Fast Cook Easy To Clean वाली छवि वाले इन काले बर्तनों को देखकर याद आता है कि वो भी क्या दिन थे जब ताम्बे के चमचमाते बर्तनों से घर सजा रहता था. पीतल के बर्तनों में कलई करने वाले महीने दो महीने में घर में दादी नानी को आवाज़ लगाते चले आते थे. जब चमकते हुए बर्तन स्टेंडर्ड की निशानी मानी जाती थी.
हम सब इन बर्तनों को अपने घर में उपयोग में लेते आए हैं और शायद कोई बहुत बेहतर विकल्प ना मिल जाने तक आगे भी उपयोग करते रहेंगे, लेकिन इनका उपयोग करते समय हम ये बात भूल जाते हैं कि ये हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा सकते है.
हालाँकि टेफलोन को 20वीं शताब्दी की सबसे बेहतरीन केमिकल खोज में से एक माना गया है. स्पेस सुइट और पाइप में इसका प्रयोग ऊर्जारोधी के रूप में किया जाने लगा. लेकिन इसने धीरे धीरे हमारी रसोई घर में कब्ज़ा जमा लिया जो स्वास्थ के लिए हानिकारक है.
टेफलोन कोटेड बर्तनों में सिर्फ 5 मिनिट में 721 डिग्री टेम्प्रेचर तक गर्म हो जाने की प्रवृति देखी गई है और इसी दौरान 6 तरह की गैस वातावरण में फैलती है इनमें से 2 गैस ऐसी होती हैं जो केंसर को जन्म दे सकती है.
अध्ययन बताते हैं कि टेफलोन को अधिक गर्म करने से पोलिमर फ्यूम फीवर की सम्भावना बहुत बढ़ जाती है.
टेफलोन केमिकल के शरीर में जाने से होने वाली बीमारियाँ:
1. पुरुष इनफर्टिलिटी : हाल ही में किए गए एक डच अध्यन में ये बात सामने आई है लम्बे समय तक टेफलोन केमिकल के शरीर में जाने से पुरुष इनफर्टिलिटी का खतरा बढ़ जाता है और इससे सम्बंधित कई बीमारियाँ पुरुषों में देखी जा सकती है.
2. थाइरॉइड : हाल ही में एक अमेरिकन एजेंसी द्वारा किया गए अध्यन में ये बात सामने आई है कि टेफलोन की मात्रा लगातार शरीर में जाने से थाइरॉइड ग्रंथि सम्बन्धी समस्याएं हो सकती है.
3. बच्चे को जन्म देने में समस्या : केलिफोर्निया में हुई एक स्टडी में ये पाया गया कि जिन महिलाओं के शरीर में जल, वायु या भोजन किसी भी माध्यम से पीएफ़ओ (टेफलोन) की मात्रा सामान्य से अधिक पाई गई उन्हें बच्चो को जन्म देते समय अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ा. इसी के साथ उनमे बच्चो को जन्म देने की क्षमता भी अपेक्षाकृत कम पाई गई.
4 . केंसर या ब्रेन ट्यूमर का खतरा : एक प्रयोग के दौरान जब चूहों को पीएफ़ओ के इंजेक्शन लगाए गए तो उनमें ब्रेन ट्यूमर विकसित हो गया साथ ही केंसर के लक्षण भी दिखाई देने लगे. पीएफ़ओ जब एक बार शरीर के अन्दर चला जाता है तो लगभग 4 साल तक शरीर में बना रहता है जो एक बड़ा खतरा हो सकता है.
5. शारीरिक समस्याएं व अन्य बीमारियाँ : पीएफ़ओ की अधिक मात्रा शरीर में पाई जाने वाली महिलाओं के बच्चों पर भी इसका असर जन्मजात शारीरिक समस्याओं के रूप में देखा गया है. इसी के साथ अध्ययन में ये सामने आया है कि पीएफ़ओ की अधिक मात्रा लीवर केंसर का खतरा बढ़ा देती है.
टेफलोन के दुष्प्रभाव से बचने के उपाय:
टेफलोन कोटिंग वाले बर्तनों को कभी भी गैस पर बिना कोई सामान डाले अकेले गर्म होने के लिए ना छोड़ें.
इन बर्तनों को कभी भी 450 डिग्री से अधिक टेम्प्रेचर पर गर्म ने karen. सामान्यत: इन्हें 350-450 डिग्री तक गर्म करना बेहतर होता है.
टेफलोन कोटिंग वाले बर्तनों में पक रहा खाना बनाने के लिए कभी भी मेटल की चम्मचों का इस्तेमाल ना करें. इनसे कोटिंग हटने का खतरा बढ़ जाता है.
टेफलोन कोटिंग वाले बर्तनों को कभी भी लोहे के औजार या कूंचे ब्रुश से साफ़ ना करें, हाथ या स्पंज से ही इन्हें साफ़ करें.
इन बर्तनों को कभी भी एक दूसरे के ऊपर जमाकर ना रखें.
घर में अगर पालतू पक्षी हैं तो इन्हें ऐसे बर्तनों में खाना न दें.
अगर गलती से घर में ऐसा कोई बर्तन ज्यादा टेम्प्रेचर पर गर्म हो गया है तो कुछ देर के लिए घर से बाहर चले जाएं और सारे खिड़की दरवाजे खोल दे पर ये गलती बार बार ना दोहराएं क्यूंकि बाहर के वातावरण के लिए भी ये गैस हानिकारक है.
टूटे या जगह-जगह से घिसे हुए टेफलोन कोटिंग वाले बर्तनों का उपयोग बंद कर दें क्योंकि ये धीरे धीरे आपके भोजन में ज़हर घोल सकते हैं. अगर आपके बर्तन नहीं भी घिसे हैं तो भी इन्हें 2 साल में बदल लेने की सलाह दी जाती है.
जहाँ तक हो सके इन बर्तनों कम ही प्रयोग करिए. इन छोटी छोटी बातों का ध्यान रखकर आप अपने और अपने परिवार के स्वास्थ को बेहतर बना सकते हैं.