कम ही लोगों को मालूम होगा कि आज World Indigenous People’s Day यानी विश्व मूलनिवासी दिवस है।
अब ऐसे अगर देश में दंगा और तोड़फोड़ हो जाये तो विपक्षियों को मज़ा आ जायेगा और अगर ये तोड़फोड़ वंचित व पिछड़े समाज द्वारा या उनका नाम ले कर हो जाये तो ये सोने पर सुहागा हो जाएगा।
विरोधियों को पूरे विश्व मे डंका पीटने को मिल जाएगा कि देखो भारत में विश्व मूलनिवासी दिवस पर ही मूलनिवासियों का आंदोलन हो रहा है, भारत मे मूलनिवासियों पर अत्याचार हो रहे हैं।
यहां मूलनिवासी कम्युनिस्टों ने तय किये हैं अपनी फ़र्ज़ी थ्योरी के आधार पर, जिसे खुद संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव रामजी अम्बेडकर ने फ़र्ज़ी करार दिया था।
विपक्ष पिछले 2-3 साल से लगातार कोई न कोई प्रपंच रच रहा है। कभी असहिष्णुता, कभी OROP, कभी हरी पगड़ी वाले पेशाब के नाम पर शराब पीते किसान, कभी अखलाक, कभी ईसाई रोहित वेमुला को दलित बता कर, लेकिन हर बार फ़ेल हो जाता है।
इस बार विपक्ष ने अपनी पूरी ताकत SC/ST समाज के पीछे लगा दी थी। उन्हें झूठ बोला कि SC/ST Act खत्म कर दिया सरकार ने, जबकि इसमें सरकार का कोई हस्तक्षेप ही नही था।
इसके बाद 2 अप्रैल को आंदोलन की घोषणा की गई, जिसमें कांग्रेस और कम्युनिस्ट नेता व गुंडे हर जिले हर तालुका में आंदोलन की अगुवाई करते दिखाई दिए। इन्ही गुंडों ने SC/ST की आड़ में खूब तोड़फोड़ की आगजनी की, ताकि मीडिया में इस मुद्दे को उछाला जा सके और मोदी सरकार को बदनाम किया जा सके।
अब आज यानी 9 अगस्त को विपक्ष ने भारत बंद बुलाया है। विपक्ष ने आज अपनी पूरी ताकत एक साथ झोंक दी है। असल में तो भारत बंद बुलाया था LJP के रामविलास पासवान और उनके सहयोगियों ने।
और विपक्ष घात लगा कर बैठा था कि 2 अप्रैल की तरह इस बार भी अपने गुंडे इस बंद की भीड़ में घुसा देगा और जम कर दंगा करेगा।
लेकिन मोदी ने मास्टरस्ट्रोक खेल कर विपक्ष के सारे मनसूबों पर पानी फेर दिया, मुद्दा ही खत्म कर दिया, और आखिरी समय मे LJP वंचित व पिछड़े समाज ने बन्द वापस ले लिया क्योंकि उनकी मांग पहले ही मानी जा चुकी है।
यानी अब दलितों और पिछड़ों की भीड़ नही मिलेगी, ऐसे में रातों रात ब्राह्मणों, राजपूतों और सवर्णों के नाम से स्टीकर तैयार किये गए। और अब दलितों के आंदोलन में सवर्णों को मूर्ख बना कर ले जाया जा रहा है। यानी दलित नहीं तो सवर्ण सही पर सरकार का विरोध तो हर हाल में होना चाहिए।
अब विपक्ष जो दंगों की सारी तैयारी कर के बैठा था, भला ऐसा सुनहरा मौका कैसे हाथ से जाने देता, सो कांग्रेस व कम्युनिस्ट ने मिल कर अपने पुराने पिटे हुए मोहरे वापस मैदान में उतार दिए। इस बार सारे के सारे एक साथ, ताकि येन केन प्रकारेण कम से कम एक बन्द तो सफल हो जाये।
जिस बन्द का आह्वान मूलतः वंचित व पिछड़े समाज ने किया था, उस बन्द को हाईजैक करने का असफल प्रयास किया जा रहा है। अलग-अलग संगठनों द्वारा बन्द का आह्वान बताया जा रहा है, जैसे कि जवानों का बन्द, किसानों का बन्द, आरक्षण के विरोध में बन्द, सवर्णों का बन्द, OBC का बन्द, SC/ST का बन्द, वंचित व पिछड़े समाज का बन्द, राजपूतों का बन्द, पर असल में ये सारे एक ही हैं और कांग्रेस और कम्युनिस्ट हैं।
ऐसे में कुछ टुच्चे टाइप कल के छोकरे भी बहती गंगा में हाथ धोने, बस के रूट पर अपनी डग्गामार जुगाड़ दौड़ाने में लगे हैं। उन्हें ना देश से मतलब, ना समाज से, उन्हें तो बस TRP चाहिए। वे तो जानबूझ कर ऐसा कर रहे हैं ताकि सस्ती लोकप्रियता हासिल की जा सके, भगवान सद्बुद्धि दे ऐसे मूर्खो को।
वैसे आज का दिन एक मायने में खास है, ब्राह्मणों, राजपूतों और सवर्णो की खाल में छुपे कांग्रेसी और कम्युनिस्ट आज बे नकाब हो जाएंगे, आज आपको जिसकी भी वाल पर या DP पर भारत बंद का समर्थन दिख जाए समझ जाइये खरगोश की खाल में भेड़िया है यह व्यक्ति ।
कांग्रेस ने अपनी चाल को किस कदर बखूबी अंजाम दिया है इसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते। मैंने सोशल मीडिया पर घूम रहे कुछ स्टिकर्स और न्यूज़ का संकलन किया है जिसे देख कर आपका दिमाग चकरा जाएगा।
सत्ता के लिए कितना गिरोगे? वैसे एक बात विपक्ष से सीखने लायक है, वे कितना भी देशद्रोह करें उनके अनुयायी पूरी ढीठता के साथ उनके साथ खड़े रहते है, लानत है ऐसे लोगों पर।
इस विषय पर मैंने कल youtube पर एक वीडियो भी अपलोड किया है उसे भी ज़रूर देखें –
मोदी विरोध करते करते भारत सरकार का विरोध? RAW और भारतीय सेना का विरोध?