मैं डंके की चोट पर देशभक्त हूं, समझता हूं कि आप सभी हैं। सेक्यूलर होना ज़रूर आज की तारीख में गाली हो गया है। सिर्फ़, भारत में ही नहीं, पूरी दुनिया में।
अमरीका, चीन, फ़्रांस जैसे देशों ने इस्लामिक आतंकवाद के मद्देनज़र, मुस्लिम तुष्टिकरण वाले इस सेक्यूलरिज़्म को पूरी ताकत से डस्टबिन में डाल दिया है। इस को गाली बना दिया है। लेकिन देशभक्त होना दुनिया में कहीं भी गाली नहीं है।
हां, जब से नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री हुए हैं तो कुछ ख़ास पॉकेट के लोगों ने नरेंद्र मोदी की नफ़रत में बीमार हो कर देशभक्त को गाली बताने का काम बड़ी बेशर्मी से करना शुरू किया है। इन बीमार लोगों को जानना चाहिए कि यह देश सिर्फ़ एक नरेंद्र मोदी का नहीं है। हम सब का है।
आप को अपनी नफ़रत में डूब कर, देशभक्त कहलाने में शर्म आती है तो शर्माइए अपनी बला से लेकिन हम आप को देशभक्त को गाली वाला शब्द नहीं बनाने देंगे। पूरी ताकत से आप की इस नाजायज़ हरकत का विरोध करेंगे, आप की सख्त निंदा करते हैं इस मूर्खता और धूर्तता के लिए।
आप को अपने पिता पर, अपने पुरखों पर, अपने देश पर शर्म आती है तो, यह आप की बीमारी है। हो सके तो इस का इलाज कीजिए। लेकिन हर किसी पर अपनी इस बीमारी की छुआछूत फैलाना बंद कीजिए।
और जो यह सब गलत लगता है तो आप बने रहिए गद्दार, किसी डाक्टर ने कहा है कि देशभक्त बनिए।
क्यों कि आप की राय में तो देशभक्ति गाली है, हिटलर के समय से है। और कि आप की राय में यह देश सिर्फ़ भाजपाइयों का है, वही देशभक्त हैं, वही देशभक्ति का सर्टिफिकेट बांटते फिरते हैं। आप को किसी से सर्टिफिकेट भी नहीं चाहिए।
तो आप की इस धूर्तता भरी मूर्खता का इलाज सिर्फ़ वामपंथी देश चीन में ही मुमकिन है, भारत में नहीं।
आप को नहीं मालूम तो जान लीजिए संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन में कुल 30 लाख मुसलमानों को नज़रबंद कर इस्लामिक कट्टरपंथी छुड़वा कर, देशभक्ति का पाठ पढ़ाया जा रहा है। कम्युनिस्ट पार्टी और शी जिनपिंग के नारे लगवाए जा रहे हैं।
ए पी न्यूज़ एजेंसी के हवाले से आज के अख़बारों में एक बड़ी ख़बर छपी है कि चीन ने 10 लाख उइगर मुसलमानों को कट्टरवाद विरोधी गुप्त शिविरों में बंद कर रखा है। जब कि 20 लाख मुसलमानों को इस्लामिक विचारधारा बदलने का पाठ पढ़ाया जा रहा है।
ख़ास बात यह है कि यह उइगर मुसलमान चीन के पश्चिमी शिनजियांग प्रांत में बहुसंख्यक हैं। और चीन ने इस प्रांत को स्वायत्त घोषित कर रखा है।
इन शिविरों में मुसलमानों से जबरन कम्युनिस्ट पार्टी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनफिंग की वफ़ादारी की कसम दिलाई जाती है और इन के पक्ष में नारे भी लगवाए जाते हैं।
संयुक्त राष्ट्र की नस्ली भेदभाव उन्मूलन समिति ने उइगर मुस्लिमों के साथ किए जा रहे इस भेदभाव पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।
समिति की उपाध्यक्ष गे मैक्डोगॉल ने कहा है, सामाजिक स्थिरता और धार्मिक कट्टरता से निपटने के नाम पर चीन ने उइगर स्वायत्त क्षेत्र को कुछ ऐसा बना दिया है जो गोपनीयता के आवरण में ढंका बहुत बड़ा नज़रबंदी शिविर जैसा है।
घर में क़ुरान रखने, दाढ़ी रखने, टोपी या बुरका पहनने, रोजा रखने और ताबूत में रख कर शव दफनाने पर पूरे चीन में प्रतिबंध पहले ही लग चुका है। अपने खर्च पर शव को जलाने का आदेश है।
लेकिन इस खौफनाक खबर पर भारत के मुसलमान ख़ामोश हैं। समूचा सेक्यूलर गैंग ख़ामोश हैं। सोशल साईट पर भी लंबी चुप्पी है। न्यूज़ चैनल आदि ने भी चीख-पुकार नहीं मचाई। गोया कुछ हुआ ही न हो।
लेकिन अगर इसी तरह भारत में कट्टरता के ख़िलाफ़ कोई क़दम उठाया जाए तो? तब क्या यही गहरी ख़ामोशी कायम रहेगी? क्यों कि कट्टरता तो कट्टरता होती है। और अगर यह कट्टरता देश हित के ख़िलाफ़ जाती है तो इस पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
भारत में कश्मीर सहित कुछ ऐसी ही जगहें हैं जहां धार्मिक कट्टरता के चलते ही स्थितियां काबू से बाहर हो चुकी हैं। बहुत हो चुकी नरमी। चीन की ही तरह पूरी सख्ती से इन कट्टरपंथियों से निपटने की ज़रूरत है।
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