में ( दिशा ) में घर बनाएँ
इसका सीधा सा गणित है की अपने वर्ग से पाँचवें वर्ग की दिशा ( शत्रु दिशा ) में मकान नहीं बनाना चाहिए।
उदाहरण– दुर्गेश की राशि मीन है। जिसका वर्ग सर्प एवं दिशा पश्चिम है।
दुर्गेश पूर्व में घर बनाना चाहता है जिसका स्वामी गरुड़ दुर्गेश के वर्ग-स्वामी सर्प से बैर रखता है,इसलिए उसे पूर्व में घर नहीं बनाना चाहिए।
इसकी द्वितीय विधि निम्न प्रकार होगी–
* राशि, निषिद्ध दिशा ( चित्र संख्या -2 ) में देखे–
ग्राम-निवास नक्षत्र विचार
जिस नगर में निवास करना हो उसके एवं अपने नक्षत्रों का विचार भी आवश्यक होता है। किस नक्षत्र के नगर में निवास करना चाहिए। इसका विचार निवासकर्ता के जन्म नक्षत्र से नराकार चक्र द्वारा किया जाता है। इस विषय में वास्तुशास्त्र का कथन है कि–
मस्तके पंचलाभाय मुखे त्रीणी धनक्षय:।
कुक्षौ पच धनं धान्यं षट्पादे स्त्रीदरिद्रता॥
पृष्ठे चैकं पादहानिर्नाभौ चत्वारि संपद:।
गुह्ये चैकं भयं पीड़ां हस्त चैकंतु क्रंदनम्॥
वामें चैककरे भेदो ग्रामचक्रं नराकृति:।
गणयेज्जन्मनक्षत्रं ग्रामनक्षत्रतस्सतदा॥
अर्थात् एक मानव आकृति का निमार्ण करे ( कागज पर चित्र बना लें ) तथा चित्रानुसार उसमें नगर के नाम के नक्षत्र से गणना प्रारंभ करके समस्त 27 नक्षत्रों की स्थापना कर दें। तत्पश्चात् अपना जन्म-नक्षत्र देखें कि किस अंग पर है। उसी के अनुसार फल समझे। नक्षत्र रखने की संख्या निम्न चक्रानुसार होगी–
* स्थान, नक्षत्र संख्या, फल ( चित्र संख्या –3 ) में देखे–
अर्थात् वासकर्ता का जन्म-नक्षत्र जिस अंग पर पड़े उसी के अनुसार फल समझना चाहिए। यदि अशुभ स्थान पर हो तो उस नगर में वास नहीं करना चाहिए।
उदाहरण–मेरठ का नक्षत्र मघा है। इसमें प्रारम्भ करके पाँच नक्षत्र मस्तक पर तथा अगले 3 नक्षत्र मुख आदि पर स्थापित किये तो दुर्गेश का जन्म–नक्षत्र उ० भा० चरणों पर आया। इसका तात्पर्य होगा कि यदि दुर्गेश मेरठ में निवास करेगा तो उसे स्त्री की हानि होगी।इसी प्रकार अन्य फल भी समझने चाहिए।
* मानव आकृति पर नक्षत्र गणना ( चित्र संख्या –4 ) में देखे–
ईशान में चरकी, आग्नेय में विदारी, नैऋत्य में पूतना और वायव्य में पापराक्षसी निवास करती है।इसलिए गाँव के कोनों में निवास करने से दोष लगता है।
नारदपुराण
स्कन्दपुराण के वैष्णवखण्ड में आया है कि भूमि प्राप्त करने के इच्छुक मनुष्य सदा ही इस मन्त्र का जप करना चाहिए–
ॐ नमः श्रीवराहाय धरण्युद्धारणाय स्वाहा।
– निशा द्विवेदी
प्रसिद्ध वास्तुविज्ञ हर्षल खैरनार के वास्तु टिप्स
घर के सदस्यों में अगर क्लेश, कलह ज़्यादा होते हों तो कबूतर के सूखे मल को नारियल के बालों के गुच्छे पर डालकर घर में उसका धुआँ करें, ये हफ़्ते में 2-3 बार करें। क्लेश ख़त्म हो जायेगा।
मास्टर बेडरूम घर के नैऋत्य यानि दक्षिण पश्चिम कोने में होना चाहिए। सोते समय सिर दक्षिण या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। नैऋत्य कोण में भार होना चाहिए। नैऋत्य कोण में गड्ढा, सेप्टिक टैंक, पानी की टंकी, तहखाना आदि नहीं होना चाहिए।
अगर बहुत ज़्यादा भार न हो या नैऋत्य कोण हल्का हो तो ये प्रयोग करें। हाथी का एक ठोस पुतला लाएँ, उसे बाएँ हाथ में रखें, दाहिना हाथ उसके ऊपर रखें और 9 बार कहें कि – “नैऋत्य कोण भारी हो गया है और नैऋत्य कोण के समस्त लाभ मेरे वास्तु को प्राप्त हो रहे हैं” ऐसा बोलकर हाथी के पुतले को वहाँ रख दें। ये प्रतीकात्मक रूप से नैऋत्य कोण को भारी करेगा।
चलते समय जूतों या चप्पलों से तेज़ आवाज़ नहीं करना चाहिए, इससे आर्थिक, शारीरिक हानि होने की संभावना रहती है।
अकसर लोगों को धन प्राप्ति में समस्याएं आती हैं या धन आने के बावजूद उसमें बरक़त नहीं रहती। धन की स्थिरता नहीं रहती है। उसका कारण ये है कि हमारे पास धन कई तरह के व्यक्तियों से आता है। किसी अशुभ व्यक्ति के हाथ से आया हुआ धन हमें इस तरह की समस्याएं देता है। इस समस्या के निदान के लिए विभिन्न प्रकार के यंत्रों को मिलाकर दो तरह की पोटली का निर्माण किया गया है।
इन पोटलियों को पूजा विधि से वर्ष में एक बार केवल दीवाली के दिन ही तैयार किया जाता है। दीवाली के अलावा ये पोटली तैयार नहीं की जाती है।
पीली पोटली को छोटी सी पूजा विधि अपने घर पर करने के पश्चात् बहते पानी में छोड़ देना है और लाल पोटली को अपनी तिजोरी, गल्ले या कैश बॉक्स में रखना है। पोटली को हर वर्ष दीवाली पर बदलना है।
व्यापार को गति प्रदान करने के लिए भी पोटली बहुत उपयोगी है। अगर आपके पास एक से अधिक दुकान, फैक्ट्री, ऑफिस हैं तो आपको केवल लाल पोटली ही अतिरिक्त लेना है।
7 दिनों में पोटली के फल आना शुरू हो जाते हैं, यह पूरी तरह से प्रमाणित एवं गारंटीड है।
एक ख़ास बात आज आप मित्रों से शेयर कर रहा हूँ। मोदी जी भी पिरामिड यंत्रों का इस्तेमाल करते हैं और बहुत पहले एक इंटरव्यू में इन्होंने इसे स्वीकार भी किया है। हाल फिलहाल में इसके दो प्रमाण भी उन्होंने दिए हैं।
सभी अंकों में 9 सबसे बड़ी संख्या है। नोटबंदी लागू होने की तारीख़ भी 9 है और 15 अगस्त को ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की घोषणा के समय अपने भाषण में भी उन्होंने 9 लोगों को ही स्वच्छता मिशन में साथ जोड़ने के लिए कहा था।
पिरामिड यंत्रों का उपयोग करते समय भी 9 का ही प्रयोग होता है। जिन मित्रों ने मुझसे यंत्र मंगाए हैं और वास्तु दोष निवारण करवाया है वे इसे जानते हैं। अपने लेख में मैंने भी अक़्सर 9 पर ही ज़ोर दिया है। 2002 दंगों के बाद सभी तरफ़ से आलोचना और दबाव झेल रहे मोदी जी को इस अति नकरात्मकता से बचने और आगे बढ़ने में पिरामिड यंत्रों का भी योगदान था। जो कि मोदी जी आज भी उपयोग करते हैं। मोदी जी को ये यंत्र और सलाह मेरे परम गुरु डॉ जितेन भट्ट जी ने स्वयं दी थी।
रक्षा पिरामिड मैजिक
पायरा वास्तु कंसलटेंट
वास्तु विशेषज्ञ हर्षल खैरनार से संपर्क के लिए कृपया यहाँ ईमेल करें – editor@makingindiaonline.in
ज्योतिषाचार्य राहुल सिंह राठौड़ के विषय में यूं तो मेकिंग इंडिया में बहुत सारे लेख प्रकाशित किये गए हैं, जिनमें से कुछ की लिंक्स यहाँ दी जा रही हैं। उनके संपर्क के लिए आप इस पते पर उन्हें ईमेल कर सकते हैं- editor@makingindiaonline.in
राहुल सिंह राठौड़ बताते हैं कि –
यह ग्रहों की बिलकुल सटीक स्थिति बताने वाली रशियन वेबसाइट है। यह अपना डाटा सीधे नासा से मंगवाता है, इसलिए इसके ग्रहों की स्थिति का कैलकुलेशन अन्य सॉफ्टवेयर की तुलना में अधिक सटीक है। राहू जिसे लगभग सभी सॉफ्टवेयर हमेशा वक्री ही दिखाते हैं, वह हमेशा वक्री नहीं होता है। वह बहुत कम समय के लिए ही सही मार्गी भी होता है और स्थिर भी होता है। राहू की वास्तविक स्थिति जानने के लिए मुझे इस वेबसाइट को विज़िट करना पड़ता है। मैं जब भी इस वेबसाइट को देखता हूँ आह्लादित हो जाता हूँ कि जिस रशियन वेबसाइट ने अंग्रेज़ी भाषा तक को अछूत बना रखा है, उसके फ्रंट पेज के ऊपर में भगवती श्री राधा जी और भगवान श्री कृष्ण जी के युगल जोड़ी की सुन्दर तस्वीर लगी हुई है।
– मेकिंग इंडिया डेस्क से
जीवन-मुक्ति : ज्योतिष शास्त्र और स्वप्न जगत के संदेशों का रहस्य