रमज़ान आया है तो दावत के मैसेजेस सोशल मीडिया पर वायरस की तरह वायरल होना ही है.
ऐसे ही एक वायरल मैसेज मुझे एक मित्र ने भेजा. कहा कि उनके एक ग्रुप में किसी एक व्यक्ति ने भेजा है जो एक अधेड़ उम्र के हिन्दू हैं – दलित नहीं हैं – और कहीं कोचिंग भी चलाते हैं.
तो उनको उन दावों के उत्तर दे दिये हैं, आप के भी काम आएंगे. लीजिये :
दावा 1 : इस्लाम कहता है कि हमें एक ईश्वर को पूजना चाहिए जो हम सबका मालिक हैं. जिसका कोई रंग हैं ना कोई रूप हैं. जिसे किसी ने नहीं बनाया पर उसने हर चीज़ को बनाया.
उत्तर : इस्लाम एकोपास्यवाद है जो कहता है कि हमारी ही मान्यता सही है और इससे अलग मान्यता रखने की आप को स्वतन्त्रता नहीं है. सूरह 109 को झूठे ढंग से पेश किया जाता है यह खुद मौलाना मौदूदी जैसे गणमान्य विद्वान ने अपने तफ़सीर में लिखा है.
दावा 2 : इस्लाम कहता है कि तुम्हारी मेहनत की कमाई से 2.5% गरीबों को देना हर हालत में ज़रूरी है.
उत्तर : इस्लाम आप से कमाई का नहीं बल्कि सालाना संपत्ति का – not just income but wealth का 2.5% मांगता है जिसे ज़कात कहा जाता है. और यह ज़कात केवल गरीबों के लिए ही नहीं होती बल्कि सरकार को पलटने के लिए जो मुजाहिद लड़ते हैं उनके लिए हथियार खरीदना, सरकार द्वारा पकड़े गए मुसलमानों को छुड़ाना और उनके परिवारों की मदद करना, सरकारी मुलाज़िमों को अपने पक्ष में निर्णय देने के लिए तोहफे देना आदि के लिए भी काम में लायी जाती है. सूरह 9:60 में इसके स्पष्ट निर्देश हैं, ज़रा खुद पढ़ने का कष्ट करें.
दावा 3 : इस्लाम कहता है कि तुम लोगों की मदद करोगे तो खुदा तुम्हारी मदद करेगा. और जो कुछ भी तुम अपने लिए चाहते हो वही सबके लिए भी चाहो तो ही एक सच्चे मुसलमान बन सकते हो.
उत्तर : कौन सा धर्म यह नहीं कहता जो इस्लाम ने कोई नई बात कही है?
दावा 4 : इस्लाम कहता है कि तुम एक महीने तक सुबह से शाम भूखे और प्यासे रहो ताकि तुम्हें एहसास हो सकें कि भूख और प्यास क्या होती है.
उत्तर : उपवास का प्रावधान हर धर्म में है. जैन मतावलंबी तो मुसलमानों से भी कठिन उपवास करते हैं. उपवास सनातन में भी हैं, लोगों ने मुसलमानों जितनी कट्टरता से करना छोड़ दिया, इतना ही है.
दावा 5 : इस्लाम कहता है कि तुम्हारे घर बेटी पैदा हो तो दुखी मत होना क्योंकि बेटियाँ तो खुदा की रहमत (इनाम) हैं और जो व्यक्ति अपनी मेहनत की कमाई से अपनी बेटी की परवरिश करें और उसकी अच्छे घर में शादी कराएँ तो वो जन्नत (स्वर्ग) में जायेगा.
उत्तर : कौन से धर्म में कन्या की निंदा की है जो इस्लाम में कुछ अलग कहा है? वैसे, बेटी को पढ़ाने के लिए कुछ नहीं कहा जो काफिर सरकार से खैरात ले रहे हो?
दावा 6 : इस्लाम कहता है कि सबसे अच्छा आदमी वो हैं जो औरतों के साथ सबसे अच्छा सुलूक करता है.
उत्तर : इस्लाम को जरा ठीक से जानिए, महाराज. औरतों को इस्लाम पुरुष की खेती भी कहता है जिसमें जो जब चाहे जोत सकता है. सूरह 2:223 पढ़ी है कभी? बाकी औरतों को पुरुष की मर्जी संभालने के लिए क्या क्या बंधन हैं, तथा अगर वे पुरुष की अवज्ञा करें तो पुरुष उसे आज्ञाकारी बनाने के लिए क्या क्या तरीके अपना सकता है जिसमें उसे पीटने की भी स्वतन्त्रता है – कभी कुरान खुद भी पढ़ लिया करें.
दावा 7 : इस्लाम कहता है कि विधवाएं मनहूस नहीं होती इन्हें भी एक बेहतर जीवन जीने का पूरा अधिकार है. इसलिए विधवाओ और उनके बच्चों को अपनाओ.
उत्तर : ज़रा इस्लाम का इतिहास पढ़िए आप कभी? इस्लाम के शुरुआती दिनों में लड़ाकुओं की जरूरत थी तो विधवाओं को अपनाना एक व्यावहारिक (practical) बात थी ताकि अगर पति की मौत के बाद व्यवस्था की गारंटी हो तो पत्नी उसे लड़ाई पर जाने से रोके नहीं.
दावा 8 : इस्लाम कहता है कि ऐ मुसलमानों जब नमाज़ पढ़ो तो एक दूसरे से कन्धे से कन्धा मिलाकर खड़े रहो क्योंकि तुम सब आपस में बराबर हो तुम में से कोई छोटा या बड़ा नहीं है.
उत्तर : कहने की बातें हैं, ज़रा मुसलमानों में अशरफ, अजलफ और अरजल क्या होते हैं जरा पूछिए – पढ़िये तो सही. पस्मंदा मुस्लिम क्या होते हैं, उनके अपने ही बाहरी खून के खुद को श्रेष्ठ समझने वाले अशरफ मुसलमानों से क्या शिकवे हैं, ज़रा Pasmanda Muslim Problems गूगल करने से पता चल जाएगा. बाकी कोई बराबरी हो भी तो मस्जिद के बाहर दुनियादारी ही दिखती है.
दावा 9 : इस्लाम कहता है कि ऐ मुसलमानों अपने पड़ोसियों से अच्छा बर्ताव करो चाहे तुम उन्हें जानते हो या न जानते हो. और खुद खाने से पहले अपने पड़ोसी को खाना खिलाओ.
उत्तर : सीरिया अरब देशों का ही पड़ोसी है, इराक भी. एक भी शरणार्थी नहीं लिया.
दावा 10 : इस्लाम कहता है कि शराब और जुआ सारी बुराइयों की जड़ है. इनसे अपने आप को दूर रखें.
उत्तर : कौन सा धर्म इनकी प्रशंसा करता है? वैसे जुए के धंधे पर कंट्रोल किसका है यह भी देखा है कभी?
दावा 11 : इस्लाम कहता है कि मज़दूर का पसीना सूखने से पहले पहले उसकी मजदूरी दे दो और कभी किसी गरीब और अनाथ की बददुआ न लेना, नहीं तो बरबाद हो जाओगे.
उत्तर : कौन सा धर्म किसी की कमाई या मेहनत के पैसे मारने को जायज़ ठहराता है? वैसे, मुसलमान भारत में टैक्स क्यों नहीं देना चाहते, इस पर क्या कहना है?
दावा 12 : इस्लाम कहता है कि अपने आप को जलन (ईर्ष्या) से दूर रखो क्योंकि ये तुम्हारे अच्छे कामों (नेकियों) को ऐसे बरबाद कर देती हैं जैसे दीमक लकड़ी को.
उत्तर : तो कौन सा धर्म ईर्ष्या की प्रशंसा करता है? बकलोल कहीं के, यही रटने आए हो?
दावा 13 : इस्लाम कहता है कि सबसे बड़ा जिहाद ये है कि कोई व्यक्ति अपनी इच्छाओं को मारे और अपने आप से लड़े.
उत्तर : ऐसा एक भी जिहादी पैदा नहीं हुआ जिसने ऐसा किया है. बाकी सभी वही जिहाद करते हैं जो वे कर सकते हैं और जिससे गैर मुसलमान का नुकसान और मुसलमान का लाभ होता है. और हाँ, गैर मुस्लिम का नुकसान करने से मुसलमान के नाम के सामने एक नेकी लिखी जाती है यह खुद कुरान में लिखा है, सूरह 9:120 में, पढ़िये कभी.
दावा 14 : इस्लाम कहता है कि अगर खुश रहना चाहते हो तो किसी अमीर को मत देखो बल्कि गरीब को देखो तो खुश रहोगे. और लोगों से अच्छा बर्ताव करना सबसे बड़ा पुण्य का काम हैं.
उत्तर : कौन सी अलग बात है जो अन्य धर्मों में नहीं है? क्या यही कहने के लिए इतना खून बहाया मुसलमानों ने आज तक?
दावा 15 : इस्लाम कहता है कि हमेशा नैतिकता और सच्चाई के रास्ते पर चलो. बोलो तो सच बोलो, वादा करो तो निभाओ और कभी किसी का दिल मत दुखाओ.
उत्तर : As above, यार ऐसी बातें दोहराकर मूर्खता का प्रदर्शन कर रहे हैं ऐसे मैसेज फैलाने वाले हिन्दू, जो अपने बारे में कुछ नहीं जानते, खामख्वाह हीन भावना पाले रहते हैं और इन बातों को बड़ी बताते हैं. क्या अपने धर्म में ऐसी बातें नहीं हैं जो इस्लाम का गुणगान ऐसी बातों के लिए करने लगते हो? और दिल मत दुखाओ कहा है तो मंदिर तोड़कर मस्जिदें क्यों बनाई? वापस क्यों नहीं दे रहे?
दावा 16 : इस्लाम कहता है कि सबसे बुरी दावत वह है जिसमें अमीरों को तो बुलाया जाता हैं, परन्तु गरीबों को नहीं बुलाया जाता है.
उत्तर : बड़े ओवैसी के बेटी की शादी हुई हाल में. सभी ने तारीफ की. बाकी ऊपर के निकष के मुताबिक बुरी दावत थी.
दावा 17 : पानी को ज़रूरत तक ही इस्तेमाल (उपयोग) करना और बिना वजह पानी का दुरूपयोग करना गुनाह (पाप).
उत्तर : पानी का दुरुपयोग कहीं भी नहीं कहा गया. अपने यहाँ पानी बहुत था, फिर भी व्यर्थ बहाने का कहीं भी समर्थन नहीं है.
दावा 18 : रास्ते में अगर कोई तक़लीफ़ देने वाली वस्तु (पत्थर, कील) हो तो उसे किनारे करना जिससे दूसरों को पीड़ा न हो.
उत्तर : तो क्या आप के धर्म में दूसरे के रास्ते में पत्थर कील जानबूझ कर बिछाने को कहा गया है? क्या आप भी ना, इसका खुद ही उत्तर मुंह पर नहीं मार सकते थे यह कहने वाले के?
दावा 19 : इस्लाम कहता है कि अनजान महिलाओं पर नज़र पड़े तो आँखें नीची कर लो क्योंकिकी गैर महिलाओं को बुरी नजर से देखना गुनाह (पाप) है.
उत्तर : यह केवल मुसलमान महिलाओं के लिए लागू है. बाकी मुसलमानों का चरित्र प्रसिद्ध है, कभी पेपर या नेट में खबरें पढ़ते नहीं हैं जो ऐसी बात को फैला रहे हैं?