बेंगलुरु. कर्नाटक की जेडीएस और काँग्रेस गठबंधन की सरकार के स्थायित्व पर पहले दिन से ही प्रश्नचिह्न लगा हुआ और अब काँग्रेस विधायकों के बगावती तेवरों ने राज्य में बड़ी राजनीतिक उठापटक का संकेत दिया है.
दरअसल इस मिली-जुली और साधारण बहुमत पर टिकी सरकार में शामिल दोनों दलों का हर विधायक अपनी अहमियत समझता है. इसी के चलते येद्दियुरप्पा की अल्पमत सरकार के विश्वास मत परीक्षण तक काँग्रेस अपने विधायकों को कब्ज़े में रखी हुई थी.
अब मंत्रिमंडल विस्तार के बाद जिन विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया वे खुलकर अपनी नाराज़गी प्रकट कर रहे हैं और पार्टी छोड़ने की बात कह रहे हैं.
मंत्रिमंडल में शामिल होने से वंचित विधायकों ने कर्नाटक काँग्रेस के प्रभारी केसी वेणुगोपाल और उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वर से नाराजगी जाहिर की है. इन विधायकों का कहना है कि केसी वेणुगोपाल और उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वर ने अपनी भूमिका सही तरीके से नहीं निभाई है.
चर्चा है कि इनमें से कुछ असंतुष्ट विधायक भाजपा नेताओं के संपर्क में हैं. काँग्रेस के एक विधायक एचएम रेवन्ना ने साफ तौर पर कहा है कि वह भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के संपर्क में हैं और वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं. भाजपा की तरफ से भी इस बात पर सहमति दे दी गई है.
मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही मंत्री बनाए जाने की प्रतीक्षा कर रहे कई नेता और उनके समर्थक गुरुवार को काँग्रेस के खिलाफ प्रदर्शन करते नजर आए. हालांकि, एक सीनियर कार्यकर्ता के मुताबिक शुक्रवार तक आंतरिक विरोध कम हो सकता है.
समाचारों के मुताबिक पार्टी हाइकमान विरोध के स्वर ऊंचे करने वाले नेताओं पर नजर रखे हैं और भविष्य में उनके लिए मंत्रीपद हासिल करना और भी मुश्किल हो सकता है. पार्टी मंत्रियों में विभाग बांटने के लिए भी इंतजार कर रही है.
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक की जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) और कांग्रेस गठबंधन सरकार के 25 कैबिनेट मंत्रियों ने बुधवार (6 जून) को शपथ ली थी. इनमें 14 विधायक कांग्रेस के हैं जबकि 9 विधायक जनता दल सेक्युलर के हैं. इनके अलावा बसपा और निर्दलीय विधायक को भी मंत्रिमंडल में जगह दी गई है.