देखिये सच्चाई तो ये है कि भाजपा और मोदी कर्नाटक चुनाव में बुरी तरह हार गए हैं. आइये पहले आंकड़ो पर नज़र डाल लेते हैं-
भाजपा/ मोदी को सिर्फ 104 सीट्स मिली हैं यानी पिछली बार से सिर्फ 65 ज़्यादा… अरे पिछली बार से ढाई गुणे से भी ज़्यादा सीट्स भी कोई जीत है?
हुह… हार गए मोदी, जनता ने मोदी को नकार दिया है, मोदी मैजिक खत्म, और लो पंगे हम फ़र्ज़ी राष्ट्रवादियों से…
पहले ही कहा था पेट्रोल सस्ता करो वर्ना हरा देंगे, राम मंदिर बनवाया होता तो हम फ़र्ज़ी राष्ट्रवादी पूरी 222 दिलवाते…
जिन SC/ ST/ OBC की वजह से आपको 104 मिली हैं उन्हें नहीं साधते तो हम 222 दिलवाते, कैसे?
अरे जब सुबह घरवाले दुत्कार देते हैं… घर का कुत्ता भी जब हमें मन्दबुद्धि कह कर नकार देता है… पूरी मर्दानगी के साथ हम FB पोस्ट डालते हैं मोदी को हराने वाली…
हम भले ही अपने दो घरवालों को नहीं संभाल पाते हों पर 130 करोड़ की जनता को संभालने वाले मोदी को हम ही जिताते और हराते हैं अपनी FB पोस्ट से, जिस पर पूरे 5 लाइक आते हैं वो भी तरस और भीख वाले…
देखो हरा दिया ना मोदी को… सिर्फ ढाई गुणा ज़्यादा सीट्स आयीं, अब भी वक्त है सब को छोड़ कर मुझ जैसे मन्दबुद्धि को साध लो हमारी पूरी 2% की मेजोरिटी है.
वहीं कांग्रेस की इस बार बम्पर जीत हुई है, जनता ने अपना विश्वास कांग्रेस में दिखाया है, कांग्रेस को कुल 78 सीट्स मिलीं यानी पिछली बार से सिर्फ 43 कम…
देखा हमारा मैजिक, कांग्रेस जैसी पार्टी को जितवा दिया. अरे ठीक है, चुनाव में हार जीत लगी रहती है, कभी कभार 43 कम हो गयीं तो कौन सा पहाड़ टूट गया… सरकार तो हिंदूवादी जनेऊधारी ब्राह्मण कांग्रेस की ही बनेगी.
तीसरी और JDS+ को पूरी 38 सीट के साथ पूर्ण बहुमत मिला है, जो कि पिछली बार से 2 सीट्स कम है. देख लो भैया हम ने तो JDS+ की सरकार बनवा दी, अब मानते हो हमारी ताकत, लेखनी में अपनी दम है.
हमने सबसे बुरा हाल मोदी का किया जिसकी सीट्स सिर्फ ढाई गुणा बढ़ी हैं, बाकी सब की घटी हैं. मोदी मैजिक फैल करवा दिया. अपन तो राष्ट्रभक्त हैं ये अंधभक्ति अपन से नही हो सकती, जो गलत दिखेगा मुखर हो कर ढोलक बजा कर और घाघरा उठा कर नाच नाच के दुनिया को दिखाएंगे, भले ही खुद एक्सपोज़ हो जाएं पर मोदी को नही छोड़ेंगे.
वैसे एक अंदर की बात बताता हूँ… मैंने मोदी भक्त और राष्ट्रवादी का चोला 2014 के बाद ओढ़ा था, ताकि पहले आप सब में घुल मिल जाऊं. फिर धीरे से छद्म लॉजिकल पोस्ट डाल कर चेक किया, लोग जाल में फंस गए.
अब धीरे से मोदी विरोध भी कर दिया… पहले हल्की दबी जुबान में, फिर खुल कर अपने आपको राष्ट्रवादी बता कर, और अतिउत्साहित राष्ट्रवादी मेरे जाल में भी फंस गए.
जो कर्नाटक में किया है वही लोकसभा में भी करूँगा, आत्मा तो मेरी मोदी विरोधी ही है, और मलाई तो मुझे कांग्रेस ने ही खिलाई है जीवन भर… वो भी क्या दिन थे खूब लूट खसोट मचाई थी, सेटिंग से अपने भाई भतीजे की सरकारी नौकरी लगवा ली थी…
कैंब्रिज एनालिटिका पैसा देता है 8000 से 30000 तक, मोदी कुछ नही देता, ये मोदिया तो अपने भाई भतीजे को सरकारी नौकरी नही दे पाया हमारा क्या खाक भला करेगा, ऊपर से कहता है ना खाऊंगा ना खाने दूँगा.
ऐसे अक्ल के अंधों के लिए एक विश्लेषण :
भाजपा/मोदी – सीट्स 104, पिछली बार से 65 ज़्यादा यानी ढाई गुणे से ज़्यादा
काँग्रेस – सीट्स 78, पिछली बार से 43 कम
JDS+ – सीट्स 38, पिछली बार से 2 कम
अन्य – सीट्स 2, पिछली बार से 20 कम
बाकी पार्टियों की सीट्स कम हुईं, 35% तक कम हुईं, भाजपा/ मोदी की 250% से भी ज़्यादा बढ़ी, इस से स्पष्ट जनादेश नही हो सकता.
फिर भी मोदी मैजिक खत्म हो गया? फिर भी मोदी हार गया? जनता ने mandate कांग्रेस और JDS+ को दिया है?
गवर्नर को JDS+ यानी सबसे छोटी पार्टी को सरकार बनाने को बुलाना चाहिए जो हार गयी, जिसकी सीट्स कम हो गयीं, जिसे जनता ने नकार दिया या उस पार्टी को जिसे जनता ने हाथों हाथ लिया और ढाई गुणे से ज़्यादा सीट्स दीं, जिसे 39 से 104 पर पहुँचा दिया, भाई कौन से चरस फूंकते हो यार, मने हद्द है.
यदि ऐसे ही छद्म राष्ट्रवादी आपकी फ़्रेंडलिस्ट में भी हैं तो समय आ गया हैं उनकी जूतों से पूजा करने का, धो डालिये, अब न उम्र का लिहाज़ होगा, ना बड़े होने का, जो देश का दुश्मन वो मेरा दुश्मन, निकल लो फ़र्ज़ी राष्ट्रवादियों वर्ना पटक पटक कर मारूँगा, दौड़ा दौड़ा कर मारूँगा, ये आखिरी वॉर्निंग है, सुधर जाओ.