कई नेता ऐसे होते हैं, जिनके बारे में जान कर कभी कभी इस धारणा को झूठा कहने का मन होता है कि सभी नेता चोर होते हैं।
खबर ओडिशा से है। ‘द हिन्दू’ अखबार में छपी इस खबर के अनुसार ओडिशा के झार्सुंगदा जिले में एक निराश्रित महिला की मृत्यु हो गयी और गाँव वाले उसके अंतिम संस्कार के लिए आगे नहीं आए। वह महिला भीख मांगकर गुजारा करती थी।
जब रेंगाली से बीजेडी (बीजू जनता दल) के विधायक रमेश पटुआ को इस बात का पता चला, तो उन्होंने इस बात की भी परवाह नहीं कि वह क्षेत्र उनके तो क्षेत्र के अंतर्गत नहीं आता है तो वे क्यों जाएं, वे न केवल वहां पर गए बल्कि साथ ही उन्होंने, अपने बेटे और भतीजे के साथ मिलकर उस गरीब महिला का अंतिम संस्कार पूरे विधि विधान से कराया।
जानकारी के लिए यह भी लिखा है कि रमेश पतुआ ओडिशा के सबसे गरीब विधायकों में से एक हैं, और उनके पास अपना कोई घर नहीं है और वे अभी तक किराए के घर में ही रहते हैं।
ऐसी ख़बरों से बार बार यह धारणा पुष्ट होती है कि अभी भी ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो दूसरों की नि:स्वार्थ सेवा को ही अपना धर्म मानते हैं, मगर ऐसी ख़बरें उन लोगों के लिए जरूर एक सबक हैं, जो हमारे जनप्रतिनिधियों के विषय में केवल नकारात्मक ख़बरें ही फैलाते हैं।
ख़बरों का संतुलन होना चाहिए, यदि आप समाज में फ़ैली नकारात्मकता को दिखा रहे हैं, तो सकारात्मक ख़बरों के लिए एक कोना तो दीजिए।
अगर आप नेताओं के बुरे कर्मों को दिखा रहे हैं, तो कहीं किसी कोने में हो सकता है कोई नेता अच्छा काम कर रहा हो, उसे तो दिखाइये।
यदि लेखन सत्ता का विरोध है, तो इसका अर्थ यह नहीं हो जाता कि आपको अनर्गल विरोध ही करना है। जो अच्छा कर रहा है, उसे सराहने से यकीन मानिए सुबह नहीं बिगड़ेगी।
स्रोत: ‘द हिन्दू’ में श्री सत्यसुंदर बारिक की खबर – MLA performs last rites of poor woman
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