प्रधानमंत्री मोदी, ये बात सही है कि पेट्रोल उत्पादों पर सब्सिडी दीर्घकालिक रूप से एक गलत अर्थनीति है.
आजकल जब कच्चे तेल का भाव रोज बढ़ने के कारण पेट्रोल उत्पादों के खुदरा दाम भी बढ़ रहे हैं तो उसमे हस्तक्षेप न करके (सब्सिडी देकर या केंद्रीय शुल्क घटा कर) आप इसको बाजार पर ही छोड़े हुए है.
ऐसा करने से आप जो 10-15 हज़ार करोड़ बचा रहे हैं, वो आपको क्या लगता है कि इस मुद्दे के कारण अगर आप अगला चुनाव हार गए तो जो नई सरकार आएगी वो उसका उपयोग देश के विकास के लिए करेगी?
दो दिन में वो सब डकार जायेंगें.
भूल गए… वाजपेयी जी द्वारा छोड़ी गयी मजबूत अर्थव्यवस्था का क्या हाल करके गए थे ये लोग?
आपको लगता है कि इस देश की जनता को ये समझ में आता है…
– कि सोनिया-मनमोहन ने पेट्रोलियम सब्सिडी को करीब 2 लाख करोड़ सालाना और कुल बजट घाटे को करीब 7 लाख करोड़ सालाना पर पहुंचा दिया था. इसके कारण मुद्रास्फीति 12-13 प्रतिशत और ब्याजदर इससे भी ज्यादा हो गयी थी.
– कि उस घाटे की भरपाई सरकार बेतहाशा कर्ज़ ले कर कर रही थी जिससे साल दर साल बजट का बड़ा भाग उस कर्ज़ का ब्याज चुकाने में जा रहा था और वो चुकाने के लिये और कर्ज लिया जा रहा था.
– कि ऐसी अर्थव्यवस्था कुछ ही साल में ज़िम्बाब्वे या वेनेज़ुएला जैसे हाल को प्राप्त हो जाती है.
लोगों को बस व्हाट्सएप/ फ़ेसबुक पर ये दिखाया जा रहा है कि कैसे $130 का कच्चा तेल होने पर भी जादूगर मनमोहन 72 रुपये में पेट्रोल बेचते थे और कैसे ज़ालिम मोदी कच्चा तेल $70 का होने पर भी 76 रुपये में बेच रहा है.
और जो 2 लाख करोड़ का सालाना घाटा हो रहा था इस कारण, जो कभी न कभी तो किसी न किसी तरह चुकाना ही था, आज नहीं तो कल, वो किसी को समझ आता है क्या?
तो आप क्या चाहते हैं कि फिर से वही आपका बचाया हुआ पैसा और सुदृढ़ अर्थव्यवस्था इनके हाथ लगे और इनकीं लूट फिर अगले 10-15 साल देश को झेलनी पड़े?
आपकी किस बात की ज़िद है? अगर 10-15 हज़ार करोड़ का टैक्स कम भी कर दिया जनता को खुश करने को तो क्या वो 10-15 साल की लूट के सामने मंहगा सौदा है?
आपका क्या है, आपने तो खुद ही बोला था कि झोला उठा के चल दोगे. भुगतना तो देश के लोगों को पड़ेगा. क्या वो सब भी झोला उठा के आपके पीछे चल पड़े देश को राम भरोसे छोड़ के?