कुछ बेहद परेशान आत्माएं हैं, जिनको मोदी पर बहुत ही ज्यादा क्रोध आया हुआ है…
क्यों? क्योंकि मोदी ने धारा 370 नहीं हटाई… राम मंदिर नहीं बनवाया और ना ही भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करके 20 करोड़ लोगों को देश से बाहर किया.
अब 2019 में वो मोदी को तो वोट देंगे ही नहीं, पर देंगे किसको… तो, पूछने पर उत्तर देते हैं कि कोई न कोई विकल्प मिल ही जाएगा.
अर्थात विकल्प का पता नहीं है पर जो सामने है उसको तो सबक सिखाना ही है… सबक भी क्यों सिखाना है क्योंकि उसने वो नहीं किया जो ये चाहते थे.
उसने जो कहा वो किया पर इन्होंने तो उसकी सुनी ही नहीं थी… 2014 में भी कल्पना के घोड़े पर सवार थे और 2019 में भी किसी काल्पनिक घोड़े पर ही सवार होंगे.
ऐसी आत्माओं के अनुसार धारा 370, कश्मीर, राम मंदिर और कट्टर हिन्दू ही देश के 80 करोड़ लोगों की समस्या का समाधान है.
तो, 2019 में तैयार रहिए पुनः उन लोगों को लाने के लिए जो देश को लूटें… जो राम मंदिर न बनने देने के लिए प्रतिबद्ध हों…
काँग्रेसी वकील कपिल सिब्बल का सुप्रीम कोर्ट से किया अनुरोध याद कर लें (राम मंदिर पर निर्णय 2019 के पहले नहीं होना चाहिए) क्योंकि उसके बाद तो यूपीए के आने की आशा है और यूपीए राम मंदिर बनने नहीं देगी, जैसे आज तक करती आई है.
माना कि मोदी सरकार राम मंदिर बना नहीं रही है पर उसके बनने की राह में रोड़े भी तो नहीं अटका रही है.
अयोध्या को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रही है तो क्या हुआ… बस राम मंदिर नहीं बना रही है तो हो गयी शत्रु… शत्रुता भी ऐसी कि जो कुछ कर सकती है उसके बदले हम उसको ले आएँगे जो हम पर गोलियाँ ही चलवा दे.
70 वर्षों से धैर्य रखा परन्तु 70 महीने का धैर्य नहीं है…
जिस काँग्रेस ने कश्मीर समस्या को जन्म दिया, उसका पालन-पोषण किया… उसको हम पुनः सत्ता देने के लिए तैयार हैं, उसके बदले जिसने सेना को छूट दी, ऑपरेशन ऑल आउट शुरू कराया, बीएसएफ को दुबारा कश्मीर में भेजा…
साल भर ऑपरेशन ऑल आउट चलाया तो चलाया, सिर्फ एक महीने के लिए उसको रोका क्यों? इसलिए इस सरकार को हटा कर गिलानी को सरकारी दामाद बनाने और पाकिस्तान से सहायता माँगने वालों को सत्ता सौंप देंगे.
इस होशियारी का भुगतान 2004 से 2014 तक किया फिर भी 2019 में अपनी होशियारी का प्रदर्शन करने से बाज तो आएँगे नहीं.
होशियरचंद लोगों को अग्रिम शुभकामनाओं के साथ एक बिन माँगी सलाह है कि छह महीने बाद कर्नाटक में कुछ दिन बिताने का कष्ट अवश्य करें.
बाकि हमारा क्या… हम तो 2003 से ही मोदी को वोट देते आ रहे हैं और आगे भी देते ही रहेंगे… चाहे होशियरचंद जी लोग अपना सर पटक-पटक कर फोड़ ही क्यों न लें.