चमत्कार क्या होता है? यदि किसी चीज़ को हम असंभव समझ रहे हों और वह काम कोई करके दिखाए तो वह चमत्कार होता है।
हमारे स्वयं के जीवन काल में डॉ आर सी गुप्ता, डॉ डी आर सिंह और कई अन्य विख्यात डॉक्टर स्वयं गैस्ट्रिक कैंसर के शिकार हुए और आज हमारे बीच नहीं हैं।
यह कहानी अमेरिका में जन्मे और पढ़े लिखे और मनोरंजन की दुनिया मे ऊंचा करियर बनाने वाले अमेरिकन नागरिक अमित वैद्य की है, जिसके मां बाप स्वयं कैंसर से पीड़ित होकर काल कवलित हुए।
अमित को भी गैस्ट्रिक कैंसर हुआ और जब secondaries फेफड़ों और लिवर में फैल गया और डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए तो उसने अपने अंतिम संस्कार की व्यवस्था की और भारत आ गया।
भारत में इनके पूर्वज गुजरात के निवासी थे। गुजरात में इसे किसी ने बताया कि किसी आयुर्वेदिक अस्पताल में गाय के गोबर और गो मूत्र से बने “पंचगव्य थेरेपी” से एक रुपये में कैंसर का इलाज होता है।
अंतिम कोशिश करने में कोई हर्ज नहीं था।
तो अमित वहां गया। 18 महीने के इलाज के बाद उसका प्राइमरी कैंसर और secondaries दोनों गायब हो गईं और वह एक स्वस्थ जीवन जी रहा है। उसने एक संस्था भी खोली है और एक पुस्तक भी लिखी है।
यह खबर “हिन्दू” नामक हिन्दू विरोधी और गौ विरोधी अखबार ने छापी थी।
शायद इसी को चमत्कार कहते हैं।
डॉक्टरों को चमत्कार पर विश्वास नहीं करना चाहिए। किसी को भी चमत्कार पर विश्वास नही करना चाहिए। लेकिन सर्वज्ञ भी नहीं समझना चाहिए। यदि हम स्वयं को अल्पज्ञानी या अज्ञानी समझते हैं तो सीखने और ज्ञान प्राप्त करने की अपार संभावनाएं होती हैं।
वैसे भी ऋग्वेद की पहली ऋचा कहती है :
“आनो भद्रो क्रतवो यन्तु विश्वतः”
हमे अपने मस्तिष्क के कपाट खुले रखने चाहिए – जिसमे विश्व मे कहीं से भी अच्छे विचार आएं, उंनको आने देना चाहिए”।
हम कैंसर के इलाज की सीमा जानते हैं। कैंसर के डॉक्टरों को इस नोबल घटना तथा देशी ज्ञान पर विचार करना चाहिए।