थूक कर चाटने से थूक को चाटने तक

2019 के लोकसभा चुनाव में अस्तित्व की तलब में तमाम फुटकर बटखरों के एक तराजू पर बरसाती मेंढकों की तरह वजन बढ़ाने की मजबूरी के मौसम में, कभी खुद को दिल्ली का सुल्तान घोषित कर चुके केजरीवाल 2019 में कांग्रेस को साथ लड़ने के लिए 3 सीट दे रहे हैं.

कांग्रेस, जो आज अपने वजूद की अर्थी को उठाने के चार कंधों के सहारे तक पहुंची है, के इतिहासी और कलंकी थूक को चाटने की केजरीवाल की हाज़त कोई नई नहीं.

इन्ही केजरीवाल ने कहा था : 84 के दंगों में कांग्रेस की कोई गलती नहीं.

सही कहते हैं अरविन्द केजरीवाल… 84 के सिख दंगों में कांग्रेस की कोई गलती नहीं थी. यह बात उसी समय साबित भी हो गयी थी जब कांग्रेस के ही प्रधानमन्त्री स्व. राजीव गांधी ने दंगों के बाद कहा : कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती काँपती है.

अरविंद, तीन हजार सिखों के कत्लेआम का कलंक लिए… 84 के सिख दंगे 1 नवंबर 1984 को दिल्ली से तब शुरू हुए जब आपकी उम्र 16 साल, 2 महीने और 15 दिन थी, यानी नाबालिग थे आप.

16 साल की कच्ची-पक्की उम्र गलतियां करने की होती हैं आम-रेड, गलतियां किसकी थीं और किसकी नहीं यह खोजने और उसका प्रमाणपत्र बाँटने की नहीं.

बुरा न मानियेगा दिल्ली के बादशाह! 84 के दंगों में गलती किसकी थी यह आपसे बेहतर आपके पिता श्री गोविन्द राम केजरीवाल साहेब जरूर बता सकने की स्थिति में होंगे, क्योंकि 1 नवंबर 84 को वे जरूर बालिग रहे होंगे. अकेले दिल्ली में तीन दिनों तक पुलिस कहाँ थी, सेना की तैनाती में इतना समय किसने लगाया… वो बताएंगे.

खैर… आइये देश के एक और दंगे पर गलतियां किसकी और कितनी थीं यह निर्धारित करते हुए… उस पर आ चुके अदालती थप्पड़ की याद दिलाते हैं आपको…

गुजरात 2002 दंगे में गुलबर्गा सोसाइटी पर आये फैसले में अपराध के दोषसिद्ध अपराधियों को दोषी करार दिया आदरणीय न्यायालय ने, जिसका सम्मान करूँगा मैं. लेकिन पूरे मामले में आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक साज़िश) की मौजूदगी नही मानीं कोर्ट ने.

इस तरह न्याय के मंदिर से यह स्थापित हुआ कि गुजरात के दुखद दंगे जनसमूह के भटकाव और उत्तेजना की उपज थे : कोई स्टेट प्रायोजित आपराधिक साज़िश नहीं.

लेकिन 84 एक स्टेट प्रायोजित दंगा था यह तो कोर्ट ने सजाएं दे कर घोषित किया.

मालिकान की गलतियां यूँ छिपाना, सिख दंगों की मार झेल चुका सिख समाज अंधा नहीं है शहरी माओइस्ट.

खुद थूक के चाटने से लेकर आज कांग्रेस के कलंकी बलगमों को चाटने तक यात्रा के धनी हैं केजरीवाल.

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