इस मुल्क में लोकतंत्र और चुनावी व्यवस्था के चलते कोई ऐसा रेडिकल कदम उठाना नामुमकिन है जिससे इस देश की स्थिति में आमूलचूल गुणात्मक परिवर्तन किया जा सके.
प्रयास सफल भी होने लगेंगे तो न्यायपालिका अड़ंगा लगा देगी… यानी देशहित संवर्धन के प्रत्येक कदम पर सौ-सौ अड़चने खड़ी होंगी… कोई जाति, कोई समुदाय और कोई अपने दलीय हित पर इन सुधारवादी कदमों को बींध के रख देगा…
उस देश का क्या होगा, जहाँ सुप्रीम कोर्ट के जज प्रेस कांफ्रेंस कर राजनीतिक गतिविधि जैसा आभास देते हों…
केंद्र में बैठी वर्तमान सरकार ही इस देश के वर्तमान स्वरूप को बचा सकती है…
फिलहाल कुछ मुद्दे हैं, जिन पर सरकार को तुरंत कार्य करके इन्हें निपटाना ज़रूरी है… वरना 2024 तक भारत देश के विखंडन की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी…
यह मुद्दे निम्नवत हैं –
1. जनसंख्या नियंत्रण के तीव्रतम उपाय और बेहद कड़े नियमों की ज़रूरत है. वास्तविक जनसांख्यिक आंकड़े उपलब्ध हों… जनसंख्या विस्फोट के चलते हर विकास का कार्य निष्प्रभावी है. बढ़ती जनसंख्या उन लोगों की है जो देश के प्रति वफादार नहीं है… उनके लिए भारत एक सराय है या कब्ज़ा करने वाला युद्ध क्षेत्र…
2. देश मे अनुमानित 20 करोड़ से ज़्यादा घुसपैठिए हैं… 30 देशों के शरणार्थी है… उनकी पहचान और उनका निष्कासन युद्धस्तर पर होना इस समय सबसे बड़ी ज़रूरत है…
3. प.बंगाल, केरल और कश्मीर में स्थित राज्य सरकारें इन राज्यों में वहाबी आतंकवाद पर आश्चर्यजनक रूप से नरम हैं… इन सरकारों का किसी भी तरह निष्कासन ज़रूरी है… इन राजनीतिक दलों को खत्म करना पहली ज़रूरत है…
4. कश्मीर में से धारा 370 और 35 A हटना तुरंत आवश्यक है… वरना 2027 तक कश्मीर घाटी स्वतंत्र देश बनने की ओर अग्रसर होगा. हर वर्ष हज़ारों करोड़ रु और सैकड़ो आर्मी जवान मौत की भेंट चढ़ जाते हैं… इन धाराओं के चलते अलगाववाद चरम पर है…
यदि यह धाराएं समाप्त हो जाएं तो सामान्य भारतीय नागरिक घाटी के कम बसावट वाले क्षेत्रों में रह सकेंगे… पाकिस्तान का हस्तक्षेप बन्द होगा… कश्मीर में भारत जैसा ही संविधान लागू होगा… घाटी में अन्य भारतीय नौकरी करेंगे, घर बनाएंगे… कश्मीर समस्या 20% रह जाएगी!
5. कॉमन सिविल कोड लागू हो, किसी के लिए मज़हब के आधार पर अपने कानून नहीं होने चाहिए… आरक्षण 70 साल का हो गया… इससे देश टूटने का खतरा पैदा हो चुका है…
देश मे आरक्षण एक राजनीतिक औज़ार बन चुका है. अनेक समृद्ध जातियां आरक्षण के लिए मार-काट करती हैं, देश की संपत्ति नष्ट होती है. नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है… देश उन्नति में पिछड़ रहा है… सामाजिक ताना-बाना विखंडित हो रहा है… अंततः इसी आधार गृहयुद्ध हो जाएगा…
6. देश मे हिंदुओं, जिनका इस राष्ट्र की उन्नति, संरक्षण और चौतरफा प्रगति में 100% योगदान है, यह समुदाय उपेक्षित और अपमानित है… इनकी जनसंख्या घटते ही देश टूटेगा… भयंकर नरसंहार होंगे… गृहयुद्ध प्रारम्भ होगा…
अंततः हिन्दू समुदाय पूरे देश में जगह जगह पलायन करेगा, अंततः समाप्त होगा या धर्म परिवर्तन करेगा… देश में निज़ाम ए मुस्तफा होगा… भारत का नाम बदलेगा… 2034 तक भारत के कई टुकड़े संभव हैं…
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कुछ देश, जिनमें कुछ विकसित देश भी शामिल हैं, अतीत में उन देशों के उत्तरदायी शासकों ने निम्न प्रकार के उपाय किये है… भारत के निकटवर्ती लगभग सभी देशों ने यही उपाय कर अपने डूबते देश को बचाया है –
संविधान का पुनराकलन और पुनर्लेखन हो… सभी विवादस्पद-आपसी भेदभाव वाले कानून खत्म किये जायें… सेना का संविधान पुनर्लेखन में पूर्ण हस्तक्षेप हो…
प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और सेना के तीनों सेनाध्यक्षों की संयुक्त कार्यदायी परिषद हो… सेना का स्थान राजनीतिज्ञों से ऊपर हो… प्रत्येक राज्यपाल के ऊपर सेना का एक मेजर जनरल नियुक्त हो… जो राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और तीनों सेनाओं की संयुक्त कमांड के चीफ को रिपोर्ट करे…
जिले का सबसे बड़ा अधिकारी एक सैनिक अधिकारी हो. पुलिस, उक्त सेनाधिकारी के अधीन हो… विधायी शक्तियां सीमित हों… दिल्ली में स्थित संयुक्त कमांड के निर्णयों को न्यायालय में चुनौती न दी जा सके… कम से कम 10 वर्ष देश में कोई चुनाव न हो… वैकल्पिक व्यवस्था संयुक्त कमांड करे… तीनों सेनाओं की संख्या में कम से कम 50% की वृद्धि हो…
क्रमश:…