राष्ट्रवादियों और हिंदुवादियों… जिन्ना की तस्वीर हटाने के पीछे बवाल हो रहा है ना? पर वो वहाँ सालों से है.
पहले एक सवाल का जवाब दो?
अचानक तुमको कैसे पता चला कि वहाँ वो तस्वीर है?
मतलब जिसने भी ये बताया है उसने पहले भी देखी होगी या उसके भाई बंधु, चाचा, ताऊ, किसी ने तो पिछले 70 सालों में देखी ही होगी…
और उसी ने क्यों, बहुत सारे लोगो ने देखी होगी, पर ग़ुलामों की तरह ज़ुबान सिल कर बैठ गए होंगे, क्यों???
क्योंकि पानी में रहकर मगरमच्छों से बैर कोई नहीं लेना चाहता।
आज अगर ये बात सामने भी आ पायी और तुममें हल्ला मचाने की हिम्मत आई है, उसके कारण का विश्लेषण करो।
हाँ, सही पकड़े हैं…
आज तुम्हारे अन्दर जो हिम्मत आई है ना, वजह मोदी ही है.
नही तो पहले तुम पर गोलियाँ चल चुकी होती मुल्ला मुलायम या अखिलेशुद्दीन की तरफ़ से.
वरना कर्नल पुरोहित, प्रज्ञा ठाकुर, असीमानंद जैसे बनने के डर से होंठ सी कर चुपचाप बैठे न रहते.
अगर कठुआ केस में बेगुनाहों को फाँसी से बचने की उम्मीद नज़र आती है तो सिर्फ़ एक के कारण.
अगर NIT श्रीनगर में तिरंगा फहराने की औक़ात पायी है तो सिर्फ़ उसी के दम पर.
और हाँ, जिन्ना की तस्वीर तो शायद हट भी जाये पर जो अपने दिल में बसाये बैठे हैं उसे कैसे निकालोगे???
जिन्हें लाखों हिंदुओं के क़त्लेआम के ज़िम्मेदार जिन्ना से इतना प्यार है, उनके दिल में एक और पाकिस्तान का सपना है, वहाँ आज़ादी के नारे लग रहे है, उसका मतलब समझते हैं ना?
उसके लिये क्या तैयारी है आपकी?
तुमसे कुछ ना होगा, तुम्हारे बस में सिर्फ़ एक बात है… और वो है वोट…
अगर तुमको ऐसे ही निडर वातावरण में जीना है तो मोदी को लाना ही पड़ेगा, वरना इस बार तो अगर कांग्रेस आई तो तुम कल्पना भी नही कर सकते कि तुम राष्ट्रवादियों का क्या हश्र होगा!!!