‘लव जिहाद’ शब्द कहाँ से आया पता है?
केरल से आया है. मूल खोजिए.
कसाई का ईसाई पर डोरे डालना ज़्यादह ही बढ़ा और वे कामयाब भी होने लगे तो मामले का संज्ञान लिया गया.
बाकी रहे हिन्दू… तो वो तो भेड़िये के लिए अल्लाह की बनाई भेड़ ही थी।
2014 में चुने जाने के पहले मोदी जी केरल हो आए थे वहाँ के पादरियों से मिलकर.
फिर हाल में कुछ महिने पहले सुप्रीम कोर्ट ने लव जिहाद शब्द का संज्ञान लिया, वह मामला भी केरल का ही था.
फिर भी, चर्च आज नाम लेकर अपनी flock याने ईसा की भेड़ों से कह रहा है कि भाजपा से दूरी बनाएं. यह फतवा ही होता है उनका.
मुसलमान के लिए तो मोदी से नफ़रत शायद सब से बड़ा फर्ज है. पता नहीं हज के समय जब वे शैतान को सात कंकर मारते हैं तब उस खंभे पर मोदी का चेहरा देखते हों शायद.
फिर भी भाजपा सरकार उनके लिए योजनाओं के अंबार लगा देती है और भाजपा को वोट देने वाले सभी हिन्दू चिढ़ जाते हैं.
लेकिन एक बात की सार्वजनिक नहीं की जाती कि इन योजनाओं के लिए कितनी lobbying हुई है, कितनी मेहनत से उनका पक्ष रखा गया है.
सरकार ऐसे ही खैरात नहीं बांटती, खर्चे का हिसाब देना पड़ता है. योजना की जरूरत क्या थी, उससे कितनी जनता का क्या कल्याण होगा और कैसे होगा, यह पूरा बताना पड़ता है, भले ही पूरा फर्जीवाड़ा साबित हो.
मुद्दा यह है कि हिंदुओं के लिए कोई ठोस योजनाएँ सरकार के पास कौन ले आता है?
क्या हम बस यही अपेक्षा रखते हैं कि भाजपा को ही यह काम करना होगा ताकि आप उसे अगली बार भी वोट दें… तो ज़रा अलग से सोचिए प्लीज़।
सरकार ऑरगनिक खेती खाद आदि को बढ़ावा देने की योजनाएँ ला रही है उसमें गोपालन के लिए मौके हैं. गौ रक्षकों के लिए भी काम और कमाई के मौके हैं.
लेकिन हमारे युवा गौ रक्षण में केवल इमेज चमकाने का मौका और काम के तौर पर एक परमानेंट डेस्क जॉब अपना हक़ समझते हैं… तो बात बनने से रही.
वा-क-ई गिरोह वाकई अपने लाभ की योजनाओं पर गहरा होम वर्क करता है. उसका कारण यह भी है कि वे उसके लिए पैसे लगाते हैं. फिर योजना के तहत सरकार से लाभ लेते हैं.
सरकार को रिटर्न क्या देते हैं यह संशोधन का विषय होता है इसीलिए हिंदुओं में चिढ़ होती है कि इनकी मुफ्तखोरी हमारे टैक्स के पैसों पर चलती है. किन्तु उस योजना को पास कराने के लिए जो होमवर्क और lobbying होती है, वह मुफ्त में नहीं होती।
हिंदुओं के ओर से क्या होता है? नि:शुल्क नि:स्वार्थ की गर्जनाएँ उठती हैं और झाग बैठ जाता है.
बाकी अपने अनुभवों को मैं यहाँ बताना नहीं चाहता, लोगों को अच्छा नहीं लगता. मोदी जी, भाजपा और संघ को गालियां देने में आप को अच्छा लगता है तो दीजिये और खुश रहिए.
मोदी चोर है जी , भोगड़ा है जी ।
कहने से काम बनता है तो कोई दूसरा और स्वावलंबन वाला काम करे ही क्यों ?
हम तो नोकर है और यही करेंगे भी –बाकी गाली देने को मोदी जी हैं ही, मन हल्का हो जाता है ।