आखिर हमारी ‘पहचान’ क्या है? हमारे भारतीय मूल्य क्या हैं? कौन से मूल्य हमें भारतीय बनाते हैं?
कुछ समय से पासपोर्ट प्रकरण को लेकर मेरे मन में यह प्रश्न उठ रहा है कि क्या केवल एक नीला पासपोर्ट हमें भारतीय बना देता है? या फिर, चूंकि हम भारतीय हैं, इसलिए हमें पासपोर्ट का अधिकार है?
फिर, जिन लोगों को किसी अपराध के कारण पासपोर्ट के अधिकार से वंचित किया जाता है, क्या वे भारतीय नहीं रहे? आखिर भारतीय होने के क्या मायने हैं?
फिर मैंने न्यू यॉर्क टाइम्स में दो जुलाई को मुखपृष्ठ पर एक न्यूज़ In Denmark, Harsh New Laws for Immigrant ‘Ghettos’ पढ़ी कि डेनमार्क की सरकार कम आमदनी वाली मुस्लिम बाहुल्य बस्तियों में डेनिश मूल्यों के प्रचार, प्रसार के लिए लिए नए कानून ला रही है।
इस खबर के मुताबिक़ सरकार कह रही है कि अगर वे परिवार स्वेच्छा से देश की मुख्यधारा में विलय नहीं करते हैं, तो उन्हें मजबूर करना चाहिए कि वे डेनिश मूल्यों को अपनाये, उनका आत्मसात करें।
इस कानून के तहत एक वर्ष से अधिक आयु वाले बच्चों को अपने परिवारों से सप्ताह में कम से कम 25 घंटे – जिसमे बच्चो के सोने का समय शामिल नहीं है – अलग किया जाएगा जिससे कि उन बच्चो को ‘डेनिश मूल्य’ अनिवार्य रूप से सिखाया जा सके।
क्रिसमस और ईस्टर त्योहारों की परंपरा और डेनिश भाषा इन मूल्यों का हिस्सा होगी। अगर वे परिवार इन कानूनों का पालन नहीं करते, तो उनको मिलने वाले कल्याणकारी भुगतान और सब्सिडी नहीं मिलेगी।
डेनिश प्रधानमंत्री लार्स लोक्के रासमुसेन ने चेतावनी दी कि ऐसी बस्तियां “सड़कों पर अपने जाल फैला सकती हैं” जिसकी वजह से, “डेनमार्क के मानचित्र पर दरारें पड़ सकती है।”
कानून मंत्री, सोरेन पॉल्सन, ने कहा कि “मेरे लिए कोई फर्क नहीं पड़ता कि इन क्षेत्रों में कौन रहता है और वे किस पर विश्वास करते हैं, उन्हें डेनमार्क में अच्छा जीवन पाने के लिए डेनिश मूल्यों में विश्वास करना होगा।”
इस समाचार ने मुझे यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि हमारे भारतीय मूल्य क्या है?
मेरे अनुसार इन मूल्यों में एक ऐसे भारत की अभिधारणा है जिसे हम माँ मानते हैं, चाहे हमारा जन्म किसी अन्य राष्ट्र में हुआ हो या फिर भारत के बाहर रह रहे हों, या किसी भी इष्ट देव या देवी की पूजा करते हों।
और हम उस सृष्टिकर्ता, प्रकाशमान परामात्मा के तेज का ध्यान करते हैं, जिसका तेज हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करे।
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्।
यही मूल्य, विचार, सोच और आचरण हमें भारतीय बनाते हैं।