असद दुर्रानी इस नाम से आप बेशक परिचित ना होंगे, लेकिन इस लेख को पढ़ने के बाद आप इस नाम को कभी भूल नही पाएंगे.
असद दुर्रानी पाकिस्तान की खुफिया आतंकी एजेंसी ISI के चीफ रहे हैं. उन्होंने पाकिस्तान के इशारे पर अपनी एक किताब लिखी है जिसमें भारत को गलत ढंग से दर्शाया गया है.
भारत की नीतियों को गलत, दादागिरी भरी व दुर्भावना से ग्रसित बताया है. इस पुस्तक में उन्होंने भारत की बेहतरीन खुफिया एजेंसी RAW और भारतीय सेना पर भी गंभीर झूठे आरोप लगाये हैं.
इस किताब के उन्होंने वर्तमान NSA चीफ अजित डोवाल की भी बहुत बुराई की है. इसमें वर्तमान भारत सरकार की नीतियों और प्रधानमंत्री मोदी की भी आलोचना की गई है.
दो कौड़ी का भाड़े का टट्टू असद दुर्रानी जो कल तक भारत मे आतंकवाद फैलाता था, जो कल तक भारत मे आतंकवादी भेजता था, जिसकी ISI ने कसाब को भेज कर मुम्बई पर हमला करवाया था, आज वही असद दुर्रानी जब सेनानिवृत हो गया तब इसने पाकिस्तान की सेना और ISI द्वारा फेंके गए टुकड़ों की ख़ातिर भारत के खिलाफ एक किताब लिख डाली. क्या करे… पैसा जो न करवाये कम है.
असद दुर्रानी की भारत के प्रति नफरत और भारत में आतंक फैलाने के इरादों को देखते हुए मोदी सरकार ने इन्हें बुक लॉन्च के लिए भारत आने के लिए वीज़ा देने से साफ इनकार कर दिया.
अब दुर्रानी मियां भारत नहीं आ सकते थे, देश विरोधी बुक लॉन्च खटाई में पड़ गया.
हिम्मत देखिये… दुश्मन देश की खुफिया एजेंसी का चीफ भारत में पहले तो आतंकवाद फैलाता है फिर भारत के खिलाफ किताब लिखता है और फिर उसे भारत मे लॉन्च करने भी आने की हिम्मत दिखाता है…
जानते हैं क्यों? क्योंकि इस देश मे उसके कई दोस्त उसकी मदद को तैयार बैठे हैं, वे बाहें फैलाये उसे गले लगाने का इंतज़ार कर रहे हैं.
असद दुर्रानी ने तो ये सब पैसे और अपने देश पाकिस्तान के प्रति निष्ठा के चलते किया, लेकिन पूरे विश्व में जब भी कोई मोदी विरोध करे तो भला कांग्रेस कैसे चुप बैठ सकती है?
सो कांग्रेस जो बाहें फैलाये ex ISI चीफ का इंतज़ार कर रही थी, बहुत मायूस हुई और इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी खत्म करने वाला कदम बता दिया.
कांग्रेस के साथ इनकी पूरी गैंग भी मैदान में उतर आई. जब असद दुर्रानी को वीज़ा नही दिया गया तो कांग्रेस ने बाकायदा एक 5-Star होटल में आयोजन कर इस पुस्तक को रिलीज़ करवाया.
मोदी सरकार चाहे जितना ज़ोर लगा ले अगर कांग्रेस ने ठान लिया है कि वे किसी पाकिस्तानी को भारत बुला के रहेंगे तो वे हर हद्द को पार कर उसे बुलाएंगे, और ऐसा किया भी…
कांग्रेस ने कार्यक्रम में बाकायदा पूर्व ISI चीफ असद दुर्रानी को वीडियो कॉन्फ्रेंस के ज़रिए इस पूरे कार्यक्रम का हिस्सा बनाया, लो मोदी अब उखाड़ लो जो उखाड़ना है, हमने तो बुला लिया और किताब का विमोचन भी करवा दिया.
जानना चाहेंगे इसमें कौन कौन शामिल था?
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, ओमर अब्दुल्ला, बरखा दत्त, फारूख अब्दुल्ला, कपिल सिब्बल, पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, शिव शंकर मेनन आदि…
तो क्या ये सब मोदी विरोध में इतने अंधे हो चुके हैं कि अब देश विरोध तक पर उतर आए हैं? मोदी विरोध तो ठीक है पर भारत सरकार का विरोध? RAW का विरोध? भारतीय सेना का विरोध? भारतीय संवैधानिक संस्थाओं का विरोध कहाँ तक ठीक है?