नीतू सिंह को जब भी देखा मुझे एक टीन एज लड़की ही दिखी, जो जीवन भर एक ही लड़के के प्रेम में पड़ी रही. इसलिए उसका प्रेमी भी मुझे हमेशा एक टीन एज लड़का ही लगा. जो उसका पति बन जाने के बाद भी उसका प्रेमी ही रहा.
अधिकतर फ़िल्मी शादियों की तरह उनके बीच भी अनबन की ख़बरें उड़ीं. वो सिर्फ़ पति-पत्नी होते तो शायद अलगाव हो भी जाता, लेकिन वो दोनों हमेशा से ‘मैं सोलह बरस की, तू सत्रह बरस का’ टाइप प्रेमी ही रहे. यह बात उन दोनों को अनुभव हुई या नहीं क्या पता लेकिन मुझे तो नीतू सिंह और ऋषि कपूर की जोड़ी देखकर हमेशा नए प्रेम की ताज़गी ही अनुभव होती है.
अब ऐसे दो प्रेमी की संतान भी उनके जैसी ही रोमांटिक ही होगी, लेकिन यहाँ ज़रा सा टच कपूर खानदान का भी आया है, इसलिए जहाँ रणबीर कपूर के चेहरे पर माता-पिता का टीन एज वाला रोमांस नज़र आता है, वहीं राज कपूर और पृथ्वी राज कपूर के चेहरे का खानदानी दंभ भी नज़र आता है.
दंभ हमेशा नकारात्मक नहीं होता, कुछ दंभ आपके आभा मंडल को अधिक ऊर्जावान बनाता है, जिससे आकर्षित हुए बिना आप रह नहीं सकते.
अब ऐसे खानदान में जब नीतू ब्याह कर गयी होगी, तो उसे अपने चंचल स्वभाव के साथ गंभीर बने रहने के लिए यकीनन बहुत संघर्ष करना पड़ा होगा. क्योंकि जो परिवार फिल्मों के लिए अपने खानदानी योगदान के लिए जाना जाता हो, उस खानदान की बहुओं को फिल्मों में अभिनय की अनुमति नहीं थी.
मैं नहीं जानती आज अपने जन्मदिन पर नीतू कितने बरस की हो गयी, और जानने की मेरी कोई तमन्ना भी नहीं… उसको देखकर तो आज भी यही गीत मुंह से निकलता है, तेरे चेहरे से नज़र नहीं हटती, नज़ारे हम क्या देखें…