मोदी सही तो आडवाणी कैसे गलत!

कल से मोदी जी के लिए तंज दर तंज वाली पोस्ट लिखने के बाद सहसा किसी को विश्वास ना हो, लेकिन मैं अंतरात्मा को साक्षी मान के कह रहा हूँ कल मन की बात में मोदी जी द्वारा की गई मोहम्मद साहब की तारीफ़ से सौ नहीं हजार बार सहमति रखता हूँ.

अंतत: मैं भी मुसलमानों के बीच ही रहता हूँ… मैंने भी मुसलमानों के बीच मोहम्मद साहब, कुरान, नमाज, रोजे और जकात की ना जाने कितनी बार तारीफ़ की होगी… लेकिन ये तारीफ़ उनका सपोर्ट पाने या किसी लोभ लालच से नहीं बल्कि एक हथियार की तरह प्रयोग की है…

जाहिल मुसलमानों को घायल और परास्त करने का ये अचूक हथियार है… और इस हथियार का पासवर्ड केवल मुझ जैसे बनिए या किसी पॉलिटिशियन के पास ही होता है…

मैं इस हथियार का प्रयोग केवल मुसलमानों के सामने ही नहीं करता बल्कि भुगतान रोक कर रखने, व्यापारिक सौदों की बेईमानी, कभी दान न करने और समाज से सरोकार ना रखने वाले बनियों के बीच भी करता हूँ कि बनिए तो जुबान के पाबन्द होते हैं, सही समय पेमेंट करते हैं, भगवान ने हमको समाज के पोषण और दान करने के लिए ही बनाया है… आदि आदि.

दारू पी कर अपने को शेरू मानने और बेमतलब की दबंगई दिखाने वाले ठाकुरों पर भी ये हथियार चलाता हूँ… ‘भाई, समाज की रक्षा का भार क्षत्रिय पर होता है, हम घरों में पूजे जाने वाले भगवान को ‘ठाकुर जी’ का संबोधन, केवल ठाकुरों की सात्विकता के कारण ही देते हैं’…

धर्म से विमुख और क्रूर टाइप ब्राह्मणों को भी अपने हथियार से मारता हूँ… उनको ब्राह्मणत्व के सारे कर्तव्य गिनाता हूँ… जब वे परशुराम बन कर हुंकार भरते हैं तो उनको वशिष्ठ जी और दधीचि जी की याद दिलाता हूँ…

और मेरा हथियार अक्सर चल ही जाता है…

और मेरे हिसाब से मोदी जी ने कल जो कहा वो ही एक ऐसी मिसाइल है जो कि मुसलमानों की आतंकी मानसिकता पर अटैक कर सकती है… मोदी जी को तो ये मिसाइल वाराणसी के घाट पर गंगा आरती के समय ही छोड़ देनी चाहिए थी जबकि उन्होंने गाँधी की झाड़ू और खपरा भारतवासियों के हाथ में पकड़ाए थे…

जिस समय उन्होंने गांधी का चरखा चला कर फोटो खिंचाया उससे पहले ही वे मौलाना को बुला, टोपी पहन कर ये मैसेज दे देते तो अभी तक उसके काफी सकारात्मक परिणाम हासिल हो गये होते…

खैर… मोदी जी ने कहा… बिलकुल सही कहा… देर से सही, फिर भी सही समय ही माना जाएगा कहने का…

लेकिन आडवाणी जी ने क्या गलत किया था?

उनकी कटासयात्रा जहाँ पर कि पांडवों द्वारा बनाए मंदिरों का जीर्णोद्धार कार्यक्रम का मुहूर्त उनके द्वारा होना था… तभी वहां हिन्दुओं का कत्ले आम शुरू हो गया…

अब आडवाणी जी पाकिस्तानी हुक्मरानों और मीडिया को कैसे जलील करते!

उनके पास तो बस ये हथियार था ना कि वे जिन्ना की सेकुलरिज्म की स्टेनगन से मीडियाकर्मी और सरकार को भूनते…

और फिर वे यूँ ही तो गये नहीं थे… बाकायदा तत्कालीन सरसंघ चालक सुदर्शन जी से फोन पर सलाह ली गयी… संघ की लायब्रेरी की पुस्तकों में शेषाद्रीजी तक की पुस्तक में जिन्नाह को सेकुलर बताया है…

तब आडवाणी जी ने जिन्ना को सेकुलर बताते हुए कह दिया कि वे धार्मिक मुल्क नहीं सेकुलर मुल्क चाहते थे तो क्या बुरा कह दिया भाई…

लेकिन शायद बुरा ये ही किया कि आडवाणी जी अपने खिलाफ रचे जा रहे षड्यंत्र को समझ नहीं पाए… सुदर्शन जी से सलाह के बावजूद हुए इस कार्यक्रम के तुरंत बाद ही यहाँ संघ के ही कुछ लोगों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उनको जीवन भर के लिए गद्दार करार कर मानो सर कलम कर दिया…

भाई अगर पाकिस्तानी मुस्लिम कट्टरवादियों का कोई दल भारत आये तब दंगा हो जाए तो वो दल पाकिस्तान के कट्टर दुश्मन गांधी के राजघाट पर जा कर उनकी धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देगा या मुस्लिम लीग के नेताओं को याद करेगा…

लेकिन भाई हम ठहरे आदत से मजबूर… यहां तो हम उन लोगों में से है जो दो चार टाइम खाना खाए बगैर रह सकते हैं हैं लेकिन सुनाये बिना एक मिनट भी नहीं रह सकते सो कल से सुनाये जा रहे हैं.

हम किसी 2009 से चल रही किसी स्पॉन्सर्ड पेड ब्रिगेड के सदस्य तो हैं नहीं जिसको कि आडवाणी जी की छवि बिगाड़ने का बाकायदा टेंडर मिला हुआ था… सो जो कि आडवाणी जी को तो सालों साल से गाली दिए और दिलाये जा रहे हों… और उनके प्रति पूरी की पूरी एक नयी पीढ़ी के दिमागों में ज़हर भर दिया गया हो.

और वे ही लोग सेम पॉइंट पर मोदी जी की आरती वंदना में जुट जाएँ… ये हिप्पोक्रेसी बर्दाश्त नहीं की जा सकती…

इस ब्रिगेड को मोदीजी को जस्टिफाई करने से पहले… उन आडवाणी जी से माफ़ी मांगनी होगी जिन्होंने अपना पूरा जीवन जनसंघ और भाजपा के लिए तिल तिल कर बिना किसी महत्वाकांक्षा होम कर दिया…

और परिवार के उस सर्वाधिक बुजुर्ग व्यक्ति को प्रधानमंत्री पद का लोभी बता कर आज तक गालियाँ दिलवायीं जा रहीं है…

 

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