मेरे पिछले लेख ‘डिजिटल युग में पब्लिक पॉलिसी : कुछ प्रश्न‘ पर एक मित्र ने पूछा कि इस डिजिटल क्रांति के लिए एक आम भारतीय किस तरह से तैयार रहे है.
अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का जम्मू के कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान में 19 मई को दिए गए सम्बोधन को सुना.
उन्होंने कहा कि समय के साथ टेक्नोलॉजी तेजी से बदल रही है और बदलती हुई टेक्नोलॉजी तमाम व्यवस्थाओं में आमूल-चूल परिवर्तित कर रही है. टेक्नोलॉजी जैसे रोजगार की प्रकृति बदल रही है, रोजगार के नए-नए तरीके विकसित हो रहे हैं, वैसे ही आवश्यकता एग्रीकल्चर क्षेत्र में भी नया कल्चर विकसित करने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि अपने परम्परागत तरीकों को जितना ज्यादा हम तकनीकी पर केन्द्रित करेंगे उतना ही किसान को अधिक लाभ होगा. और इसी विज़न पर चलते हुए केंद्र सरकार देश में खेती से जुड़े आधुनिक तौर-तरीकों को बढ़ावा दे रही है.
फिर प्रधानमंत्री ने एग्रीकल्चर में आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस या कृत्रिम बुद्धि की बात करते हुए कहा कि ये आने वाले समय में खेती में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाला है. देश के कुछ हिस्सों में सीमित स्तर पर किसान इसका इस्तेमाल कर भी रहे हैं. दवाई और पेस्ट कंट्रोल के लिए ड्रोन जैसी तकनीक का इस्तेमाल अब धीरे-धीरे शुरू हो रहा है.
इसके अलावा मिटटी की गुणवत्ता और कीमतों के निर्धारण में भी टेक्नोलॉजी काम कर रही है. आने वाले दिनों में ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी का भी बड़ा अहम रोल रहेगा.
इस तकनीक से वितरण की हर पल (प्रधानमंत्री ने “रियल टाइम” शब्दों का प्रयोग किया है) निगरानी हो पाएगी; इससे खेती में होने वाले लेनदेन में पारदर्शिता आएगी. सबसे बड़ी बात, बिचौलियों की बदमाशी पर भी लगाम लगेगी और उपज की बर्बादी पर भी लगाम लगेगी.
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि सभी को भलीभांति पता है कि किसान की लागत बढ़ने की एक वजह खराब क्वालिटी के बीज, फर्टिलाइजर और दवाइयां भी होती हैं. ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी से इस समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है. इस तकनीक के माध्यम से प्रॉडक्शन की प्रक्रिया से लेकर किसानों तक पहुंचने तक, किसी भी चरण पर प्रॉडक्ट की जांच आसानी से की जा सकती है.
ब्लॉक चेन में एक पूरा नेटवर्क होगा जिसमें किसान, वितरक, प्रशासन, और उपभोक्ता की एक चेन होगी. इन सभी के बीच नियम और शर्तों के आधार पर बनाए गए कॉन्ट्रैक्ट (प्रधानमंत्री ने “स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट” का प्रयोग किया है) पर ये तकनीक विकसित की जा सकती है, इस पूरी चेन से जुड़ा व्यक्ति क्योंकि इस पर नजर रख सकता है, लिहाजा इसमें भ्रष्टाचार की गुंजाइश भी कम रहेगी.
इसके अतिरिक्त, परिस्थितियों के हिसाब से फसल की बदलती कीमतों की वजह से किसानों को होने वाले नुकसान से भी ये तकनीक राहत दिला सकती है. इस चेन से जुड़ा हर व्यक्ति एक-दूसरे के द्वारा हर पल जानकारियां साझा कर सकता है, और आपसी शर्तों के आधार पर, प्रत्येक स्तर पर कीमतें तय की जा सकती हैं.
प्रधानमंत्री ने कृषि के बारे में और भी बहुत कुछ कहा जो आप उनकी वेबसाइट पर सुन या पढ सकते है.
अब आते है मुद्दे पर.
पिछले दो लेखों ‘पाषाण युग इसलिए समाप्त नहीं हुआ क्योंकि उस युग में पत्थरों की कमी हो गई थी‘ और ‘डिजिटल युग में पब्लिक पॉलिसी : कुछ प्रश्न‘ में मैंने ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी और आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के बारे में लिखा ही नहीं क्योकि मुझे लगा कि यह मित्रों के सर के ऊपर से निकल जाएगा.
लेकिन एक चाय वाला, जिसने कभी अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों या विदेश में पढ़ा नहीं, किसी शाही परिवार में जन्म नहीं लिया, वह व्यक्ति किसानों की भलाई के लिए आने वाली तकनीकी की बात कर रहा है.
आखिर ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी है क्या?
अगर आपने बिटकॉइन के बारे में सुना है, जो एक डिजिटल करेंसी है और किसी भी सरकार के नियंत्रण के बाहर है, वह बिटकॉइन ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी पर आधारित है.
इस तकनीकी में बिटकॉइन पर कार्य करने वाले हर व्यक्ति के कंप्यूटर पर अपना लेजर या लेखा होता है और कुछ लेजर मिलकर एक ब्लॉक बनाते है. ऐसे कई ब्लॉक बन जाते हैं जो एक दूसरे से जुड़े होते हैं. सारे हिसाब किताब इन्ही ब्लॉक चेन के द्वारा होते है.
अगर कोई व्यक्ति अपने लेजर पर दाखिल किसी एंट्री में चेंज करता है तो उस चेंज को बाकी लेजर पर भी करना होगा, नहीं तो वह चेंज अस्वीकृत हो जाएगा. दूसरे शब्दों में, सारे लेन-देन में किसी भी घोटाले की कोई सम्भावना नहीं है.
कृषि के क्षेत्र में ब्लॉक चेन का लाभ यह होगा कि किसानो ने किससे बीज और खाद लिया, किसको माल बेचा, उस माल को कहाँ किस दाम पर बेचा, जब स्वतंत्र लेजर पर दाखिल हो जाएगा जिसे उस चेन के पहले बिंदु – किसान – की अनुमति के बिना कोई बदल नहीं सकता.
एक तरह से किसान, बिचौलिए, दूकानदार, प्रशासन और उपभोक्ता के मध्य एक स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट हो जाएगा जो बिना किसान की परमिशन के कोई तोड़ नहीं सकता. परिणामस्वरूप, किसान को फसल का उचित दाम मिलेगा और उपभोक्ता को सस्ता माल.
लेकिन अगर ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी सफल हो गयी तो जानते है इसका परिणाम क्या होगा?
विश्व के कई बड़े कॉरपोरेशन या कंपनियों की आवश्यकता ही समाप्त हो जायेगी. क्योकि कंपनियों का आस्तित्व इसलिए है क्योकि उनमें कॉन्ट्रैक्ट को लागू करवाने की क्षमता है (यह अर्थशास्त्र का एक कठिन विषय है, लेकिन अगर रूचि हुई तो इसपर विस्तार से लिखूंगा).
अगर वह कॉन्ट्रैक्ट ब्लॉक चेन के द्वारा सीधे उत्पादक और उपभोक्ता के मध्य हो गया, एक ऐसा स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट जिसे दोनों की अनुमति के बिना नहीं बदला जा सकता, तो फिर कंपनियों की आवश्यकता क्यों होगी?
यह एक दुःख का विषय है कि ऐसे दूरदर्शी विचारों का हमारे मीडिया में कोई चर्चा नहीं है. क्योकि ऐसे विषयों को लिखने से पता चल जाएगा कि विपक्ष की सोच कितनी दिवालिया है.