भारत में नेपाल, भूटान, श्रीलंका और बांग्लादेश से महंगा पेट्रोल बिक रहा है.
आजकल कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष तथा कुछ चुने हुए मीडियाई गड़रियों का यह सर्वाधिक प्रिय मुद्दा बना हुआ है.
हालांकि उन लोगों की यह बात सच भी है. आजकल भारत में नेपाल, भूटान, श्रीलंका और बांग्लादेश से महंगा पेट्रोल बिक भी रहा है.
लेकिन उनकी यह बात आधी सच है क्योंकि मीडियाई गड़रियों और मोदी विरोधियों का गठबन्धन देश के समक्ष यह बात इस तरह प्रस्तुत कर रहा है कि मानो ऐसा पहली बार हुआ है और यह अन्तर मोदी सरकार की वजह से ही हुआ है.
अतः पहले तो यह जान लीजिए कि नवम्बर 2011 में जब दिल्ली में पेट्रोल 66.42 रू प्रति लीटर बिक रहा था, उस समय पाकिस्तान में पेट्रोल की कीमत 48.64 रू प्रति लीटर तथा भूटान में 49.10 रू प्रति लीटर थी. कमोबेश ऐसी ही स्थिति बंगलादेश और श्रीलंका के साथ भी थी.
अबकी और तबकी स्थिति में लेकिन एक फर्क था. वह फर्क यह था कि उस समय भारत सरकार देशवासियों पर यह अहसान भी लाद रही थी कि 66.42 रू प्रति लीटर की दर से तेल बेचने के बावजूद सरकार की तेल कंपनियों को घाटा हो रहा है इसलिए लगभग 6.8 अरब डॉलर (आज के लगभग 46 हज़ार करोड़ रू) की पेट्रोलियम सब्सिडी सरकारी कम्पनियों को देनी पड़ रही है.
उस समय आज की तुलना में कच्चा तेल लगभग 5 रू प्रति लीटर महंगा था. लेकिन उस समय सब्सिडी देने के बावजूद देश में पेट्रोल पाकिस्तान और भूटान से लगभग 20-22 रू महंगा क्यों बिक रहा था?
यही वह प्रश्न है, यही वह बिन्दु है जहां मीडियाई गड़रियों और मोदी विरोधियों का गठबंधन देश से सच नहीं बोल रहा है.
दरअसल दुनिया के लगभग 165 देशों की सूची में 86 देश ऐसे हैं जहां भारत से सस्ता डीजल पेट्रोल बिक रहा है और 78 देश ऐसे हैं जहां डीजल पेट्रोल की कीमत भारत से अधिक है. एक तरह से भारत का स्थान इस सूची के मध्य में ही है.
इस सूची को देखिए तो यह ज्ञात होता है कि भारत से सस्ता डीजल पेट्रोल बेचने वाले 86 देशों में सऊदी अरब, रूस, अमेरिका की वह तिकड़ी शामिल है जो दुनिया के 35% कच्चे तेल का उत्पादन करती है.
इनके अतिरिक्त ईरान, इराक, कुवैत, ओमान, सूडान, यूएई, बहरीन, कतर, ब्रूनेई, नाइजीरिया, लीबिया समेत लगभग 20 ऐसे अन्य प्रमुख तेल उत्पादक देश इस सूची में शामिल हैं जिनका तेल उत्पादन भारत से दोगुना और आबादी भारत से कम से कम 30 गुना कम है.
इसके अतिरिक्त इस सूची में पाकिस्तान और अफगानिस्तान तथा उन जैसे ही अफ्रीकी महाद्वीप के वो गरीब इस्लामिक देश भी शामिल हैं जिन्हें सऊदी अरब व तेल उत्पादक अन्य इस्लामिक देश धार्मिक आधार पर दया और कृपा के रूप में कच्चा तेल न्यूनतम मुनाफे के साथ बहुत कम दामों पर देते हैं. यह सब वह देश हैं जिनके यहां डीजल पेट्रोल का मूल्य भारत से काफी कम (10 से 20 रू तक) है.
जबकि भारत से सस्ता तेल बेचने वाले उन 86 देशों में करीब 25 देश ऐसे हैं जिनके यहां के पेट्रोल के मूल्य और भारत में बिक रहे पेट्रोल के मूल्य में 2 से 5 रू तक का अंतर है.
लेकिन इन सबसे दिलचस्प और महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि भारत से महंगा पेट्रोल बेचने वाले 78 देशों की सूची में वो चीन भी शामिल है जो सऊदी अरब, अमेरिका और रूस के बाद दुनिया में कच्चे तेल का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है (क्योंकि गृहयुद्ध के कारण ईरान, इराक का तेल उत्पादन बहुत कम हो चुका है) लेकिन अपने यहां भारत से लगभग 8 से 10 रू प्रति लीटर महंगा पेट्रोल बेचता है.
उसके बाद दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश कनाडा है लेकिन कनाडा में भी पेट्रोल की कीमत भारत से लगभग 5 रू प्रति लीटर अधिक है.
भारत से लगभग सवा गुना अधिक कच्चे तेल का उत्पादन करने वाले ब्रिटेन की आबादी भारत से लगभग 20 गुना कम है लेकिन ब्रिटेन में पेट्रोल की कीमत 114.80 रूपए प्रति लीटर है.
फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, स्वीडन, डेनमार्क भी उस सूची के उन 78 देशों में ही शामिल हैं जहां भारत से बहुत अधिक कीमत पर पेट्रोल बिकता है.
बहुत संक्षेप में बस यह कहना चाह रहा हूं कि आज की दुनिया में पेट्रोलियम उत्पादों से होने वाली आय किसी भी देश की आर्थिक स्थिति के बनाने बिगाड़ने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.
दुनिया के प्रमुख तेल उत्पादक देशों में से एक वेनेजुएला में पेट्रोल 90 पैसे प्रति लीटर बिकता है लेकिन दूसरा सच यह भी है कि 400% मुद्रास्फीति की दर के साथ कुछ महीनों पहले दीवालिया घोषित होने की कगार पर जाकर खड़ा हो गया था. आज भी अमेरिकी कृपा से विश्वबैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की दया पर उसकी अर्थव्यवस्था जैसे तैसे रेंगना शुरू हुई है.
आज यह सच इसलिए लिखना पड़ा क्योंकि किसी भी राजनीतिक दल से कैसे भी प्रकार के अनर्गल प्रलाप की अपेक्षा की जा सकती है. अंतः पेट्रोल को लेकर मोदी विरोधी खेमे का प्रलाप स्वाभाविक और अपेक्षित है.
लेकिन मीडियाई गड़रियों के एक खास गैंग और उसके एक प्रमुख सरगना जब अपनी हथेली रगड़ते हुए एड़ियों और पंजों के बल पर अपने कूल्हे उछाल उछालकर 130 करोड़ की जनसंख्या वाले भारत में पेट्रोल के दामों की तुलना मात्र 8 लाख 20 हज़ार की जनसंख्या वाले भूटान में पेट्रोल के दामों से कर के मोदी सरकार के खिलाफ खबरों की धोखाधड़ी का ज़हर उगलते देखा तो सोचा कि जवाब लिखना जरूरी है.
मेरे लेख के उपरोक्त तथ्य उस मीडियाई सरगना को मेरा जवाब नहीं बल्कि आप मित्रों को दी गयी जानकारी है.
उस धूर्त को मेरा जवाब यह है कि भारत-चीन के बीच एक सुरक्षा दीवार की तरह खड़े, मात्र 8 लाख 20 हज़ार की आबादी वाले, भारत के परम मित्र भूटान से पेट्रोलियम पदार्थों पर न्यूनतम सम्भव टैक्स लेने की भारत की कूटनीति, रणनीति दशकों पुरानी है, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता.
कुछ इसी रणनीति के तहत नेपाल को भी टैक्स में भूटान की तरह बहुत नहीं लेकिन कुछ छूट भारत देता है परिणामस्वरूप नेपाल में भारत से 5-7 रू सस्ता पेट्रोल बिकता है.