मोदी सरकार के खिलाफ रोज़ाना बेवफाई के सबूत खोजने वाले आजकल एक नया प्रलाप कर रहे हैं। मोदी जी ने अपनी 200 गाय गौ भक्षकों को दे दीं।
सच्चाई कुछ अलग है।
मोदी जी रवाण्डा के दौरे पर गए हैं। रवाण्डा अपने पड़ोसी देश बुरुंडी के साथ एक गृहयुद्ध में बर्बाद हो गया। 10 लाख लोग क़त्ल हुए और 50 लाख से ज़्यादा भुखमरी कुपोषण से मरे।
पर अब देश सम्हल रहा है। वहां के राष्ट्रपति Paul Kagame ने एक प्रोग्राम शुरू किया GIRINKA… इसका स्थानीय भाषा में अर्थ होता है May you have a cow… ईश्वर करे आपके पास गाय हो।
किसी ज़माने में रवाण्डा के समाज में भी हर घर में गाय होती थी और वो भी भारत की तरह ही एक कृषि प्रधान देश होता था। वहां भी कृषि गाय बैल पर ही आधारित थी।
गृहयुद्ध और भुखमरी ने वो सारी व्यवस्था चौपट कर दी।
अब वहां की सरकार ने Girinka शुरू किया है। सरकार चाहती है कि हर घर में एक गाय हो… गाय वहां आर्थिक सशक्तिकरण का प्रतीक है।
Girinka के अंतर्गत हर गौस्वामी अपनी गाय की पहली बछिया उस पड़ोसी को दान में देगा जिसके पास गाय नहीं है। इसके अतिरिक्त गाय समाज में कुपोषण दूर करने और कृषि को पुनर्जीवित करने का बहुत बड़ा माध्यम है।
रवाण्डा की सरकार पिछले 10 सालों में 2,50,000 गायें बांट चुकी है।
मोदी जी गए, तो उन्होंने भी वहां Rweru गांव में 200 गायें लोगों को भेंट कीं। ये गाय मोदी जी यहां हिंदुस्तान से अपने साथ लाद के नहीं ले गए थे, बल्कि वहीं रवाण्डा में ही लोकल मार्किट से खरीदी गई थीं।
वहां उस गांव में जब कार्यक्रम हुआ तो मोदी जी ने भारत में गाय की महत्ता पर प्रकाश डाला और कृषि में गाय, गोबर, गौमूत्र जैसे विषयों को इंगित किया… और गाय पालन से रवाण्डा के लोगों के सुख समृद्धि की कामना की।
ये सिर्फ एक Goodwill Gesture है, इससे ज़्यादा कुछ नहीं।
मोदी bashers ने इसमें भी मोदी जी की आलोचना का एंगल खोज लिया है। कहते हैं कि गौभक्षक समाज को गाय दान में क्यों दीं?
अगर यही तर्क देने हैं तो फिर गौभक्षक देश में जाना ही क्यों?
किसी गौभक्षक को अपने घर बुलाना ही क्यों??
किसी गौभक्षक देश से किसी भी प्रकार का राजनयिक संबंध रखना ही क्यों???
भारत छोड़ पूरी दुनिया गौभक्षक है।
अब मोदी विरोधी गौ-भक्तों की मानें तो मोदी जी को कहीं जाने की ज़रूरत नहीं। घर में ही रहो।