चलिए साहब, अब जरा तथ्यों के आधार पर जानिए कि कर्नाटक क्यों ज़रूरी था काँग्रेस के लिए और क्यों है ये हाय तौबा.
ध्यान रखिये कि कोई भी पॉलिटिकल पार्टी और कोई भी राज्य पैसे की लूट से बचा नहीं है.
राजनीतिक पार्टियों के पास चंदे के रूप में अरबों-खरबों रुपये राज्य सरकारों की वजह से ही आते हैं.
इसमें सबसे बड़ा हिस्सा होता है खनन लॉबी का…
राज्यों के कुल बजट का सिर्फ 10% आप गड़बड़ जगह पहुंचा मान लीजिए तो 5 साल में बहुत बड़ी रकम होती है जिसका बहुत बड़ा हिस्सा अगले चुनाव में खर्च होता है.
ये वो तथ्य है जिसको जानते सब हैं, पर कोई मानना नहीं चाहता…
आज सिर्फ 4 राज्यों में है सरकार कोंग्रेस की –
1. मिजोरम (सालाना बजट लगभग 9500 करोड़ रूपए)
2. पॉन्डिचेरी (सालाना बजट लगभग 6950 करोड़ रूपए)
3. पंजाब (सालाना बजट लगभग 1.18 लाख करोड़ रूपए)
और जो हाल तक थी –
4- कर्नाटक (सालाना बजट लगभग 1.86 लाख करोड़ रूपए)
मिजोरम पहाड़ी राज्य होने की वजह से केंद्र पर आश्रित राज्य है और राज्य सरकार पर पैसे की शॉर्टेज होती है.
पोडिचेरी केंद्र शासित राज्य है इसलिए एक-एक रुपया केंद्र की निगहबीनी में होता है और हेराफेरी बहुत छोटे स्तर पर ही होती है
पंजाब बड़ा कमाऊ पूत है पर अब बाप के कहे में नहीं है… जो भी पैसा कमाया जाएगा वो वहीं रह जायेगा, आलाकमान कुछ नहीं कर सकता… कुछ ज्यादा कहेगा तो बेटा धक्के देकर बाहर निकाल खड़ा कर देगा.
आखिरी उम्मीद कर्नाटक… बड़ा राज्य, बड़ा बजट… और सबसे बड़ी बात खनन की दृष्टि से बेतरह समृद्ध राज्य…
अब अगर ये भी चला गया काँग्रेस के हाथ से तो पैसा कहां से आएगा?
माना उनके पास बहुत पैसा है जो बाहर जमा है पर अब भारत कैसे आएगा?
हवाला पर नकेल है, ngo ठप्प हैं, मॉरीशस-सिंगापुर रूट बंदी के कगार पर है…
अब बस भारत की फिल्मों के चीन में और विदेशों में हज़ारों करोड़ कमाने का आसरा रह गया है या कोई और तरीका जो मुझे आज तक नहीं पता…
पिछले 5 साल में कर्नाटक के कुल बजट में लगभग कुल 10 लाख करोड़ खर्च हुए हैं… हिसाब लगा लीजिये कितना पैसा बड़े स्तर पर जेब मे पहुंचा होगा…
अब ये भी नहीं बचा तो फाकों की नौबत आ जायेगी…
सटीक आंकलन ,
इसीलिए काँग्रेस को छोटी और क्षेत्रिय पार्टियों के साये में रहने में कोई तकलीफ नहीं है।