वैसे तो उसकी बहुत सारी बातें अच्छी लगती हैं मुझे
पर यह बात सब से अच्छी है उसकी
वो लौट लौट कर आता है
और पूछता है
कैसी हो
उससे पहले जिस किसी को भी कहा
जाओ, चले जाओ
वो कभी नहीं लौटे
मेरे पुकारने पर भी नहीं लौटे
उनका अहं उनके क़द से हमेशा ज़्यादा ऊँचा निकला
और मोहब्बत में तो अहं मर जाता है
वो महीनों ख़ामोश रहता है
पर मुझ से नाराज़ नहीं होता
उसकी फ़ोन लाइन मेरे लिए हमेशा खुली रहती है
पूरी आज़ादी है मेरे इश्क़ में
न बात करनी ज़रूरी
न मिलना ज़रूरी
वो कहता है
मेरे घर का दरवाज़ा कोई नहीं है
न मिलना ज़रूरी
न दस्तक ही कोई
मेरे घर का बस इतना सा पता है
इसके आगे मोहब्बत लिखा है
तभी तो उस के बाद कोई और दिखाई ही नहीं देता मुझे
उसके शब्दों के ज़रिए पहुँचती है शक्तिपात मुझ तक
और मेरा आज्ञाचक्र मुस्कुराने लगता है
वो मेरा गुरु है
मुझे मुझ तक पहुँचाया है उसने…
भारत के महान योगी : जब शिष्य की साधना सिद्धि के लिए गुरु ने त्याग दिए प्राण