- वरुण जायसवाल, वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक
अपनी राजनैतिक समझ पर शर्त लगाते हुए कह सकता हूँ कि कैराना में हार के बावजूद नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के विकास + भयमुक्त समाज के मॉडल को ज़बरदस्त सफलता मिली है.
समीकरणों में तो भाजपा को कम से कम डेढ़ लाख वोटों से पराजित होना चाहिए था, पर कृतज्ञ और गौरवान्वित साइलेंट वोटर्स (मुख्यतया ग़रीब दलित-पिछड़ा) ने आधे मन से ही सही पर मोदी के विकास और योगी की कानून व्यवस्था के पक्ष में मतदान किया है.
कैराना से ज्यादा सुखद संकेत नूरपुर से आये हैं. वहाँ का समीकरण तो और भी विपरीत था.
बाकी, मोदी का गुजरात मॉडल अभी यूपी में अपनी जड़ें जमाने लगा है इसके संकेत साफ हैं.
शौचालय-आवास, बैंकिंग, सड़क, बिजली, पानी आदि से गौरवान्वित जन को ध्यान में रखते हुए ही मोदी 2019 की राह में अगले 6 माह बढ़ते दिखेंगे यह भी स्पष्ट है.
एक बात और…
अपनी तरफ़ के यशवंतो, शौरियों, चतुरघन सिन्हाओं व बजरंगियों की जो अपेक्षायें हैं मसलन तीव्र हिन्दू-मुस्लिम उन्माद से जुड़े नीतिगत मसले आदि, तो उसपर मोदी को सिर्फ़ 3-4 महीने पहले से बस चुग्गा भर फेंकना है, बाकी काम सेक्युलकरवादियों की राजनीति और मुसलमानों का घमण्ड खुद ही कर देगा..
और अब मनोज कुमार सिंह का विश्लेषण
हार-जीत का फैसला अगर वोट करता है तो हम 2019 लोकसभा चुनाव पहले से भी बड़े पैमाने पर जीतने जा रहे हैं.
कैराना जैसे मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में इतना वोट प्राप्त कर लेना और वो भी तब जब सामने मुस्लिम प्रत्याशी था और मुकाबले में सभी दल एक साथ थे.
ये खुद में बता रहा है कि 2019 में फिर से एक बार मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने जा रही है.
कैराना में प्राप्त वोट ही ये भी बता रहा है कि 2019 की जीत 2014 से बड़ी होगी.
वोट ही पैमाना है जीत-हार का तो जरा अच्छे से सोचिएगा तो लगेगा कि हम कैराना हारे नहीं बल्कि जीते हैं, और वो भी बड़े अंतर से.
क्या हुआ कनफ्यूज़ हो गये क्या?
चलिए प्रयास करते हैं समझने का.
अब हम ये मान कर चलते हैं कि 2019 में महागठबंधन हो गया और सभी दल एक साथ एक प्लेटफॉर्म पर आकर चुनाव लड़ते हैं भाजपा के खिलाफ.
जो नतीजा कैराना में आया वही आएगा, ये भी मान लेते हैं. अब सवाल है कि 2019 का चुनाव तो केवल कैराना के सीट पर होगा नहीं? चुनाव तो देश के सभी 543 सीट पर होना है. सभी सीट कैराना तो है नहीं जहां मुस्लिम वोटर की संख्या ज्यादा है.
543 में से 10% सीट पर भी कैराना जैसा समीकरण लिए नहीं है, और सभी सीटों पर मुस्लिम वोटर कुल वोट का केवल 15% से 20% ही हैं.
ये उपचुनाव कैराना छोड़ किसी और सीट पर करा कर देख लीजिए, चुनाव भाजपा के पक्ष में नज़र आएगा.
2019 के चुनाव में ये सभी दल एक तो हो जाएंगे पर हर सीट पर कैराना जैसे मुस्लिम वोटर और मुस्लिम प्रत्याशी कहां से लाएंगे?
क्यों पड़े हो चक्कर में… कोई नहीं है टक्कर में
कैराना के चुनाव में भाजपा को मिले वोटों की संख्या ने साफ कर दिया कि 2019 में मोदी, लहर नहीं बल्कि सुनामी बनकर आएंगे.