नंबर दो का धंधा करने वालों की मदद के लिए है ये हंगामा

आज सवेरे से एक साथ सभी न्यूज़ चैनलों पर ‘Cash_Crunch’ शीर्षक की खबर सबसे ज्यादा गर्म है.

ATM में कैश नहीं होने की खबर के साथ यह अफवाह फैलायी जा रही है कि देश में नगदी की भारी कमी हो गयी है. जबकि वास्तविकता कुछ और ही है.

संयोग से कल रात ही मैंने ATM से 21 हज़ार रूपये निकाले थे. पहले जिस ATM से रूपये निकालने गया था वह खराब था.

दूसरे ATM से आराम से रूपये निकल गए थे. ना तो कोई कतार थी, ना ही कोई आपाधापी.

अपना उदाहरण इसलिए दे रहा हूं क्योंकि न्यूज़ चैनलों में चल रही खबरों में तथाकथित Cash Crunch के शिकार शहरों में लखनऊ का भी ज़िक्र देखा सुना.

यह कोई छुपा हुआ तथ्य नहीं है कि सामान्य तौर पर 15-20% ATM किसी ना किसी कारण से बन्द ही रहते हैं.

आज ऐसे ही कुछ ATMs को केंद्र बनाकर हंगामा खड़ा करने की कोशिश शुरू हुई है.

लेकिन देश मे नगदी की कमी की स्थिति यह नहीं होती कि ATM से पैसे नहीं निकल रहे.

नोटबन्दी के दिनों में जब नगदी की कमी हुई थी तो हमने देखा सुना था कि बैंकों से पैसे की निकासी की सीमा बांध दी गयी थी.

आज ऐसी कोई स्थिति नहीं है.

दरअसल सारा माजरा यह है कि 2000 रूपये के नोट धीरे धीरे बाज़ार से कम हो रहे हैं.

इस सन्दर्भ में मेरी जानकारी यह है कि लगभग 6 महीने या उससे थोड़ा और पहले से रिज़र्व बैंक द्वारा बैंकों को भेजे जा रहे नोटों में 2000 के नोटों की भारी कमी हुई है.

रिज़र्व बैंक द्वारा बैंकों को 2000 के बजाय 100, 200, 50 के छोटे नोट बड़ी संख्या में भेजे जा रहे हैं.

बैंकों के माध्यम से अपने पास पहुंच रहे 2000 के नोटों को रिज़र्व बैंक धीरे धीरे एकत्र कर रहा है.

यह प्रक्रिया धीरे धीरे 2000 के नोटों का चलन बाजार में बहुत कम कर देगी. 2000 के नोटों की यह कमी 2 नम्बर का धंधा करनेवालों पर बहुत भारी पड़ रही है.

नम्बर 2 में एक करोड़ रुपये लाने ले जाने के लिए जहां 2000 के नोटों की 50 गड्डियों से काम चल जाता था उसके लिए उन्हें अब 500 के नोटों की 200 गड्डियों को ढोना पड़ रहा है.

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