विज्ञान और वैज्ञानिक – 4 : क्या सेब पृथ्वी को अपनी ओर नहीं खींच रहा?
“बाबू मोशाय, हम-सब तो रंगमंच की कठपुतलियाँ हैं, जिनकी डोर उस ऊपर वाले के हाथों में है. कब, कौन, कैसे उठेगा, यह कोई नहीं जानता” — फ़िल्म ‘आनन्द’ में श्री राजेश खन्ना का किरदार कहता है. गैलीलियो से चलकर हम न्यूटन तक आ पहुँचे हैं और अब हमारे लिए काल ( यानी टाइम ) और … Continue reading विज्ञान और वैज्ञानिक – 4 : क्या सेब पृथ्वी को अपनी ओर नहीं खींच रहा?
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