प्रेस्टीट्यूट्स और सेक्युलर गिरोह कठुआ और जम्मू की Bar Council और हिन्दू एकता मंच पर आरोप लगा रहा है कि वो बलात्कारियों और हत्यारों का बचाव कर रहे हैं.
याद कीजिये कि शोपियाँ गैंगरेप और मर्डर केस में हत्या और बलात्कार का आरोप भारतीय सेना पर था. तथाकथित रेपिस्ट – बलात्कारी – हत्यारे हमारे फौजी थे.
सेक्युलरसिस्टों की मानें तो rape बलात्कार हत्या के आरोपियों के लिए न्याय मांगने की जुर्रत नही होनी चाहिए…
जम्मू कश्मीर की सरकार ने तो लीप पोत के, न्यायिक जांच करा के, Medical और Forensic जांच करा के सेना को आरोपी बना भी दिया था.
पर बाद में जब सीबीआई जांच हुई तो मामला फ़र्ज़ी पाया गया और कोई अपराध हुआ ही नही था.
कठुआ में कोई भी बलात्कारियों और हत्यारों को बचाने की मांग नही कर रहा. सब निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं. CBI जांच की मांग कर रहे हैं.
कठुआ कांड के 20 दिन के अंदर 3 बार SIT बदल दी गयी… क्यों???
SIT का प्रमुख, मुख्य विवेचनाधिकारी एक दागी अफसर है जिसपर पूर्व में एक हिन्दू लड़की के बलात्कार और हिरासत में हत्या के आरोप रहे हैं. ये अधिकारी अलगाववादियों का पिट्ठू और घोषित हिन्दू विरोधी है.
आरोप पत्र में बताया गया है कि एक आरोपी विशाल जंगोत्रा मुजफ्फरनगर यूपी से 12 जनवरी को सुबह 6 बजे कठुआ आया और उसने victim को रेप किया.
दूसरी तरफ ऐसे दस्तावेजी सबूत हैं जिनसे पता चलता है कि आरोपी 12 जनवरी को खतौली – मुजफ्फरनगर में परीक्षा दे रहा था.
परीक्षा हॉल की अटेंडेंस शीट में उसकी हाजिरी कुल 10 छात्रों में छठें नंबर पर दर्ज है. अंतिम स्थान पर दर्ज होती तो मान सकते थे कि बाद में नाम डाला गया.
और Attendance sheet में किसी किस्म की कोई Overwriting नहीं है.
इस बारे में SIT का कहना है कि फ़र्ज़ी Alibi तैयार की गई है जबकि 10 students को फ़र्ज़ी दस्तावेज बनाने को राजी कर लेना… बात कुछ हज़म नही होती.
SIT की चार्जशीट में बहुत से holes हैं… CBI जांच की मांग एकदम जायज़ है… Rapists को कोई बचाना नही चाहता… कोई निर्दोष न फंसे और Victim को न्याय मिले… सब यही चाहते हैं.