चलिए एक बड़ी ही मार्मिक सच्ची घटना सुनाता हूं।
दौर था 1970 का !
इमरज़ेंसी के पांच साल पहले का दौर। उस समय प्रधानमंत्री हुआ करती थीं श्रीमती इंदिरा गांधी जी, और देश में कांग्रेस का एकछत्र राज हुआ करता था।
घटना पश्चिम बंगाल की है, जहां के मुख्यमंत्री थे बंग्ला कांग्रेस के अजोय कुमार मुखर्जी।
उन दिनों बंगाल में CPI(M) और इस पार्टी के नेताओं की दादागिरी चलती थी, जिसका उत्तराधिकार आज कल TMC के कार्यकर्ताओं ने ले रखा है। आलम ये था कि उस वक्त सत्ता में बैठी बंग्ला कांग्रेस के कार्यकर्ता भी इन CPI(M) के नेताओं से खौफ खाते थे।
दिनांक 17 मार्च 1970,
प्रनब सेन और मोलोय सेन बंधु, जो कि उस वक्त केन्द्र में आसीन “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस” के प्रबल समर्थक थे, और इंदिरा गांधी के पदचिन्हों पर चलने वाले वफादार और कट्टर कांग्रेसी कार्यकर्ता, उन्हें CPI के नेता अपने पक्ष में मिलाने की आखिरी कोशिश भी हार चुके थे, और अब उन्हें तोड़ने का कोई और रास्ता नज़र नहीं आ रहा था।
कम्युनिस्टों की एक शैली है, वो आपको अपने खेमें मे मिलाने की कोशिश करते हैं, लालच देते हैं और धमकाते हैं, और अगर ऐसा करने में असफल रहे, तो आपके छींक निकलने भर में लगे समय में ही आपको मार भी डालते हैं।
अब चूंकि सेन भाईयों ने CPI के इस ऑफर को ठुकरा दिया था, कम्युनिस्ट इन्हें जान से मारने की रणनीति बनाने लगे।
17 मार्च के दिन सेन भाईयों के घर कम्युनिस्टों का हमला हुआ, जिसकी अगुआई निरूपम सेन कर रहा था।
वह कितना भयावह था आइए उनकी बहन स्वर्णलता जस के बयान से जानते हैं,
“हमारे घर पर चारों ओर से आग लगी तीरों की बौछार हो रही थी। अचानक से हुए इस हमले से
हम पूरी तरह खौफ में आ चुके थे। फिर अचानक से वो हमारे घर में आए, और मेरे भाइयों के गले को काट डाला, फिर उन्हें जलती आग में फेंक दिया।”
ये दृश्य तो हत्या भर का था। अब उसके बाद जो हुआ उसे पढ़ कर शायद आपकी रूह कांप उठे।
प्रनब और मोलोय के सर को काटने के बाद कम्युनिस्ट दरिंदों ने उनके खून को एक बर्तन में इकट्ठा किया। उसी खून में चावल पकाया गया, और वहीं बैठी अपने बेटों को बेबस मरता देख रहीं सेन भाइयों की मां मृगनयनी को ज़बरदस्ती उन्हीं के बेटों के खून से बना चावल खिलाया गया था।
इतना बड़ा दरिंदा, जिसकी अगुआई में ये सब हुआ उसको 2007 में CPI(M) के सेंट्रल कमेटी में रखा गया। जिस कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं की इतनी निर्मम हत्या CPI के गुंडो ने की थी, कालांतर में उसी CPI के साथ, अपने कार्यकर्ताओं का बलिदान भुला कर कांग्रेस ने सत्ता को भी साझा किया।
आज जब मैं टीवी डिबेट देखता हूं, और CPI(M) या कांग्रेस वालों को देश के प्रधानमंत्री को “सत्ता प्रेमी” और RSS को हत्यारा बोलते पाता हूं, तो बहुत दुख होता है।
वो इल्ज़ाम लगाते रहते हैं कि मोदी ने खून की राजनीति की है, और उनके इन बतोलों को सुन कर प्रनब और मोलोय की आत्माएं फूट फूट कर रोती रहतीं हैं।
जाने कब कांग्रेस को शर्म आएगी, और जाने कब दिखेगा उन्हें अपने कदमों के नीचे बिछी अपनी ही कार्यकर्ताओं की लाशें, और उनके खून में सने हुए कांग्रेसी जूते जिन पर आज वो झूठ और अराजकता का जामा ओढे अपनी राजनीति के साथ खड़ी है।
पर एक बात तो तय है। अब बंगाल एक बड़े राजनीतिक परिवर्तन के लिए उठेगा।
बंगाल से TMC कांग्रेस और कम्युनिस्टों का अस्तित्व ज़मींदोज़ होगा।
क्योंकि दबी आहों की बददुआ कभी न कभी तो फलती है!
सन्दर्भ – https://satyavijayi.com/rss-workers-targeted-kerala-communists/
https://timesofindia.indiatimes.com/city/kolkata/Victims-recall-Sainbari-horror/articleshow/7723622.cms?from=mdr
वैसे आप गूगल सर्च पर Sainbary Incident लिखेंगे तो उससे जुड़ी तमाम खबरें आपको मिल जाएगी… एक स्क्रीन शॉट विकिपीडिया से-