- वरुण कुमार जायसवाल, राजनीतिक विश्लेषक
महँगाई पर कुछ प्रश्न…
1. क्या सब्ज़ियां-दालें-अनाज एवं चीनी/ मसालों के मूल्यों में बेतहाशा वृद्धि हुई है? जो चार वर्षों पूर्व होने वाली कमाई के सापेक्ष अत्यधिक है.
2. क्या यातायात/ परिवहन लागत में पेट्रोलियम की कीमतों के सापेक्ष होने वाली वृद्धि इसी दौरान औसत वेतन/ मज़दूरी विकास दर से अधिक रही है?
3. क्या इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे मोबाईल, लैपटॉप, टेलीविज़न फ़्रिज, वाशिंग मशीन, एयरकंडीशनर आदि की कीमतों में कोई असामान्य उछाल आया है जिससे यह 4 वर्षों पूर्व की तुलना में उपभोक्ता के लिए दुर्लभ हुए हैं?
4. क्या उच्च शिक्षा पर होने वाले खर्च में कोई ऐसी वृद्धि नोटिस की गई है जिससे कि लायक विद्यार्थियों के लिए उच्च शिक्षा 4 वर्ष पूर्व की तुलना में अप्राप्य हो चली हो?
5. क्या ऑटोमोबाइल सेक्टर में लगातार दोहरे अंकों में वृद्धि नहीं दर्ज की जा रही है ?
6. क्या पिछले 4 वर्षों में घर बनाने हेतु ज़मीन की कीमतों में लगातार और असामान्य उछाल आया है?
यद्यपि मजदूरी और सामान की लागत औसतन बढ़ी है किन्तु यह औसतन वेतन/ मजदूरी वृद्धि के सापेक्ष ही है.
7. क्या बैंक कर्ज़ों की लागत 4 वर्षों पूर्व की तुलना में बढ़ी है या इनमें कोई कमी हुई है.
इन कुछ प्रश्नों के उत्तर देते हुए पूर्व और वर्तमान सरकार के बीच महँगाई की तुलना करिए…
नोट – फिर कहूँगा कि महंगाई दरअसल नौकरीपेशा और अनुचित मुनाफ़ा लेने वाले लोगों का हल्ला मात्र होती है.
DA (महंगाई भत्ते) की सुरक्षा और अनुचित लाभांश, दोनों लेने वाले कभी नहीं चाहते महँगाई राक्षस का अट्टहास थम जाये…