‘उन्हें’ दर्द है क्योंकि उन्हें पता है, मोदी बनारस को क्योटो बना के मानेंगे

बनारस के बारे में एक बात जान लीजिए…

बनारस हो या दुनिया का कोई भी तीर्थ स्थान… श्रद्धालु – भक्त हैं आप…

श्रद्धा भक्ति होगी आप में… आपके लिए वहां देवी देवता भगवान विराजे हैं…

पर वहां के पंडे – पुजारी के लिए तो बिज़नस है… व्यापार है… उसकी रोज़ी रोटी है…

मंदिर के अगल बगल बसने रहने वाले हर दुकानदार के लिए आप एक ग्राहक हैं…

वो व्यापारी, आप ग्राहक… आप वो बकरा हैं जिसे काटे बिना वो ज़िंदा नहीं रहेगा.

अब जब प्राचीन काल यानी वैदिक काल से ही काशी हिन्दू आस्था का केंद्र रहा… पर मुख्य चढ़ावा तो बड़े मंदिर में ही न आएगा???

अगल बगल बसे छोटे लोग कैसे जिएंगे खाएंगे??? सो उन्होंने हर घर में, हर गली कूचे में, हर चट्टी चौराहे पे, हर पेड़ पालों में… जहां देखो तहां मंदिर बना लिए.

और ये काम कोई दो-चार साल में नहीं हुआ बल्कि हज़ारों सालों में हुआ… कहीं भी मंदिर खोल के बैठ जाओ… 4 पैसे आएंगे ही… कुछ नहीं आएगा तो कुछ फल फ्रूट, कोई पूड़ी सोहारी, कुछ तो आएगा…

हर घर में मंदिर, जहां देखो तहां मंदिर… किसी भी पेड़ के नीचे एक मूर्ति – पिंडी – फोटो – शिवलिंग, कुछ रख दिया, चलो जी हो गया मंदिर…

अब ऐसे हज़ारों मंदिर हैं बनारस में जिनमें लोग रहते हैं, दुकानें चलती हैं… हज़ारों हज़ारों मंदिर…

समय के साथ इनमें से कुछ फेमस हो गए यानी कुछ दुकानें चल पड़ीं और कुछ फ्लॉप हो गईं… ऐसे कुछ मंदिर पारिवारिक विवाद में आ गए… कुछ खंडहर बन गए…

[इतनी ही चिंता है, तो मुक्त कराओ न ज्ञानवापी के नीचे दबा कराहता मंदिर]

पूरा बनारस आज एक जबरदस्त Commercial space है… लाखों पर्यटक हैं… देसी विदेशी… गोरे काले भूरे सब… पर बनारस में कुछ भी व्यवस्थित नहीं…

यदि बनारस को कायदे से, ढंग से प्लान करके विकसित कर दिया जाए तो जितना पर्यटन पूरे देश में, उतना अकेले बनारस में हो सकता है…

पर्यटन की दृष्टि से बनारस सोने की खान है पर प्राचीन नगर होने के कारण भयंकर दुर्व्यवस्था है… भयंकर गंदगी… भयंकर ट्रैफिक जाम… भीड़ भाड़… टूरिस्ट के लिए बनारस कई बार बड़ा बुरा अनुभव हो जाता है…

मोदी इस समस्या को समझते हैं. उन्होंने जो योजना बनाई है उसमें काशी के पुरातन स्वरूप को छुए बिना आधुनिक सुविधाएं देने का प्रयास है जिस से कि पर्यटन बढ़े.

ये जान लीजिए कि बनारस आधे यूपी और आधे बिहार का दिल है… बनारस बढ़ेगा तो यूपी में पूर्वांचल के 40 जिले और बिहार के 20 जिले प्रभावित होंगे.

मोदी बनारस को क्योटो बना के मानेंगे… पर नया बनाने के लिए कुछ तो तोड़ना ही पड़ेगा न??? कुछ टूट रहा है तो कांग्रेसियों को दर्द हो रहा है.

उनका दर्द दरअसल ये है कि कुछ होने न पाए… कोई विकास होने न पाए… कुछ नया बन न जाये… क्योंकि अगर कुछ विकास हो गया और मोदी अगर पास हो गया तो पप्पू फेल हो जाएगा.

कोई भी व्यक्ति अगर बनारस में मंदिरों के टूटने की बात करे तो समझ लेना कांग्रेसी पप्पू है.

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