आज देश के 13.5 करोड़ गरीबों के पास केवल 1 रूपये प्रतिमाह अर्थात 12 रूपये प्रतिवर्ष के प्रीमियम की कीमत पर 2 लाख रूपये के जीवनबीमा का सुरक्षा कवच है. प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत उनको यह सुविधा मिल रही है.
इनके अतिरिक्त केवल 90 पैसे प्रतिदिन अर्थात 330 रूपये प्रतिवर्ष प्रीमियम की कीमत वाली प्रधानमंत्री जीवनज्योति बीमा योजना के तहत भी लगभग 5.5 करोड़ गरीबों के पास 2 लाख रूपये का जीवनबीमा सुरक्षा कवच है.
इस योजना के तहत 2 लाख रुपये एक्सीडेंटल डेथ और पूर्ण विकलांगता की स्थिति में 1 लाख रुपये का बीमा कवर मिलता है. यह दोनों योजनाएं मोदी सरकार ने तीन वर्ष पूर्व 2015 में प्रारम्भ की थी.
आज से लगभग 3 वर्ष पहले पहले क्या कोई रिक्शाचालक, दिहाड़ी मज़दूर, महरी, धोबी, नाई, मोची सरीखे श्रमसाध्य कार्य करनेवाले गरीब क्या यह कल्पना भी कर सकते थे कि वो भी 2 लाख रुपये का अपना जीवन बीमा करा सकेंगे?
लेकिन पिछले 3 वर्षों में इस वर्ग के 19 करोड़ गरीबों को मोदी सरकार ने यह सुविधा/सुरक्षा उपलब्ध करायी है.
[देश को आज ज़रुरत है ऐसे ही विश्वासघाती प्रधानमंत्री और विश्वासघाती सरकार की]
10-15 हज़ार से लेकर 50-60 हज़ार रुपये तक की कीमत वाले एंड्रॉइड/आई फोन व लैपटॉप पर जमने सजने वाली सोशल-मीडियाई पंचायतों और न्यूज़चैनली अदालतों के लिए शायद यह महत्वपूर्ण ना हो किन्तु…
जरा सोचिये उन दिहाड़ी मजदूरों के विषय मे जो रोज़ाना हाड़तोड़ मेहनत करके बमुश्किल 200-250 रू कमाते हैं. उनकी यह कमाई भी निश्चित नहीं होती. कभी काम मिलता है, कभी नहीं मिलता है.
सर्वाधिक दु:खद स्थिति वह होती है जब ऐसा कोई मज़दूर किसी बीमारी या दुर्घटना का शिकार बनकर असमय ही काल के गाल में समा जाता है.
उस गरीब की मृत्यु के पश्चात उसके घर मे दो टाइम चूल्हा जलने लायक धन भी ना उपलब्ध नहीं होता है. ऐसे संकट के समय उसके परिजनों के लिए 2 लाख रूपये की राशि संजीवनी ही सिद्ध होती है.
अतः समाज के सबसे गरीब पिछड़े वर्ग के 19 करोड़ लोगों को यह जीवन सुरक्षा/सुविधा देना क्या विश्वासघात है?
यदि कांग्रेसी कसौटी के अनुसार यह विश्वासघात है तो यह विश्वासघात स्वागतयोग्य है और यह विश्वासघात करनेवाली सरकार और विश्वासघाती प्रधानमंत्री मुझे स्वीकार्य है.