चांद तारों का साथी, चला गया उन्हीं की दुनिया में… फ्रेंडशिप डे पर एक ऐसे दोस्त की याद जिनका अचानक जाना चौंका गया… सी. बी. देवगन, जिन्हें ज्यादातर लोग खगोलविद्, वैज्ञानिक, तर्कशास्त्री आदि इत्यादि नामों से टीवी पर देखते आए।
मेरे लिए वो इसीलिए खास हैं क्योंकि टेलीविजन पर एक एक्सपर्ट के तौर पर उनकी शुरूआत मेरे साथ हुई थी उसके बाद करीब दस साल का समय बीता और इस बीच हमने सैंकड़ों शोज साथ में किए।
इस दौरान उनके काम से भी मेरा परिचय हुआ और मेरे शोध के विषय को लेकर उनकी रुचि ने हमारी दोस्ती को और गहरा किया।
वो कहते रहे, मेरे साथ बच्चों के लिए कुछ कार्टून बुक्स पर काम करो। वो चाहते थे कि कार्टून के माध्यम से खगोल विज्ञान में बच्चों की रुचि बढ़ाई जाए। हांलाकि बहुत नावों पर सवार होने की वजह से मैं कभी इस दिशा में काम नहीं कर पाया।
एक शो के दौरान ब्रेक में स्टूडियो की शांति के बीच टिक-टिक की बहुत तेज आवाज मेरे कानों में गूंज रही थी। मैंने सर से पूछा क्या आपकी घड़ी की आवाज है। उन्होंने हाथ दिखाया और कहा मैंने तो घड़ी पहनी ही नहीं है। फिर भी वो आवाज मुझे बहुत साफ सुनाई दे रही थी।
देवगन सर ने हंसते हुए कहा, कान बहुत तेज है प्रवीण तुम्हारे। दरअसल ये आवाज़ मेरे दिल से आ रही है। चौंकाने वाली बात थी लेकिन उन्होंने आगे समझाया कि उनके दिल में एक पेस मेकर लगा हुआ है।
मैंने कहा ये तो बहुत खतरनाक चीज़ है दिल में कोई कृत्रिम चीज 24 घंटे टिक टिक करती रहती है। वो हंसे और बोले जब तक टिक टिक है तभी तक ज़िंदगी है बस दुआ करो टिक टिक की आवाज़ आती रहे।
हम दोनों हंसे और मैंने कहा सर ये टिक टिक हमेशा चलती रहेगी। काश मेरी बात में कोई सच्चाई होती। दुआ काम न आई और टिक टिक बंद हो गई।
खैर, मुझे उन पर फ़क्र है कि इस टिक टिक और दुनिया कि चिक चिक के बीच उन्होंने ज़िंदादिली की तस्वीर सामने रखी। उनकी मुस्कुराहट, हंसी मज़ाक का अंदाज़, धीमे बोल कर बात को ज़ोरदार तरीके से रखना, पोनी टेल, दाढ़ी, कान की बाली और हमेशा चलती रहने वाली टिक टिक… बहुत कुछ है जो हमेशा याद रहेगा।
फोटोग्राफी में सर की गहरी दिलचस्पी थी, खास तौर पर चांद की अलग अलग मौकों की तस्वीर खींचने में उन्हें महारत हासिल थी। ट्वीटर पर वो लगातार अपनी तस्वीरें पोस्ट करते रहे और मुझे टैग करना नहीं भूलते थे।
उनकी ये बेहतरीन तस्वीरें भी अब उनकी यादों का खजाना है। खैर अगर सचमुच इस दुनिया से परे कोई दुनिया है जहां सिर्फ हमारी चेतना का प्रवेश है तो निश्चित ही वो उसी दुनिया का हिस्सा हो गए होंगे, जिसे शायद दूरबीनों से भी नहीं देखा जा सकता।
उन्हें श्रद्धांजलि के तौर पर एक रेंडम पैंसिल स्कैच बनाने की कोशिश की है, बहुत मन था उन्हें ऐसा कुछ बनाकर दिखाने का। मन भारी है लेकिन उनकी सच्ची मुस्कुराहट कुछ साहस दे रही है। कह रही है टिक टिक चलती रहेगी, अभी नहीं तो आगे कभी। दिल तो कमजोर होते हैं… टूट जाते हैं.. टिक टिक चलती रहनी चाहिए…